अस्थिसंस्था – भाग – ५

vertebra03मानव शरीर के अस्थिपंजर का वर्गीकरण मुख्यत: दो भागों में किया जाता है –
१) अक्ष पंजर अथवा Axial Skeleton शरीर के मध्य अक्ष पर तथा उससे संबधित सभी अस्थियों से मिलकर अक्ष पंजर बनता है। शरीर का बजन ढ़ोना व मध्य अक्ष के चारों ओर शरीर के विविध कार्यों को सुलभतापूर्वक करना इसका मुख्य काम है।

२) जोड पंजर अथवा Appendicular Skeleton मुख्य अक्ष पंजर से जुडी हुयी सभी अस्थियों से मिलकर जोड़ पंजर बनता है।

अक्ष पंजर में रीढ़ की हड्डी की सभी कशेरुकायें, खोपडी, पसुडीयां और छाती के मध्यभाग की हड्डी-स्टरनम का समावेश होता है।
जोड़ पंजर में दोनों हाथ व दोनो पाँवों की सभी अस्थियां आती है आज हम अपने अक्ष पंजर के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।

अक्ष पंजर –
इसमें हम सर्वप्रथम पृष्ठवंश की कशेरुकाओं की  जानकारी लेंगें। इसे कशेरुकाओं की श्रृंखला (Vertebral Column) कहा जाता है।

मानवी शरीर में कुल पाँच प्रकार की कशेरुकायें होती हैं। इनकी कुल संख्या  होती है- ३३ +/- १ (अर्थात कभी ३२ तो कभी ३४)। कशेरुकाओं के पाँच प्रकार व उनकी संख्या इस प्रकार है –

१) गर्दन की कशेरुकायें Cervical Vertebrae कुल संख्या ७(सात)
२) छाती / पीठ की कशेरुकायें ढहेीरलळल Thoracic Vertebrae कुल संख्या १२ (बारह)
३) कमर की कशेरुकायें Lumber Vertebrae कुल संख्या  ५ (पाँच)
४) कमर की कशेरुकाएँ Sacral Vertebrae कुल संख्या ५ (पाँच)
५ ) पूँछ की तरफ की कशेरुकाएँ (Coccygeal Vertebrae) कुल संख्या ४ (चार)

vertebra02मानवों की पूँछ तो नहीं रही परन्तु उसका प्रतिनिधित्व करनेवाली कशेरुकायें अभी भी शेष हैं। उपरोक्त सभी प्रकार की कशेरुकायें एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होती हैं। परन्तु एक ही प्रकार की कशेरुकायें प्राय: एक जैसी ही  होती हैं। गर्दन की  कशेरुकायें और अंतिम कॉसिजियल कशेरुकाएँ इसका अपवाद हैं। गर्दन की कशेरुकाओं में प्रथम, दूसरी व सांतवी कशेरुकायें काफी गुणों में अन्य कशेरुकाओं की तुलना में अलग होती  है।

यह विविधता इन कशेरुकाओं के कार्य एवं पृष्ठवंश में रहनेवाली उनकी  स्थिती पर निर्भर करती है। हमारे मन में इस बात का  कुतूहल तो रहता ही है कि आखिर हमारी कशेरुकायें कैसी दिखायी देती है। एक टिपिकल कशेरुका कैसी दिखायी देती है, यह हम बगल में दी गयी आकृति में देख सकते हैं।

बगल में दी गयी आकृति से हम समझ सकते हैं कि कशेरुकाओं के दो मुख्य भाग होते हैं। सामने की ओर व्हर्टिबल बॉडी तथा पीछे के ओर व्हर्टिबल आर्च ये दोनों भाग बाहर से कठोर लॅमेलर हड्डी के व अंदर से ट्रबॅक्युलर अस्थि के बने होते हैं। इन दोनों भागों में लगभग गोलाकार खोखली रचना होती है। व्हीर्टिबल फोरयमेन में हमारा मज्जारज्जू अथवा स्पायनल कार्ड होता है। दो कशेरुकाओं के बीच खाली जगह से दोनो तरफ से  मज्जारज्जू से चेतातंतू अथवा स्पायनल नव्हर्स बाहर निकलती हैं।

कशेरुकाओं की  बॉडी व आर्चेस दोनो अलग-अलग तरीके से एक दूसरे से जुडे हुये होते हैं।

कशेरुकाओं की  बॉडी का भाग एक दूसरे से तीन प्रकार से जुड़ा हुआ होता हैं। व्हर्टिबल बॉड़ी के सामने की ओर मध्यभाग पर  लिगामेंट होता है। इसे सामने का अथवा अँटिरियर लिगामेंट कहते हैं। लिगामेंट संधिनी  पेशी समूह का एक भाग है। सामने का यह लिगामेंट गर्दन की पहली कशेरुका से सॅक्र्म के ऊपरी भाग तक ऊपर से नीचे की ओर जाती है। उसी तरह एक लिगामेंट कशेरुका की बॉडी के पीछे से व्हर्टिब्रल फोरयमेन में जाता है। इसकी  शुरुआत गर्दन की दूसरी कशेरुका से होती है तथा यह लिगामेंट  भी नीचे की ओर सॅक्र्म तक जाता हैं। प्रत्येक दो कशेरुकाओं की बॉडी के बीच में इंटीरव्हर्टिकल डिस्क अथवा चकती होती है। यह चकती ही दो कशेरुकाओं को जोड़नेवाली प्रमुख संधिनी शक्ती हैं। गर्दन की दूसरी कशेरुका से सॅक्र्म तक ये चकतियां प्रत्येक दो कशेरुकाओं के बीच में होती हैं। जिस आकार की कशेरुका की बॉडी होती है उसी आकार की उनके बीच की चकती भी होती हैं। सिर्फ इनकी मोटाई में फर्क होता है। गर्दन व कमर के कशेरुकाओं के बीच की चकती सामने की ओर ज्यादा मोटी होती है। छाती की कशेरुकाओं के बीच की चकती सबसे पतली होती हैं। हमारी उम्र के पहले दो दशकों में ये चकती बड़ा से बड़ा आघात का सामना कर सकती हैं। इसके  बाद  इनकी  ताकत कम होती जाती हैं। ज्यादा उम्र में छोटे से आघात से ये चकती बाधित हो सकती है। कशेरुका का  पिछला  भाग – व्हर्टिब्रल आर्चेस भी एक दूसरे से जुडे हुये होते हैं। विभिन्न प्रकार के लिगामेंट्स इन आर्चेस को एक दूसरे  से जोडने का काम करते हैं।

(क्रमश…….)

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