‘कोपनहेगन डेमोक्रसी समिट’ में तैवान की मौजूदगी होने से चीन की बौखलाहट

डेमोक्रसी समिट, आयोजित, कोपनहेगन डेमोक्रसी समिट, कोपनहेगन, यूरोप, आलोचना, चीन, तैवान, डेन्मार्ककोपनहेगन/बीजिंग – यूरोप के कोपनहेगन शहर में आयोजित ‘डेमोक्रसी समिट २०२१’ में तैवान के राष्ट्राध्यक्ष की मौजूदगी से चीन को बड़ी मीर्च लगी है। चीन के विदेश मंत्रालय ने यह परिषद यानी सिर्फ राजनीतिक फार्स होने का बयान किया है। इसी बीच चीन के माध्यम एवं विश्‍लेषकों ने यूरोप की यह परिषद यानी पराभूतों के मोर्चे के लिए तैयार किया गया रंगमंच था, ऐसी आलोचना की है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैवान का स्थान मिटाने के लिए चीन की हुकूमत लगातार आक्रामक कोशिशें कर रही है। लेकिन, इसे ज्यादा कामयाबी प्राप्त नहीं हो रही है और बीते वर्ष से विश्व स्तर पर तैवान को प्राप्त हो रहा समर्थन बढ़ता हुआ दिख रहा है।

डेमोक्रसी समिट, आयोजित, कोपनहेगन डेमोक्रसी समिट, कोपनहेगन, यूरोप, आलोचना, चीन, तैवान, डेन्मार्कडेन्मार्क के पूर्व प्रधानमंत्री एँडर्स फॉग रासमुसेन ने गठित किए ‘अलायन्स ऑफ डेमोक्रसीस’ नाम संगठन द्वारा वर्ष २०१८ से लगातार ‘डेमोक्रसी समिट’ का आयोन हो रहा है। इस वर्ष आयोजित किए गए परिषद में शामिल वक्ताओं में तैवान की राष्ट्राध्यक्षा ‘त्साई इंग-वेन’ की भी उपस्थिति रही। वीडियो कान्फरन्सिंग के माध्यम से इस परिषद में शामिल हुई ‘त्साई इंग-वेन’ ने ‘सिक्युरिंग डेमोक्रसी-तैवान्स एक्सपिरिअन्स’ विषय पर अपनी भूमिका रखी।

चीन का ज़िक्र किए बगैर एकाधिकारशाही की हुकूमत और वर्चस्ववादी नीति की आलोचना करके विश्‍व के लोकतांत्रिक देशों ने इसके लिए एकजुट होने की आवश्‍यकता का इशारा तैवान की राष्ट्राध्यक्षा ने दिया। स्वतंत्रता, कानून का पालन, मानव अधिकार के मुद्दों पर संगठन मजबूत करने का निवेदन भी उन्होंने इस दौरान किया। ‘एकाधिकारशाही का इस्तेमाल करनेवाले कुछ देश कोरोना संक्रमण का लाभ उठाकर नियमों की बुनियाद पर विश्व व्यवस्था बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार का दायरा सुरक्षित करना ज़रूरी है और लोकतांत्रिक देशों ने एकजुट होकर सप्लाय चेन्स सुरक्षित रखने पर जोर देना होगा’, ऐसा बयान तैवान की राष्ट्राध्यक्षा ‘त्साई इंग-वेन’ ने किया।

डेमोक्रसी समिट, आयोजित, कोपनहेगन डेमोक्रसी समिट, कोपनहेगन, यूरोप, आलोचना, चीन, तैवान, डेन्मार्कतैवान की राष्ट्राध्यक्षा को अंतरराष्ट्रीय रंगमंच पर सम्मान के साथ स्थान प्राप्त होना चीन के लिए झटका देनेवाली घटना साबित हुई है। चीन ने बीते वर्ष से तैवान को स्वतंत्र स्थान प्राप्त ना हो सके, इसके लिए आक्रामक कोशिश शुरू की है। कुछ छोटे देशों पर दबाव बनाकर उन्हें तैवान के साथ जारी संबंध खंड़ित करने के लिए मज़बूर किया गया है। ऐसे में ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन’ जैसी यंत्रणा में तैवान को स्थान प्राप्त ना होने देने के लिए चीन ने अपनी आर्थिक और राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करने की बात भी स्पष्ट हुई है। ऐसी पृष्ठभूमि पर यूरोप में आयोजित समिट में देखी गई तैवान की मौजूदगी पर चीन ने कड़ी आलोचना की है।

‘चीन संबंधित अफवाह और झूठी बातें फैला रही संस्था ने कोपनहेगन में इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। यह कार्यक्रम यानी मात्र राजनीतिक फार्स था। अन्य देशों को दबाने के लिए लोकतंत्र राजनीतिक साधन साबित ना हो। यूरोपियन नेता लोकतंत्र की असली व्याख्या समझ लें और जनता के हित के लिए काम करें’, ऐसी आलोचना चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने की है। डेन्मार्क स्थित चीन के दूतावास ने भी इस समिट की आलोचना की है और पश्‍चिमी नेता ढ़ोंग करते हैं, यह आरोप भी लगाया है।

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