तालिबान की धमकी से पाकिस्तान में सनसनी

तालिबान की धमकीइस्लामाबाद – सेना की वापसी करने के बाद भी अफ़गानिस्तान पर अपना नियंत्रण बरकरार रखने के लिए अमरीका ने पाकिस्तान में लष्करी अड्डे का निर्माण करने की तैयारी शुरू की है। इस अड्डे का इस्तेमाल करके तालिबान पर हमलें करना अमरीका के लिए आसान हो सकता है। इस संभावना को ध्यान में रखकर तालिबान ने इसी मुद्दे पर पाकिस्तान को धमकाया है। अमरीका को अड्डा देने का निर्णय दुर्भाग्यवश और घातक साबित होगा, ऐसी चेतावनी तालिबान ने दी है। तालिबान की इस धमकी के बाद पाकिस्तान के पैरों तले से ज़मीन ही खिसक गई है।

अधिकृत स्तर पर पाकिस्तान ने यह ऐलान किया है कि हम अमरीका को हमारा अड्डा नहीं देंगे। लेकिन, अमरीका के लड़ाकू विमानों को अपनी सीमा का इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए पाकिस्तान तैयार हुआ है। इसी के साथ अमरीका के वरिष्ठ नेताओं ने और अफ़सरों ने, परवेझ मुशर्रफ जब पाकिस्तान के तानाशाह थे तब किए समझौते की याद पाकिस्तान की सरकार को कराई है। इस समझौते के अनुसार पाकिस्तान ने अपने लष्करी एवं हवाई अड्डों का इस्तेमाल करने की अनुमति अमरीका को प्रदान की थी।

इस समझौते की वजह से पाकिस्तान की सरकार के हाथ बंधे हुए हैं, यह दावा पाकिस्तानी माध्यम करने लगे हैं। ऐसी स्थिति में, तालिबान से मिली धमकी पाकिस्तान में नए आतंकी हमलों का भयंकर सत्र शुरू करेगी, ऐसी चिंता पाकिस्तानी माध्यम और विश्‍लेषक जता रहे हैं।

अमरीका को अड्डा मुहैया करना पाकिस्तान की सरकार की ऐतिहासिक गलती साबित होगी, यह विचार रखनेवाला चरमपंथी विश्‍लेषकों का बड़ा गुट पाकिस्तान में है। साथ ही, अमरीका यह ढ़ल रही महासत्ता है और चीन उभर रही महासत्ता है; अतः चीन के साथ जारी सहयोग पाकिस्तान के लिए अधिक अहम साबित होता है, ऐसा इन विश्‍लेषकों के गुट का कहना है।

इसी वजह से पाकिस्तान ने, अमरीका की लष्करी अड्डे की माँग मंज़ूर करके, तालिबान समेत चीन और रशिया की नाराज़गी को आमंत्रित नहीं करना चाहिये, ऐसा इन विश्‍लेषकों का गुट कह रहा है। वहीं, अधिकृत स्तर पर चाहे कितने भी बड़े दावे किए, तो भी पाकिस्तान के सामने अमरीका की माँग स्वीकारने के अलावा अन्य विकल्प ही ना होने का बयान कुछ पत्रकार कर रहे हैं।

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