भारत और चीन सीमा विवाद को गंभीरता से सुलझाए- परराष्ट्र सचिव एस.जयशंकर

 

सिंगापूर, दि.११:  “भारत और चीन के बीच आज उभरे सीमा विषयक समस्याएँ समझौते से सुलझी हैं, पर अब की बार इस तरह से विवाद नहीं सुलझेगा, यह मानना गलत होगा” ऐसाकहते हुए भारत के परराष्ट्र सचिव एस.जयशंकरने चीन से उभरे तनाव को सुलझने के संकेत दिये। दोनो देशों के बीच शुरू इस समस्या को गंभीरता से सुलझाने का प्रयास करने की अपील भी की है।

सीमा विषयक समस्याएँ

भारत और चीन की सीमा बहुत बडी है। इस सीमा को कभी जमीन पर नापा नहीं गया इस कारण वश आजतक दोनो देशों में सीमा को लेकर अनबन चलती रही। अबतक दोनों देशों ने सुझ बुझ से समस्या सुलझाई है और आगे भी इसी सुझ बूझ से दोनों देश अपनी समस्या सुलझाएँ” ऐसा आवाहन परराष्ट्र सचिवने किया. भारत और चीन के संबंध अनेक मामलों में थे. आतंकवाद और परमाणु उर्जा को लेकर भी दोनों देशो में मतभेद हुए। पिछले महिने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपती शी जिनपिंग में हुई मुलाकात में अनेक मसलों पर बातें हुई और सहमती हुई। यह मुलाकात दोनों देशों की सुझ बुझ का प्रमाण कहा जा सकता है” यह बात कहते हुए सिक्कीम सीमा में उभरी समस्या गंभीर स्वरूप धारण नहीं करेगी यह संकेत परराष्ट्र सचिव एस.जयशंकर दिये।

डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक एक दुसरे के सामने खडे होने पर चीन ने भारत को सेना को पिछे लेने का आवाहन किया था और भारत ने उसे नहीं माना। इस बात को लेकर चीन ने भारत को धमकाना शुरू किया और भारत को १९६२ के युद्ध की याद दिलाई। अबकी बार अगर युद्ध हुआ तो भारत की अवस्था जटील हो जायेगी यह धमकी भी चीनी मध्यामो से मिली। डोकलाम के सीमा प्रश्न को लेकर चीन भारत से फिर युद्ध करेगा यह चेतावनी चीन लगातार भारत को दे रहा है। भारत चीन की चेतावनियों को नजर अंदाज करते देख चीन ने धमकियों की तीव्रता को और बढाया है। जैसे भारत ने भूतान में अपनी सेना घुसाई थी, उसी तऱह पाकिस्तान व्याप्त कश्मीर में हम अपनी सेना घुसाकर भारत को मुहतोड़ जवाब देंगे यह धमकी चीन के एक लष्करी विश्लेषक ने दी।

चीन की इन धमकियों को लेकर भारत ने कठोर शब्दों में प्रति उत्तर को टाला। राजनैतिक स्तर पर चर्चा से समस्या को सुलझाने की नीति को भारत के परराष्ट्र मंत्रालय ने स्वीकारा। पर जब तक भारत अपनी सेना पिछे नहीं लेता, चीन चर्चा के लिये विरोध कर रहा था। पिछले कुछ दिनों से चीन का ठोस रुख सौम्य हुआ दिखाई दिया।

चीन से आनेवाली चेतावनियाँ अभी भी शुरू थी, पर जी-२० के बैठक के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति से चर्चा होने का वृत्त है।यह चर्चा द्विपक्षीय नही थी यह कहते हुये चीनी माध्यमों ने बात को छिपाने की कोशिश की पर फिर भी चीन का कडा रुख सौम्य होता दिखाई दिया।

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