‘पीओके’ में पाकिस्तान और चीन के विरोध में हुए जोरदार प्रदर्शन

मुज़फ्फ़राबाद – नीलम और झेलम नदी पर चीन द्वारा निर्माण हो रहे बाँध के खिलाफ़ पाकिस्तान ने कब्ज़ा किए कश्‍मीर (पीओके) में जनता रास्तों पर उतरी है। सोमवार के दिन जनता ने जलती मशालों के साथ चीन और पाकिस्तान के खिलाफ़ जोरदार नारेबाज़ी की। यहां पर विकास प्रकल्प शुरू करने के दौरान स्थानीय नागरिकों के हितों का विचार नहीं किया जाता, ऐसी शिकायतें पीओके की जनता करती है। सिर्फ पीओके ही नहीं बल्कि सिंध, बलोचिस्तान प्रांत में भी चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के विरोध में ऐसे ही असंतोष व्यक्त हो रहा है।

China-POKकुछ महीने पहले पाकिस्तान और चीन के बीच ‘पीओके’ में आज़ाद पट्टान और कोहला जल बिजली प्रकल्प का निर्माण करने के लिए समझौता हुआ था। ‘पीओके’ के नीलम और झेलम नदी पर इन प्रकल्पों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से आज़ाद पट्टान यह ‘७०७ मेगावाट’ का प्रकल्प है और यह ‘सीपीईसी’ का हिस्सा है। चीन की कंपनी ने इस प्रकल्प में १.५४ अरब डॉलर्स का निवेश किया है। तभी कोहला जल बिजली प्रकल्प इस्लामाबाद से ९० किलोमीटर दूरी पर होने से पाकिस्तान के लिए बड़ा अहम साबित होता है। चीन के थ्री जॉर्जेस कंपनी ने इस प्रकल्प में निवेश किया है और वर्ष २०२६ तक इस प्रकल्प का निर्माण पूरा होगा।

लेकिन, इन जल-बिजली प्रकल्पों के लिए नीलम और झेलम नदियों का प्रवाहों को मोड़ा जाएगा, ऐसे आरोप स्थानीय लोग कह रहे हैं। इसी वजह से हमारी नदीयां बहने दो और हमें जीने दो, ऐसा पुख्ता संदेश स्थानीय प्रदर्शनकारी चीन और पाकिस्तान को दे रहे हैं। इस प्रकल्प के माध्यम से पीओके में दखलअंदाज़ी करनेवाले चीन को उनका हस्तक्षेप रोकने के लिए, दर्या बचाओ नामक समिती ने पीओके में पाकिस्तान और चीन के खिलाफ़ प्रदर्शन शुरू किए हैं। इसे स्थानीय लोगों का जोरदार समर्थन प्राप्त हो रहा है। जब तक पाकिस्तान यह प्रकल्प रद नहीं करता और चीन यहां से बाहर नहीं निकलता तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेंगे, यह इशारा इस समिती ने दिया है। नीलम झेलम बहने दो, हमें ज़िंदा रहने दो ऐसी नारेबाज़ी के साथ ‘पीओके’ के शहर गूँज उठा है। इस वजह से पाकिस्तान सरकार की चिंता में बढ़ोतरी हुई है।

इसी बीच सीपीईसी में भ्रष्टाचार होने के मामले सामने आए हैं। पाकिस्तानी सेना का इसमें हाथ होने की बात भी सामने आयी है। इसी बीच पीओके में प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं। लेकिन, पाकिस्तान की सरकार और सेना भारत द्वेष का इस्तेमाल करके पाकिस्तानी जनता का इस मुद्दे से ध्यान हटाकर दूसरी ओर मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

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