भारत में ‘ई-कार’ के लिए आवश्‍यक ‘बैटरीज़’ का निर्माण करनेवाली कंपनियों के लिए बनेगी विशेष योजना

नई दिल्ली – सरकार देश में ‘ईलेक्ट्रिक वेहिकल्स’ का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए प्रगत ‘बैटरीज्‌’ का निर्माण करनेवाले प्रकल्प स्थापित करनेवाली कंपनियों के लिए ४.६ अरब डॉलर्स प्रोत्साहन के स्वरूप में देने की योजना बना रही है, ऐसा समाचार प्राप्त हुआ है। नीति आयोग ने इस योजना से संबंधित एक रपट भी तैयार की है।

e-vehicleवर्ष २०३० तक भारत के रास्तों पर ‘ई-गाड़ियां’ दौड़ने लगेंगी तो इंधन की भारी आयात कर रहे भारत के इंधन बिल की राशी ४० अरब डॉलर्स से घटेगी, ऐसा विश्‍वास नीति आयोग ने व्यक्त किया है। मौजूदा स्थिति में भारत की ‘बैटरी एनर्जी स्टोरेज इंडस्ट्री’ बिल्कुल प्राथमिक चरण में है। इसी कारण देश में ‘ई-गाड़ियों’ के लिए आवश्‍यक बैटरीज्‌ के प्रकल्प स्थापित करनेवाली कंपनियों के लिए ४.६ अरब डॉलर्स की राशि प्रोत्साहन के स्वरूप देने की दिशा में सरकार की कोशिश जारी होने का समाचार है।

इससे संबंधित रपट भी नीति आयोग ने तैयार की है और मंत्रिमंडल की बैठक में इस रपट पर बातचीत होने की संभावना है। इस रपट के अनुसार भारत में ‘ई-कार’ के लिए आवश्‍यक बैटरीज़ बनानेवाली कंपनियों को अगले वर्षों में ९ अरब डॉलर्स प्रोत्साहन के तौर पर प्रदान किए जाएंगे। साथ ही इस तरह की बैटरीज्‌ के लिए भारत २०२२ तक आयात कर पांच प्रतिशत करने का विचार कर रहा है। इसके बाद यह कर १५ प्रतिशत किया जाएगा। इस नीति का लाभ दक्षिण कोरिया और जापान की कंपनियों को होगा। ८० प्रतिशत लिथियम आयन सेल का निर्माण चीन में ही हो रहा है। लेकिन, भारत-चीन संघर्ष के बाद भारत ने चीनी कंपनियों के लिए व्यापारी नियम सख्त किए हैं। इस पृष्ठभूमि पर नीति आयोग का प्रस्ताव ध्यान आकर्षित करता है।

भारत जैसे विशाल जनसंख्या के देश में बीते वर्ष मात्र ३,४०० ‘ई-गाड़ियों’ की बिक्री हुई। लेकिन, ई-गाड़ियों’ का इस्तेमाल बढ़ने पर इंधन की काफी बचत हो सकेगी। साथ ही प्रदुषण में भी कमी होगी। यह ध्यान में रखकर भारत ने वर्ष २०३० तक रास्तों पर १०० ई-गाड़ियां दौड़ेंगी, यह उद्देश्‍य रखा है। इसके लिए भारत ने पुख्ता कदम उठाए हैं। इसी बीच, कुछ दिन पहले विश्‍व में ‘ई-कार’ क्षेत्र की शीर्ष कंपनी टेस्ला ने भारत के बंगलुरू में रिसर्च डेवलपमेंट सेंटर का निर्माण करने की तैयारी शुरू की है, यह समाचार भी प्रसिद्ध हुआ था।

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