चर्चा से इन्कार कर तालिबान का अफ़गानी सरकार को झटका

काबुल  – अफगानिस्तान की अश्रफ गनी सरकार के साथ किसी भी प्रकार की चर्चा करने से तालिबान ने इन्कार किया है। गनी सरकार ग़ैरक़ानूनी होने का आरोप तालिबान ने किया है। इससे अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच चर्चा कराने के प्रयासों को झटका लगा है।

अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने शनिवार को तालिबान के साथ चर्चा करने के लिए २१ सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल तैयार किया। अफगानिस्तान के पूर्व सुरक्षा प्रमुख ‘मासूम स्तानेकझाई’ के नेतृत्व में गठित हुए इस पथक में राजकीय नेता, सरकारी अधिकारी और अफगानिस्तान के विभिन्न समाजगुटों के प्रतिनिधि और पाँच महिलाओं का भी समावेश है। यह पथक तालिबान के नेताओं से चर्चा करनेवाला था।

अमरीका ने अफगानिस्तान के लिए नियुक्त किये हुए विशेष दूत झल्मे खलिलजाद ने अफगान सरकार के इन प्रयासों का स्वागत किया था। इन चर्चाओं से अफगानिस्तान में शांति और सुव्यवस्था स्थापित होगी, ऐसा विश्वास खलिलझाद ने व्यक्त किया था। वहीं, गनी सरकार के साथ चर्चा के लिए हमारे नेता तैयार नहीं हैं, ऐसा तालिबान के प्रवक्ता झबिउल्लाह मुजाहिद ने घोषित कहा। सदर पथक अफगानिस्तान के सभी गुटों का नेतृत्व करनेवाला नहीं है। इसलिए यह चर्चा मुमक़िन नहीं है, ऐसा मुजाहिद ने कहा है। अफगान सरकार ने तालिबान के इस आक्षेप को ठुकराया है।

फ़रवरी महीने में कतार की राजधानी दोहा में तालिबान और अमरीका में शांतीसमझौता संपन्न हुआ था। उसके अनुसार तालिबान अमरिकी सैनिकों पर हमलें बंद करने के लिए तैयार हुआ था। वहीं, तालिबान की माँग के अनुसार, अमरीका अफगानिस्तान से अपने सेना को वापस बुलाने के लिए राज़ी हुई थी। अमेरिका के साथ भले ही शांतीसमझौता हुआ हो, लेकिन हमने अफगान सरकार को मान्यता नहीं दी है, यह तालिबान द्वारा बार बार बताया जा रहा था। तालिबान ने अफगानी सेना पर के हमले भी जारी रखे थे। अब पुन: एक बार अफगानी सरकार की वैधता का मुद्दा उपस्थित कर तालिबान अफगाणिस्तान में नया संघर्ष शुरू करने की तैयारी में होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।

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