चीनी सैनिकों का मनोबल टूट चुका है – जापान के शीर्ष अखबार का दावा

टोकियो/बीजिंग – स्वयं को बड़े गर्व से विश्‍व की सबसे बड़ी सेना कहलाने वाली चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ का मनोबल टूट चुका है, यह दावा जापान के शीर्ष अखबार ने किया है। इसके लिए चीन की ‘वन चाईल्ड पॉलिसी’ और चीनी समाज के सामाजिक एवं सांस्कृतिक मुद्दे कारण बनने का बयान ‘निक्केई’ नामक जापानी अखबार में प्रसिद्ध किए लेख में किया गया है। सैनिकों का मनोबल खोना युद्ध में घातक साबित हो सकता है, इस बात का अहसास होने पर चीनी शासकों ने मिसाइल और ड्रोन्स पर अधिक जोर देना शुरू किया है, इस ओर वर्णित अखबार ने ध्यान आकर्षित किया है।

chinese-military-japanचीन की हुकूमत ने बीते वर्ष से किए हुए निर्णयों का ज़िक्र जापान के अखबार ने किया है। इनमें से पहला निर्णय चीन में रेतीले इलाके में अंतरमाद्विपीय मिसाइलों के लिए आवश्‍यक यंत्रणा का निर्माण करने का है। तो, दूसरा निर्णय बच्चों के जन्म पर लगाया गया नियंत्रण हटाकर उनकी शिक्षा के लिए अतिरिक्त आर्थिक सहायता प्रदान करने का है। चीन ने ‘साऊथ चायना सी’ में भारी मात्रा में लष्करी सुविधाओं का निर्माण किया है। लेकिन, असल में संघर्ष शुरू हो जाए तो इन सभी सुविधाओं की सुरक्षा करना मुमकिन होगा या नहीं, इसका भरोसा चीनी शासकों को नहीं है।

तीन वर्ष पहले जापान के सेंकाकू द्विपों के करीबी क्षेत्र में एक चीनी पनडुब्बी ने यकायक अपना ध्वज दिखाकर पानी की सतेह पर आने का निर्णय किया था। इसके पीछे जापानी नौसेना का लक्ष्य होने का ड़र था, यह दावा जापान के अखबार ने किया। जापान एवं अमरीका के कई अधिकारी इस घटना को चीनी सैनिकों ने अपना मनोबल खोया होने का स्पष्ट नमूना बता रहे हैं, ऐसा ‘निक्केई’ ने इस लेख में कहा है। चीन ने विमान वाहक युद्धपोतों के लिए आक्रामक कदम उठाए हैं, फिर भी युद्ध के दौरान यह युद्धपोत अपना अड्डा छोड़कर बाहर निकलने का भरोसा ना होने की फटकार भी इस लेख में लगाई गई है।

चीनी रक्षाबलों का ज़िक्र विश्‍व की सबसे बड़ी ‘वन चाईल्ड आर्मी’ के तौर पर किया गया है और ७० प्रतिशत से अधिक सैनिक अपने परिवार का एकमात्र संतान होने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है। इसके लिए चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत की ‘वन चाईल्ड पॉलिसी’ ज़िम्मेदार होने की बात कही जाती है। साथ ही चीनी समाज में संतान को परिवार की ज़िम्मेदारी संभालनी होती है, इस विचार की जड़ें फैलने के कारण चीनी सैनिक मरने से ड़रते है, यह दावा जापानी अखबार ने किया है।

चीनी समाज में सेना के सैनिक को ज्यादा प्रतिष्ठा नहीं मिलती, यह भी इस लेख में कहा गया है। इसलिए बीते कुछ वर्षों से चीन को अपने रक्षाबलों के लिए जबरन भर्ती कराने की मुहिम चलानी पड़ी थी। साथ ही महिलाओं को भी बड़ी संख्या में शामिल करने के लिए मज़बूर होना पड़ा था, यह दावा भी जापान के इस शीर्ष अखबार ने किया है।

सेना के सैनिकों के टूटे हुए मनोबल के इलाज के तौर पर चीन ने प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक इस्तेमाल शुरू किया है। लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां एवं ड्रोन्स का बढ़ाया हुआ इस्तेमाल इसी का हिस्सा होने का अनुमान इस लेख में दर्ज़ किया गया है। जापान के साथ अन्य देश इस बात को ध्यान में रखकर अपनी रक्षा क्षमता मज़बूत करें, यह सलाह भी इस लेख के अन्त में दी गई है।

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