आगरतला-अखुरा रेल प्रकल्प को गति – रेलमंत्री पियुष गोयल

गुवाहाटी – आगरतला से बांगलादेश स्थित अखुरा के बीच १२ किलोमीटर दूरी के रेल मार्ग का निर्माण कार्य गतिमान किया गया है और जल्द ही इस मार्ग का काम पूरा होगा। इस मार्ग की वजह से त्रिपुरा और कोलकाता जाने की दूरी १,१०० किलोमीटर घटेगी, यह जानकारी रेलमंत्री पियुष गोयल ने साझा की। साथ ही ईशान्य के आठ राज्य रेल मार्ग से एक-दूसरे से जोड़ने का काम जारी होने की बात भी रेलमंत्री गोयल ने कही।

agartala-akhura-railwayदक्षिणी त्रिपुरा में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज़) के शिलान्यास समारोह में बोलते समय केंद्रीय रेलमंत्री गोयल ने भारत-बांगलादेश के बीच निर्माण हो रहे इस रेल मार्ग की जानकारी साझा की। साथ ही ईशान्य के राज्य रेल मार्ग से एक-दूसरे से जोड़े जाएंगे, यह बयान भी उन्होंने किया। पूर्वोतर सीमांत रेलवे (एनएफआर) ने पहले ही असम के मुख्य शहर गुवाहाटी, त्रिपुरा की राजधानी आगरतला और अरुणाचल प्रदेश के इटानगर को रेल से जोड़ा जा रहा है, इस पर गोयल ने ध्यान केंद्रीत किया।

उत्तरपूर्व राज्यों का विकास होने पर आग्नेय एशियाई देशों के साथ जारी व्यापार, पर्यटन बढ़ाने के लिए बड़ी सहायता प्राप्त होगी। साथ ही ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति को भी इससे मज़बूती प्राप्त होगी। इसकी वजह से यहां की बुनियादी सुविधाओं के विकास की ओर प्राथमिकता से ध्यान केंद्रीत किया जा रहा है, ऐसा बयान रेलमंत्री गोयल ने किया।

त्रिपुरा से कोलकाता रेलमार्ग की दूर १,५२९ किलोमीटर है। लेकिन, त्रिपुरा और बांगलादेश के बीच निर्माण हो रहे आगरताला-अखुरा रेल मार्ग के चलते यही दूरी १,१०० किलोमीटर से घट जाएगी, ऐसी जानकारी गोयल ने साझा की। इस रेल मार्ग के निर्माण कार्य को गति प्रदान की गई है और जल्द ही इस मार्ग का निर्माण कार्य पूरा होगा, यह बात उन्होंने कही।

agartala-akhura-railwayभारत और बांगलादेश के सहयोग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और रास्ते, जल और रेलमार्ग से दोनों देशों को जोड़ने की कोशिश जारी है। भारत और बांगलादेश के बंद पड़े सात रेल मार्ग शुरू किए जा रहे हैं। इनमें से चार मार्ग शुरू हुए हैं और तीन मार्गों पर निर्माण कार्य शुरू है। आगरतला से अखुरा के बीच तैयार हो रहे मार्ग की वजह से प्रमुखता से त्रिपुरा और कोलकाता का सफर अधिक आरामदायी होगा और इसमें समय की बड़ी बचत होगी।

दो महीने पहले ही बांगलादेश के चितगोंग बंदरगाह के मार्ग से कोलकाता से समुद्री रास्ते से आगरतला के लिए कंटेनर जहाज़ भेजा गया था। इस मार्ग की वजह से ईशान्य भारत में जीवनावश्‍यक सामान की आपूर्ति के लिए नया मार्ग उपलब्ध हुआ है। इसके बाद नदी के रास्ते से भी बांगलादेश और त्रिपुरा के बीच सामान की यातायात शुरू हुई है।

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