१०७. ‘टेक्नॉलॉजिकल इन्क्युबेटर्स’

विज्ञान-तंत्रज्ञान पर आधारित नयीं-नयीं संकल्पनाएँ आगे आने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने के प्रयास इस्रायली सरकार शुरू से ही करती आयी है| ‘हायटेक संशोधन-विकास’ यह क्षेत्र ही इस्रायल के लिए आय का प्रमुख स्रोत बन सकता है, यह स्पष्ट हो जाने के कारण इस्रायली सरकार ने उसके अनुसार ही अपनी नीतियॉं निर्धारित करना शुरू किया| यहॉं तक कि शालेय स्तर से लेकर ही उन्होंने अपनी नीतियों में आमूलाग्र बदलाव किये|

कई बार ऐसा कहा जाता है कि स्कूली ज्ञान यह क़िताबी और दक़ियानुसी रहता है और वह स्कूल के बाहर की दुनिया की तुलना में बहुत ही कालबाह्य (आऊटडेटेड) रहती है; और इस कारण बच्चों को पढ़ाई में रुचि पैदा नहीं होती|

इस्रायल ने हासिल की हुई यह विज्ञान-तंत्रज्ञान के संशोधन-विकास क्षेत्र की रफ़्तार को यदि बरक़रार रखना हो, तो स्कूली स्तर से ही बच्चों के मन पर विज्ञान-तंत्रज्ञान का महत्त्व अंकित हो जाना चाहिए और उन्हें नया नया तंत्रज्ञान (टेक्नॉलॉजी) का इस्तेमाल करना आना भी चाहिए; यह जानकर इस्रायली सरकार ने सन १९९० से अपनी शैक्षणिक नीति उसके अनुसार तय की| इस नयी नीति के अनुसार स्कूली शिक्षा के लिए सबसे अहम माने गये, लेखन-वाचन-गणित इन मूलभूत घटकों के साथ साथ अब कॉम्प्युटर का भी समावेश किया गया| स्कूलों में, यहॉं तक कि किंडरगार्टन से ही बच्चों को कॉम्प्युटर से परिचित कराने के लिए स्कूलों में कॉम्प्युटर्स बिठाये गये|

‘इस्रायल इनोव्हेशन ऑथोरिटी’ यह ‘मिनिस्ट्री ऑफ इकॉनॉमी’ के चीफ सायंटिस्ट के अधिकार में शुरू हुआ, इस्रायल के नवीनतापूर्ण औद्योगिक संशोधन-विकास के लिए हरसंभव सहायता करनेवाला महत्त्वपूर्ण सरकारी उपक्रम है|

स्कूलों में कॉम्प्युटर प्रशिक्षण शुरू करने के साथ ही अन्य भी कई उपक्रम इस्रायल में शुरू किये गये| ‘इस्रायल इनोव्हेशन ऑथोरिटी’ यह ‘मिनिस्ट्री ऑफ इकॉनॉमी’ के चीफ सायंटिस्ट के कार्यक्षेत्र में शुरू हुआ, इस्रायल स्थित इनोवेटिव्ह औद्योगिक संशोधन-विकास के लिए सर्वतोपरी सहायता करनेवाला सबसे महत्त्वपूर्ण सरकारी उपक्रम है|

संशोधनजगत् और उद्योगजगत् इनका मेल बिठाने के लिए बड़ीं युनिव्हर्सिटीज् के आसपास विज्ञान-तंत्रज्ञान-अधिष्ठित इंडस्ट्रियल पार्क्स का निर्माण किया गया| विज्ञान-तंत्रज्ञान-संशोधन से संबंधित छोटे नये उद्योगों को जगह, बिजली-पानी, कॅपिटल, साथ ही संशोधन के लिए आवश्यक अन्य सुविधाओं की आपूर्ति इन पार्क्स में की जाती है| उन्हें सरकार की ओर से टॅक्स में से भी छूट मिलती है| लेकिन नये उद्योगधंधों को इन पार्क्स में प्रवेश प्राप्त होने के लिए ज़रूरी निकषप्रक्रिया बहुत ही स़ख्त होती है| उसमें से पास होनेवाले उद्योगों को ही यहॉं प्रवेश दिया जाता है| युनिव्हर्सिटीज् के पास होने के कारण युनिव्हर्सिटी के विभिन्न क्षेत्रों के संशोधकों तथा छात्रों के ज्ञान-संशोधन का फ़ायदा इन उद्योगों को मिलता है; वहीं, युनिव्हर्सिटीज् के कई अध्यापक-छात्र अपने रिक्त समय में, इन पार्क्स में होनेवालीं कंपनियों में बतौर संशोधक अतिरिक्त नौकरी करके अधिक आमदनी कमा सकते हैं|

विज्ञान-तंत्रज्ञान की नयीं नयीं संकल्पनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए, इन पार्क्स के अलावा इस्रायली सरकार का एक और कदम यानी ‘टेक्नॉलॉजिकल इन्क्युबेटर्स’| उद्योग मंत्रालय के ‘चीफ सायंटिस्ट’ के अधिकार में शुरू हुआ यह उपक्रम यानी संशोधकों की ओर सहायता का हाथ बढ़ानेवालीं नो-प्रॉफिट संस्थाएँ होती हैं और वे स्वतंत्र रूप में काम करती हैं| जिस प्रकार जन्म से ही कुछ बीमारी होनेवाले या फिर बहुत ही दुबलेपतले होनेवाले बच्चे को जन्मते ही बाहरी संसर्ग को टालने के लिए ‘इन्क्युबेटर’ (तापमान तथा अन्य घटक नियंत्रित होनेवाली कॉंचपेटी) के सुरक्षित वातावरण में रखा जाता है और बाद में उसका स्वास्थ्य सुधर जाने पर ही उसके मातापिता को उसे अपने घर लेने की अनुमति दी जाती है; वैसी ही संकल्पना प्रायः यहॉं पर होने के कारण यह नाम इस उपक्रम को रखा गया है|

अभी खुद की कंपनियॉं चालू न किये हुए संशोधक अथवा जिनकी कंपनियॉं बहुत ही छोटीं हैं और जो संशोधन का खर्चा नहीं उठा सकेंगे और जो इंडस्ट्रियल पार्क्स के निकषों में या फिर कर्जा वगैरा दिलाने के अन्य सरकारी निकषों में नहीं बैठ सकेंगे; ऐसे संशोधकों के लिए यह ‘टेक्नॉलॉजिकल इन्क्युबेटर’ उपक्रम इस्रायली सरकार की ओर से सन १९९१ में शुरू किया गया| सन १९९१ में हुए सोव्हिएत युनियन के विघटन के बाद वहॉं से शुरू हुए ज्यू स्थलांतरितों के तॉंते में कई लोग विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र के विशेषज्ञ थे, जिनके पास नयीं नयीं संकल्पनाएँ तो थीं, लेकिन उन्हें साकार करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे| ऐसे वर्ग को मद्देनज़र रखते हुए इस उपक्रम की शुरुआत की गयी| फिलहाल इस्रायल में लगभग २५ से भी अधिक टेक्नॉलॉजिकल इन्क्युबेटर्स होकर, उनके ज़रिये लगभग २०० से भी अधिक प्रोजेक्ट्स अपनीं जड़ें फैला रहे हैं| संशोधक की संकल्पना में होनेवाली नवीनता और अनोखापन तथा उसमें से व्यवहार्य उत्पादन बनने की संभावना ये दो निकष प्रायः देखे जाते हैं|

विज्ञान-तंत्रज्ञान पर आधारित नयीं नयीं संकल्पनाएँ आगे आयें इसलिए अनुकूल वातावरण तैयार करने के प्रयास इस्रायली सरकार शुरू से ही करती आयी है| बिलकुल स्कूली स्तर से लेकर उन्होंने अपनी नीतियों में आमूलाग्र बदलाव किये|

उद्योग-व्यापार मंत्रालय के मान्यताप्राप्त क्षेत्रों में अब तक समावेश न हुए किसी विषय में संशोधन करनेवाले संशोधक, जिनकी संकल्पनाओं में नवीनता होने के बावजूद भी, वे दुनिया को ज़ोख़मभरीं प्रतीत हो रहीं होने के कारण उन्हें कोई कर्ज़ा देने के लिए या फिर निवेश करने के लिए तैयार नहीं है; ऐसे लोगों के लिए यह योजना यानी बहुत बड़ा आधार है|

किसी विशेषज्ञ की किसी नवीनतापूर्ण संकल्पना को साकार करने में उसकी सहायता करने से लेकर, उन संकल्पनाओं का रूपांतरण आर्थिक दृष्टि से व्यवहार्य (इकॉनॉमिकली फीजिबल) प्रोजेक्ट्स में करने तक की हर संभव मदद इस उपक्रम के तहत संशोधकों को की जाती है| उद्योग के लिए उन्हें जगह तथा अन्य आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करना, सहायक संशोधन-विकास कर्मचारियों की आपूर्ति करना, उनकी संकल्पनाओं से बने उत्पादनों के लिए व्यवहार्यता-अध्ययन (फीजिबलिटी स्टडी), मार्केट स्टडी करा देना, उन्हें वित्तसहायता प्राप्त करा देने के लिए उनके संशोधनों का मार्केटिंग करना ऐसे काम इस सहायता के तहत किये जाते हैं| इस उपक्रम की सहायता लेकर बना प्रोजेक्ट एक बार जब अपने खुद के पैरों पर खड़ा हो जाता है, तब वह इस इन्क्युबेटर की कक्षा से बाहर निकलकर स्वतंत्र रूप में काम करने लगता है|

इस प्रकार सरकार के माध्यम से ही शुरू हुआ, लेकिन विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र के विशेषज्ञ, उद्योगजगत् के सफल उद्योजक इनके तत्त्वावधान में स्वतंत्र रूप में कार्य कर रहा यह ‘टेक्नॉलॉजिकल इन्क्युबेटर’ उपक्रम, अपने नाम को सार्थक करते हुए ही इस्रायल के विज्ञान-तंत्रज्ञान के नवीनतापूर्ण संशोधन विकास के लिए ‘इन्क्युबेटर’ साबित हो रहा है|

इसमें से सहायता लेकर आगे चलकर सफल उद्योजक बने हुए संशोधक, देश का उनपर होनेवाले ऋण का स्मरण रखते हुए और देश के प्रति होनेवाले अपने कर्तव्य का एहसास रखते हुए बाद में अपने जैसे ही नये संशोधक-उद्योजकों की ओर सहायता का हाथ बढ़ाने के लिए इस उपक्रम को वित्तसहायता करते हैं और यह टेक्नॉलॉजी का ‘सिलसिला’ आगे चलता रहता है|(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

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