नौसेना की ‘स्टेल्थ’ विध्वंसक से किया गया ‘सुपरसोनिक ब्रह्मोस’ का परीक्षण

नई दिल्ली – भारत ने रविवार के दिन नौसेना के लिए तैयार किए गए ‘सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल’ का परीक्षण किया। स्वदेशी ‘स्टेल्थ’ विध्वंसक ‘आयएनएस चेन्नई’ से यह मिसाइल दागी गई। इस परीक्षण के दौरान दागी गई ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल ने अरब सागर में तय किए लक्ष्य को बड़ी सटीकता से निशाना किया। ‘स्टेल्थ’ क्षमता की वजह से ‘आयएनएस चेन्नई’ को शत्रु की राड़ार यंत्रणा भी पकड़ नहीं सकती, तभी ‘सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल’ ध्वनि की तीगुनी गति से शत्रु पर धांवा कर सकती है। इस वजह से ब्रह्मोस का यह परीक्षण सबसे अधिक भेदक समझा जाता है। बीते महीने में ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल का किया गया यह दूसरा परीक्षण है। सेना के लिए तैयार किए गए ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर तैनात किए गए हैं।

india-brahmosभारत की ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) और रशिया की ‘एरोस्पेस कंपनी’ ने संयुक्त कोशिश से ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल का निर्माण किया है। यह मिसाइल सेना के मोबाईल लौंचर, नौसेना के विध्वंसक एवं पनडुब्बी से एवं वायुसेना के लड़ाकू विमानों से भी दागी जा सकती है। ऐसी ४०० किलोमीटर मारक क्षमता की नौसेना के लिए तैयार की गई ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल का रविवार को परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के दौरान २.८ मैक यानी ध्वनी के करीबन तीगुनी गति से ब्रह्मोस ने अरब सागर में तय अपने लक्ष्य को सटीकता निशाना किया। शत्रु की पनडुब्बी, विध्वंसक को डुबोने की क्षमता यह मिसाइल रखती है।

‘आयएनएस चेन्नई’ यह विध्वंसक ‘स्टेल्थ’ तकनीक से लैस है और शत्रु की राड़ार यंत्रणा भी भारत की इस विध्वंसक को पकड़ नहीं सकती, इसी कारण ‘आयएनएस’ चेन्नई’ से ‘सुपरसोनिक ब्रह्मोस’ मिसाइल का किया गया यह परीक्षण भारतीय नौसेना को अधिक ताकतवर बनानेवाली साबित हुई है। ‘डीआरडीओ’ और भारतीय रक्षाबलों ने बीते महीने से ‘ब्रह्मोस’ का दूसरी बार परीक्षण किया है। इससे पहले ३० सितंबर को ओड़िशा के चांदिपुर स्थित टेस्ट रेंज से सुधारित मारक क्षमता के ब्रह्मोस का परीक्षण किया गया था।

india-brahmosफिलहाल २९० किलोमीटर मारक क्षमता के सेना के लिए तैयार किए गए ‘ब्रह्मोस मिसाइल’ पहले ही लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के लष्करी अड्डों पर तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही लेह-लद्दाख के हवाई अड्डों पर तैनात वायुसेना के लड़ाकू ‘सुखोई-३०एमकेआय’ विमानों पर भी ‘ब्रह्मोस’ की तैनाती की गई है। यह मिसाइल शत्रु की सीमा में स्थित आतंकियों के ठिकाने, बंकर्स, कमांड कंट्रोल सेंटर्स और विमान वाहक युद्धपोत को भी तबाह कर सकती है। प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर इस मिसाइल की मारक क्षमता में की गई बढ़ोतरी चीन के लिए इशारा देनेवाली साबित हुई थी।

बीते ४० दिनों के दौरान ‘डीआरडीओ’ और भारतीय रक्षाबलों ने ११ मिसाइलों के १२ परीक्षण किए हैं। इनमें सेना के लिए बनाए गए टैंक विरोधी ‘लेज़र गायडेड’ मिसाइलों के साथ परमाणु वाहक शौर्य और पृथ्वी-२, वायुसेना के ‘अभ्यास ड्रोन’, ‘एचएसटीडीवी’ हायपरसोनिक मिसाइल, शत्रु की राड़ार यंत्रणा तहस नहस करनेवाली ‘रुद्रम-१’ एवं नौसेना के लिए तैयार की गई पनडुब्बी विरोधी ‘स्मार्ट टोर्पेडो’ एवं ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों का समावेश है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना के ‘सुखोई-३० एमकेआय’, जैग्वार, मिराज-२००० इन लड़ाकू विमानों ने और ग्लोबमास्टर, हर्क्युलिस, आयएल-७६, चिनूक इन भारी सामान का परिवहन करनेवाले विमान और हेलिकॉप्टर्स की दिन-रात उड़ान भरने की संख्या बढ़ाई गई है। भारतीय नौसेना ने इस दौरान अमरीका, जापान की युद्धपोतों के साथ हिंद महासाग एवं बंगाल की खाड़ी में युद्धाभ्यास का भी आयोजन किया था।

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