‘बीसीसीआय’ के झटके से पाकिस्तान की ‘केपीएल’ धराशायी

नई दिल्ली – ‘कश्‍मीर प्रिमिअर लीग’ का ऐलान करके पाकिस्तान ने इस प्रतियोगिता में अंतरराष्ट्रीय स्तर के नामांकित क्रिकेट खिलाड़ियों को उतारने की तैयारी जुटाई थी। दक्षिण अफ्रीका के हर्षल गिब्ज, इंग्लैंड़ के मॉन्टी पानेसर, श्रीलंका के पूर्व कप्तान तिकलरत्ने दिलशान का नाम ‘केपीएल’ का हिस्सा होनेवाले खिलाड़ियों की सूचि में था। लेकिन, भारत के क्रिकेट नियामक बोर्ड़ (बीसीसीआय) ने पाकिस्तान की इस लीग में उतरनेवालों को भारतीय क्रिकेट से किसी भी तरह के ताल्लुकात नहीं रहेंगे, यह इशारा दिया। इसके बाद इन क्रिकेटर्स ने वर्णित लीग से अपना नाम हटाया और इस पर अब पाकिस्तान चिल्लाहट कर रहा है। लेकिन, पाकिस्तान ने यह सबकुछ भारत को उकसाने के लिए ही किया था, ऐसी आलोचना पूर्व क्रिकेटर और सांसद गौतम गंभीर ने किया है।

‘बीसीसीआय’पाकिस्तान में पहले से ही ‘पाकिस्तान सुपर लीग-पीएसएल’ नामक प्रतियोगिता का आयोजन होता रहा है। इस प्रतियोगिता पर ध्यान केंद्रीत करने के बजाय पाकिस्तान ने ‘कश्‍मीर प्रिमिअर लीग-केपीएल’ शुरू करने का निर्णय किया। इसके पीछे सिर्फ भारत को उकसाने की ही मंशा थी, ऐसी तीखी आलोचना गौतम गंभीर ने की। पाकिस्तान की इन कोशिशों को ‘बीसीसीआय’ ने झटका दिया, यह अच्छा ही हुआ, ऐसा कहकर गंभीर ने इसका स्वागत किया। पूर्व किकेटर किर्ती आज़ाद ने भी खेल में राजनीति लाने की पाकिस्तान की इस हरकत का निषेध किया। भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों ने भी इस निर्णय पर नाराज़गी व्यक्त की है।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए सबसे अधिक महसूल भारत से ही प्राप्त होता है। इस वजह से भारत का क्रिकेट जगत पर बड़ा नियंत्रण है। इसका लाभ उठाकर भारत हमेशा से पाकिस्तान को लक्ष्य करता रहा है, ऐसा रोना भी पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर्स ने इस अवसर पर रोया। ‘केपीएल’ में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर्स को उतरने से रोककर भारत ने अपनी ताकत दिखाई है, ऐसी चिल्लाहट पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ी कर रहे है। लेकिन, असल में ‘केपीएल’ का आयोजन करना ही पाकिस्तान की राजनीतिक चाल थी, इसके ज़रिये पाकिस्तान कश्‍मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश कर रहा है और इस ओर ध्यान देने के लिए यह खिलाड़ी तैयार नहीं हैं।

‘केपीएल’पीओके’ के मात्र पांच से छह खिलाड़ी पाकिस्तान की क्रिकेट लीग में उतरते हैं। ऐसा होते हुए ‘पीओके’ के लिए अलग क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन करने के पीछे हम भारत के खिलाफ कुछ न कुछ कर रहे हैं, यही दिखाने की पाकिस्तानी सरकार की बेबस कोशिश थी। यह बात पाकिस्तानी पत्रकारों ने ही सार्वजनिक करके इस पर नाराज़गी जताई। इस वजह से पाकिस्तान का अधिक नुकसान हुआ, यह अफसोस भी यह पत्रकार व्यक्त कर रहे हैं।

बीते कुछ हफ्तों से कश्‍मीर मसले पर आक्रामक भूमिका अपनाकर हमने भारत की घेराबंदी की है, यही दिखाने के लिए प्रधानमंत्री इम्रान खान और उनकी सरकार बड़ी कोशिशें कर रही है। खास तौर पर ‘पीओके’ में हुए चुनाव के बाद उनके खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगाई हुई दिख रही है। लेकिन, कश्‍मीर का मसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने में और साथ ही इस मसले पर भारत को मुश्‍किल में ड़ालने में पाकिस्तान सरकार बड़ी नाकाम हुई है। इस नाकामी को छुपाने के लिए प्रचार मुहिम चलाने की अनोखी तकनीक इम्रान खान की सरकार चला रही है। ‘केपीएल’ का आयोजन इन्हीं कोशिशों का हिस्सा बनता है। लेकिन, इसे भी नाकामी हासिल होने से पाकिस्तान की निराशा अधिक बढ़ती हुई दिख रही है।

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