चीन के बैंकिंग क्षेत्र समेत अर्थव्यवस्था की बड़ी गिरावट के संकेत

बीजिंग – कोरोना की महामारी के दौर में कर्ज़ डूबने की मात्रा बढ़ने का चीन के बैंकिंग क्षेत्र को बड़ा झटका लगा है। इस वर्ष के पहले छह महीनों में चीन की पांच बड़ी बैंकों के मुनाफे में १०% गिरावट हुई है और करीबन २२० अरब डॉलर्स का नुकसान होने की बात कही जा रही है। इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पडेगा और इस वर्ष के अन्त में चीन की अर्थव्यवस्था चार दशकों के सबसे निचले स्तर पर जा पहुँचेगी, यह दावा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष कर रही है।

china-bankingकुछ महीनें पहले ही चीन की बैंकिंग ऐण्ड इन्श्‍युरन्स रेग्युलेटरी कमिशन ने देश के १०० से अधिक प्रमुख व्यापारी बैंकों से संबंधित रपट जारी की था। इसमें चीन की बैंकों के डूब रहे कर्ज़ का प्रमाण ३६७.७ अरब डॉलर्स तक बढ़ने का इशारा दिया गया था। चीने की व्यापारी बैंकों के कर्ज़ डूबने का प्रमाण इसी बीच २-१/२% और ग्रामीण बैंकों के डूब रहे कर्ज़ का प्रमाण बढ़कर ५% तक जा पहुँचने से इस रपट में चिंता भी व्यक्त की गई थी। इस जानकारी के बावजूद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और अधिकारी अर्थव्यवस्था में सबकुछ ठीक-ठाक होने की बात दिखाने के लिए बड़ी कोशिशें कर रहे थे। लेकिन, देश की सबसे बड़ी बैंकों को पहुँचे आर्थिक नुकसान के आँकड़े सामने आने से चीन की ढ़ह रही अर्थव्यवस्था की सच्चाई भी स्पष्ट हुई है।

इंडस्ट्रियल ऐण्ड कमर्शियल बैंक ऑफ चायना, चायना कन्स्ट्रक्शन बैंक, ऐग्रिकच्लरल बैंक ऑफ चायना, बैंक ऑफ चायना और बैंक ऑफ कम्युनिकेशन्स चीन में सबसे बड़ी बैंकें कही जाती हैं। इनमें से बैंक ऑफ कम्युनिकेशन्स के अलावा अन्य चार बैंकें अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग क्षेत्र में बिग-फोर के तौर पर जानी जाती हैं। इन चार बैंकों की संपत्ति १५ लाख करोड़ डॉलर्स से अधिक होने की बात कही जाती है। बैंक ऑफ कम्युनिकेशन्स की संपत्ति भी एक ट्रिलियन डॉलर्स से अधिक होने की बात समझी जाती है। इससे चीन के साथ ही वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र में शीर्ष स्थान की इन बैंकों को २२० अरब डॉलर्स का नुकसान ध्यान आकर्षित करता है।

china-bankingबीते दशक में मंदी के बावजूद चीन के इन बैंक्स को नुकसान नहीं पहुँचा था। इस दौरान चीन की हुकूमत ने इन बड़ी बैंकों के साथ पूरे बैंकिंग क्षेत्र में बड़ी मात्रा में पैसा लगाकर अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी ना होने का दिखावा करने की कोशिश की थी। लेकिन, बीते दो वर्षों में सामने आए डुबे हुए कर्ज़ के आँकड़े और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर लगातार दिए जा इशारों से चीन की कोशिशें नाकाम हुई दिख रही हैं। अब बड़े बैंकों का हुआ नुकसान भी इसी नाकामी की पुष्टी करनेवाला साबित होता है। कोरोना की पृष्ठभूमि पर अर्थव्यवस्था को संभालने में चीन के शासकों ने बैंकिंग क्षेत्र में अतिरिक्त धन लगाए बिना अब बड़ी बैंकों को नुकसान बर्दाश्‍त करने के निदेश दिए हैं, यह बात भी अहमियत रखती है, इस ओर भी विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया।

डूबे हुए कर्ज़ का भार और बड़े बैंकों का हुआ नुकसान सामने होते हुए चीन की हुकूमत ने मार्च २०२१ तक कर्ज़ एवं किश्‍तें वसूल ना करने के निदेश दिए हैं। किसी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति उस देश की बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति पर काफ़ी हद तक निर्भर होने की बात समझी जाती है। बैंकों के डूब रहे कर्ज़ की मात्रा में हो रही बढ़ोतरी और नुकसान उस देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की बात साबित होती है। आर्थिक उद्योग एवं व्यापार ठप होने के बाद बैंकों ने दिए कर्ज़ का भुगतान करना संभव नहीं होगा और इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की गिरावट शुरू होती है। चीन के बैंकिंग क्षेत्र के मौजूदा आँकड़े देखें तो विश्‍व की दूसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बने चीन की गिरावट भी उतनी ही तीव्र रहेगी, ऐसी संभावना दिखाई दे रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने चीन की अर्थव्यवस्था चार दशकों के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के संबंध में दिया हुआ इशारा भी इसी की पुष्टी करता है।

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