तालिबान नाटो और मित्रदेशों के प्रति जवाबदेह है – ‘नाटो’ प्रमुख जेन्स स्लोल्टनबर्ग

ब्रुसेल्स – ‘अफ़गानिस्तान में नाटो ने दशकों तक चलाई सैन्य मुहिम से काफी कुछ सीखने जैसा है। जिस तरह से नाटो के इतिहास की सबसे बड़ी सैन्य मुहिम का अन्त हुआ, उसे देखें तो अफ़गानिस्तान की चुनौतियों को कम समझना मुमकिन नहीं है’, ऐसा बयान नाटो के प्रमुख जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने किया है। अफ़गानिस्तान की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई, मानव अधिकारों के मुद्दों पर तालिबान नाटो और अन्य सहयोगी देशों के प्रति जवाबदेह है, यह इशारा स्टोल्टनबर्ग ने दिया।

taliban-nato-allies-2नाटो के अध्यक्ष जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने गुरूवार और शुक्रवार के दिन नाटो के सदस्य देशों के रक्षामंत्रियों को ब्रुसेल्स में स्थित मुख्यालय में बैठक के लिए आमंत्रित किया है। अफ़गानिस्तान की आतंकी संगठनों से खतरे के विषय पर इस बैठक में चर्चा होगी। इससे पहले माध्यमों से बोलते समय नाटो के प्रमुख ने कहा कि, अफ़गानिस्तान की मुहिम से काफी कुछ सिखने जैसा था।

नाटो अफ़गानिस्तान में अपने मुख्य उद्देश्‍य से भटक गई, यह दावा स्टोल्टनबर्ग ने किया। ‘नाटो ने अल कायदा को खत्म करने के लिए अफ़गानिस्तान में सीमित, छोटी सैन्य मुहिम चलाकर आतंकवाद विरोधी युद्ध भी शुरू किया था। यह नाटो की अफ़गान मुहिम का प्रमुख उद्देश्‍य था। लेकिन, बाद में अफ़गानिस्तान का फिर से निर्माण करने के यूरोपिय महासंघ और संयुक्त राष्ट्रसंघ के कार्य में भी नाटो शामिल हुई’, यह बयान भी स्टोल्टनबर्ग ने किया। साथ ही अफ़गानिस्तान का फिर से निर्माण करना नाटो का काम नहीं था, इन शब्दों में नाटो के प्रमुख ने इसके लिए अप्रत्यक्ष पद्धति से अमरीका को दोषी बताया।

taliban-nato-allies-1‘नाटो सदस्य देशों की सीमा के पार और इतनी लंबी सैन्य मुहिम में शामिल होते समय कौनसी चुनौती और खतरे होते हैं, यह बात अफ़गानिस्तान के २० वर्षों के संघर्ष की वजह से सामने आयी। इसका मतलब इसके बाद ऐसी आतंकवाद या चरमपंथीयों के विरोधी मुहिमों में नाटो शामिल नहीं होगी, यह नहीं होता’, ऐसा कहकर आगे भी इस तरह की कार्रवाईयाँ होती रहेंगी, ऐसे संकेत स्टोल्टनबर्ग ने दिए।

अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों को अफ़गानिस्तान में आश्रय नहीं मिलेगा, मानव अधिकारों का पालन होगा और अफ़गानिस्तान से बाहर निकलनेवालों को सुरक्षित मार्ग प्रदान किया जाएगा, यह तालिबान ने नाटो और सहयोगी देशों के सामने स्वीकारा था। इस पर अमल करना तालिबान की ज़िम्मेदारी है, यह इशारा स्टोल्टनबर्ग ने दिया होने की बात अफ़गान वृत्तसंस्था ने प्रसिद्ध की है।

शुक्रवार के दिन नाटो सदस्य देशों के रक्षामंत्रियों की अहम बैठक हो रही है। अमरीका के रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन गुरूवार के दिन ही ब्रुसेल्स पहुँचे और उन्होंने स्टोल्टनबर्ग से मुलाकात की। रशिया ने भी तालिबान के साथ बैठक का आयोजन किया था। इसमें भारत, चीन, पाकिस्तान, तुर्की एवं अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों का समावेश था। अमरीका ने इस बैठक में शामिल होने से इन्कार किया था। इसके बाद नाटो ने इस बैठक का आयोजन किया है। नाटो ने यह बैठक आयोजित करने में दिखाई तेज़ी काफी कुछ बयान करती है। अफ़गानिस्तान के मसले में रशिया को हस्तक्षेप करने की एवं इसके ज़रिये अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर नहीं दिया जाएगा, यह संदेश भी नाटो ने दिया है। नाटो के प्रमुख ने तालिबान को दिया हुआ इशारा भी यही बात रेखांकित कर रहा है।

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