दक्षिण कोरिया के रक्षामंत्री तीन दिन के भारत दौरे पर

नई दिल्ली – दक्षिण कोरिया के रक्षामंत्री सुह वूक का तीन दिन का भारत दौरा शुरू हो रहा है। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच रक्षा विषयक सहयोग अधिक ही दृढ़ और व्यापक करने के हेतु से उनका यह दौरा आयोजित किया गया है, ऐसा बताया जाता है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंग और रक्षामंत्री सुह वूक की चर्चा में, दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण समझौते अपेक्षित हैं। इनमें सागरी बारूद नाकाम करनेवाला ‘माईन स्वीपर’ जहाज़ दक्षिण कोरिया से किराए पर लेने के समझौते का समावेश है, ऐसा बताया जाता है। भारत का नैसर्गिक प्रभाव होनेवाले सागरी क्षेत्र में चीन की नौसेना कर रही हरकतों की पृष्ठभूमि पर, भारत और दक्षिण कोरिया के बीच का यह सहयोग अहम साबित होता है।

दक्षिण कोरिया के रक्षामंत्री तीन दिन के भारत दौरे परपिछले साल के दिसंबर महीने में भारत के लष्कर प्रमुख जनरल नरवणे दक्षिण कोरिया के दौरे पर गए थे। इस समय उन्होंने दक्षिण तथा उत्तर कोरिया का विभाजन करनेवाली सीमा का भी मुआयना किया था। उनकी यह भेंट बहुत चर्चा में रही और उससे यही संदेश मिला था कि भारत का दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा विषयक सहयोग अधिक ही व्यापक बना है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारतीय नौसेना की कार्रवाई को सहयोग तथा आवश्यक सहायता की आपूर्ति करने के संदर्भ में समझौता, जनरल नरवणे की इस दक्षिण कोरिया भेंट के दौरान हुआ था। उससे पहले, रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने दक्षिण कोरिया का दौरा किया था। अत्याधुनिक लष्करी तंत्रज्ञान होनेवाले देशों में दक्षिण कोरिया का समावेश है। इस कारण इस देश के साथ भारत का रक्षाविषयक सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होता है।

इससे पहले दक्षिण कोरिया ने भारत को ‘के९ वज्र’ यह हॉवित्झर तोप बनाने के तंत्रज्ञान की आपूर्ति की थी। उसका इस्तेमाल करके भारत की लार्सन अँड टुब्रो कंपनी ने १०० ‘के९ वज्र’ तोपें बनाईं थीं। यह समझौता फिर से होगा, ऐसी उम्मीद ज़ाहिर की जा रही है। उसी समय, समुद्री सतह तथा समुद्री तल पर बिछाए बारूदों को नाकाम बनानेवाला माईन स्वीपर जहाज़ दक्षिण कोरिया से किराए पर लेने के लिए भारत उत्सुक है, ऐसा बताया जाता है। रक्षामंत्री सुह वूक के इस दौरे में उसपर फैसला अपेक्षित है। इनके साथ बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर, यह बात बहुत ही अहम साबित होती है।

हिंद महासागर और उसके पार होनेवाले क्षेत्र में चीन खास दिलचस्पी दिखा रहा है। भारत को इसी क्षेत्र में घेरने की चीन की कोशिश होकर, उसके लिए चीन की नौसेना ने इस क्षेत्र में अपनी आवाजाही योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाई है। इससे भारत के हितसंबंधों को बहुत बड़ा खतरा संभव होता है। इसीलिए देश की नौसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार कोशिशें जारी होकर, इस मोरचे पर भारत दक्षिण कोरिया से सहयोग ले रहा है। भारत जिस माइनस्वीपर जहाज़ को इस देश से किराये पर लेने के लिए उत्सुक है, उसके संदर्भ में होनेवाले समझौते का महत्व इसी कारण बढ़ा है, ऐसा माध्यमों का कहना है।

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