भारत और तालिबान में चर्चा अत्यावश्यक – रशिया के अफगानिस्तान विषयक दूत का दावा

मॉस्को – रशिया में आयोजित की अफगानिस्तान विषयक परिषद में तालिबान ने सहभाग लिया था। इस परिषद में भारत की उपस्थिति यह उल्लेखनीय बात साबित हुई। भारत और तालिबान के बीच इस समय हुई चर्चा यह स्वागतार्ह बात है। रशिया ने अफगानिस्तान के लिए नियुक्त किए विशेष दूत झमीर काबुलोव्ह ने यह प्रतिक्रिया दर्ज की। भारत ने अभी भी तालिबान के साथ चर्चा के बारे में अधिकृत स्तर पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी है।

भारत और तालिबानअगले महीने में भारत ने भी अफगानिस्तान विषयक परिषद का आयोजन किया है। इसमें अमरीका, रशिया तथा इस क्षेत्र के संबंधित देशों के साथ ही, पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को भी आमंत्रित किया गया है। इस समय क्या भारत तालिबान के साथ स्वतंत्र चर्चा करेगा, ऐसे सवाल पूछे जा रहे हैं। उससे पहले रशिया में हुई अफगानिस्तान विषयक चर्चा के दौरान भारत की तालिबान समेत यह चर्चा उल्लेखनीय साबित होती है। भारत ने इससे पहले ही यह स्पष्ट किया था कि भारत अफगानिस्तान की जनता के साथ है। लेकिन तालिबान ने आतंकवाद का पुरस्कार करना रोककर, अल्पसंख्यक और महिलाओं को अधिकार बहाल किए बगैर तालिबान को मान्यता देने का सवाल ही नहीं उठता, ऐसा भारत ने जताया है।

दुनिया भर के अन्य प्रमुख देश भी तालिबान से उसी प्रकार की उम्मीद जाहिर कर रहे हैं। फिलहाल कई महत्वपूर्ण प्रश्नों पर तालिबान में युवा मतभेद पैदा हुए हैं। तालिबान पर नियंत्रण स्थापित करने में सफल साबित हुए हक्कानी नेटवर्क की कट्टरवादी नीति के विरोध में तालिबान के अन्य गुटों में भी नाराज़गी और असंतोष बढ़ता चला जा रहा है। इसका परिणाम नए संघर्ष में होगा, ऐसे दावे किए जाते हैं। साथ ही, इससे तालिबान पर होनेवाला पाकिस्तान का नियंत्रण नष्ट होगा, ऐसा स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। ऐसी परिस्थिति में तालिबान का एक गुट भारत तथा अन्य देशों की सहायता लेकर अफगानिस्तान पर नियंत्रण प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है।

ऐसे हालातों में तालिबान के संदर्भ में, पहले अपनाई भूमिका कायम रखना भारत के लिए मुश्किल पड़ सकता है। भारत ने कुछ हद तक अपनी तालिबान विषयक भूमिका सौम्य की है, यह स्वागतार्ह बात है, ऐसा रशियन विशेषदूत काबुलोव्ह ने कहा होकर, आनेवाले समय में भी ऐसी मुलाकातें और चर्चा अत्यावश्यक होने का दावा किया। ख़ासकर अफगानी जनता को सहायता प्रदान करने के लिए तालिबान के साथ चर्चा करना अनिवार्य है, यह बात ध्यान में लेनी ही होगी, ऐसा काबुलोव्ह ने आगे कहा। फिलहाल तो भारत की तालिबान के साथ चर्चा इसी मुद्दे जितनी सीमित रहेगी, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। लेकिन अगर आनेवाले समय में तालिबान ने भारत की माँगें पूरी करने के लिए कदम उठाए, तो भारत से भी उसे प्रतिसाद मिल सकता है, ऐसे संकेत रशिया में संपन्न हुई अफगानिस्तान विषयक चर्चा में से प्राप्त हुए हैं।

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