सर्वोच्च न्यायलय के ४ न्यायमूर्ती द्वारा सरन्यायाधीश पर गंभीर आरोप

न्यायाधीश चेलमेश्वर और डी.राजा के भेंट से खलबली

नई दिल्ली: भारतीय न्याय संस्था के इतिहास में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय के ४ न्यायाधीशों ने पत्रकार परिषद का आयोजन करके सरन्यायाधीश के कार्य प्रणाली को लक्ष्य किया है। इसे कुछ ही मिनट हो रहे थे, कि ४ न्यायाधीशों में एक, जे.चेलमेश्वर की कम्युनिस्ट पक्ष के नेता डी.राजा से मुलाकात होने से नया विवाद भड़का है। उसके बाद देशभर में प्रसार माध्यमों के साथ सोशल मीडिया पर चर्चा बढ़ती दिखाई दे रही है। न्याय व्यवस्था की समस्या पर कोई भी राजनीति न करे, ऐसा आवाहन भूतपूर्व न्यायाधीशों के साथ प्रख्यात विधि तज्ञो से किया जा रहा है।

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देश को अकल्पनीय झटका देनेवाले इस पत्रकार परिषद की खबरें सामने आ ही रही थी, के न्यायाधीश जे.चेलमेश्वर ने अपने निवास स्थान में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीबीआई) के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा के सदस्य डी.राजा से मुलाकात की है। इन दोनों की लगभग २० मिनट चर्चा होने की जानकारी एक वृत्त संस्था ने प्रसिद्ध की है। तथा इस मुलाकात में क्या हुआ है? ऐसा प्रश्न भी इस वृत्त माध्यम के पत्रकारों ने डी.राजा से किया था। उसे उत्तर देते हुए डी.राजा ने न्यायाधीशों के साथ क्या हुआ है, यह जानने के लिए न्यायाधीश जे.चेलमेश्वर के घर आने का स्पष्टीकरण दिया है।

पर इनकी उपस्थिति एवं उसके पीछे का हेतु इस न्याय व्यवस्था में क्या राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं ठहरता? इस प्रश्न को डी.राजा ने सीधे उत्तर नहीं दिया है। संसद सदस्य के तौर पर यह अपना अधिकार होने की बात राजा ने कही है। पर संसद में इसके लिए क्या अपनी नियुक्ति की थी? इस प्रश्न को राजा ने नजरअंदाज किया है। इसके बाद वृत्त माध्यमों ने दिए मुलाकात में भी राजा ने अपने भेंट का राजनैतिक अर्थ न निकाला जाए, ऐसा आवाहन किया है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने पत्रकार परिषद आयोजित करके, अपनी शिकायत करने की भूमिका ली थी। यह सभी के चिंता का विषय माना गया है। यह देश के एवं जनतंत्र के भविष्य से संबंधित बात है। इसके बारे में जानना आवश्यक है ऐसा प्रतीत होने से न्यायाधीश चेलमेश्वर से मुलाकात करने की बात डी. राजा ने कही है। पर इस मुलाकात में न्यायाधीश चेलमेश्वर ने क्या कहा है, इसकी जानकारी डी.राजा ने उजागर नहीं की है।

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दौरान न्यायाधीश चेलमेश्वर और डी.राजा इनके मुलाकात के कुछ समय पहले संपन्न हुए पत्रकार परिषद में न्यायाधीश चेलमेश्वर इनके साथ सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायाधीश मदन लोकुर और न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने सर्वोच्च न्यायालय के २ महीनो से शुरू होने वाले कामकाज पर नाराजगी व्यक्त की है। सर्वोच्च न्यायालय के सामने आए मुकदमों के लिए अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का काम सरन्यायाधीश से किया जाता है। सरन्यायाधीश दीपक मिश्रा यह चुनाव करते हुए अपने मर्जी के न्यायाधीशों को काम देते हैं, ऐसा आरोप ४ न्यायाधीशो ने किया है।

सारे प्रमाण बाजू में रखकर अदालत के लिए न्यायाधीशों ने ऐसे रूप से चुनाव होना गलत बात है। देश के भविष्य पर प्रभाव डालने वाले मुकदमों के निर्णयों पर इसका परिणाम हो सकता है, ऐसा कहकर इन चारो न्यायाधीशों ने सरन्यायाधीश के विरोध में गंभीर आरोप किए हैं। इस बारे में हमने सरन्यायाधीश दीपक मिश्रा इनको पत्र भेजा था। पर उसे प्रत्युत्तर ना मिलने की वजह से हमने जनता के सामने अपनी बात प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है। आने वाले समय में अगर यह गलत पद्धति शुरू हुई तो उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं है, ऐसा स्पष्ट करने के लिए हमने यह कदम उठाने की बात चारों न्यायाधीशों ने स्पष्ट की है।

चुनने का संपूर्ण अधिकार सरन्यायाधीशों को होता है, ऐसा भूतपूर्व न्यायाधीश एवं विधि तज्ञ कह रहे हैं। ऐसे समय न्याय व्यवस्था में इस समस्या का राजनीतिक विवाद में रूपांतर ना हो ऐसी अपेक्षा व्यक्त की जा रही है।

इस पत्रकार परिषद के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद एवं वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। पर केंद्र सरकार न्याय व्यवस्था के इस समस्या में हस्तक्षेप नहीं करेगा, ऐसा सरकार से कहा जा रहा है। तथा सरकार ने इससे पहले भी के हस्तक्षेप की वजह से यह समस्या निर्माण हुई है, ऐसा दावा विरोधी पक्ष नेता कर रहे हैं।

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