’नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ के तहत श्रीलंका के लिए भारत की प्राथमिकता रहेगी – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व में आत्मविश्‍वास दिख रहा है। उनकी जीत से भारत और श्रीलंका के संबंधों का नया अध्याय शुरू हुआ है। ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ और ‘सागर’ के तहत श्रीलंका के लिए भारत प्राथमिकता देगा, ऐसा वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। शनिवार के दिन भारत और श्रीलंका के प्रधानमंत्रियों की वर्च्युअल बैठक हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी बोल रहे थे।

india-srilankaप्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक के शुरू में ही हाल ही में प्रधानमंत्री बने महिंदा राजपक्षे का अभिनंदन किया। भारत और श्रीलंका के संबंधों का हज़ारों वर्षों का इतिहास है। इसके आगे भी यह सहयोग ऐसे ही जारी रहेगा, यह बयान प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान किया।

कोरोना वायरस के संकट के दौर में भारत ने श्रीलंका को प्रदान की हुई सहायता के लिए श्रीलंका के प्रधानमंत्री राजपक्षे ने भारत के प्रति आभार व्यक्त किया। भारत हमारे साथ है, यह विश्‍वास इस संकट के दौर में भारत ने श्रीलंका को दिया है, यह बात राजपक्षे ने इस दौरान कही। साथ ही श्रीलंका के ‘एमटी डायमंड’ जहाज में लगी आग के बाद भारतीय नौसेना ने किया हुआ सहयोग श्रीलंका के लिए अनमोल होने की बात राजपक्षे ने रेखांकित कही।

भारत-श्रीलंका की इस ‘वर्च्युअल’ बैठक में दोनों देशों ने व्यापारी सहयोग के मुद्दे पर भी चर्चा की। श्रीलंका ने भारत के कुछ उत्पादनों पर फिलहाल प्रतिबंध घोषित किए हैं। इसे शिथिल करने की माँग प्रधानमंत्री मोदी ने राजपक्षे के सामने रखी। साथ ही भारत ने श्रीलंका के सामने एअर बबल का प्रस्ताव भी रखा।

इस वर्ष की शुरुआत में भारत और श्रीलंका के बीच ४० करोड़ डॉलर्स के ‘करन्सी स्वैप’ का समझौता हुआ था। इस पर और कर्ज का भुगतान करने पर दोनों देशों के नेताओं ने चर्चा की है। इसके साथ भारत ने बौद्ध संस्कृति का प्रसार करने के लिए श्रीलंका को १.५० करोड़ डॉलर्स की आर्थिक सहयाता देने का ऐलान किया।

इसी बीच श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष गोताबाया राजपक्षे ने श्रीलंका हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी देश के वर्चस्व के खिलाफ़ होने की बात कहकर चीन को इशारा दिया था। चीन के कर्ज़ के शिकंजे में फंसी श्रीलंका अब भारत के पक्ष में झुक रही है। श्रीलंका की विदेश नीति में भारत का स्थान अहम रहेगा, यह संदेश भी श्रीलंका ने दिया है। इस पृष्ठभूमि पर भारत और श्रीलंका के बीच हुई यह वर्च्युअल बैठक अहम साबित होती है।

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