चीन से बाहर निकल रहे अल्पसंख्यांकों को पनाह दे – अमरिका ने किया मध्य एशियाई देशों से निवेदन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

ताश्कंद/नूर-सुल्तान – कझाकस्तान के सीमा के उस पार होनेवाले चीन के झिंजिआंग प्रांत में १० लाख से भी अधिक उघुरवंशी मुस्लिम और कझाकी नागरिकों को कैद करके रखा है| कझाकस्तान समेत अन्य मध्य एशियाई देशों ने चीन से पहुंचनेवाले अल्पसंख्यांक नागरिकों को पनाह देनी होगी, यह निवेदन अमरिका ने किया है| अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ फिलहाल मध्य एशियाई देशों की यात्रा कर रहे है और इस दौरान उन्होंने उघुरवंशी एवं अन्य अल्पसंख्यांकों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य किया| साथ ही मध्ये एशियाई देशों को चीन के प्रभाव से दूर रहने की चेतावनी भी दी है|

सोमवार के दिन उझबेकिस्तान के ताश्कंद शहर में अमरिका और मध्य एशियाई देशों की विशेष बैठक हुई| इस बैठक में चीन और अफगानिस्तान समेत व्यापार और प्रादेशिक मुद्दों पर बातचीत हुई| बैठक को मध्य एशियाई देश कझाकस्तान, उझबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और किरगिझिस्तान के विदेशमंत्री उपस्थित थे| इस बैठक में विदेशमंत्री पोम्पिओ ने चीन के उघुरवंशियों का मुद्दा उपस्थित किया|

चीन ने झिंजिआंग प्रांत के शिविरों में बंद करके रखें लोगों में उघुरवंशियों के साथ ही मध्य एशियाई वंश के नागरिकों का भी समावेश है| कझाकस्तान जैसे देशों ने इनमें से कुछ लोगों को अपने देश में शरणार्थि के तौर पर प्रवेश करने की अनुमति दी है, फिर भी राजनयिक पनाह नही दी है| अमरिका के विदेशमंत्री ने मानवी अधिकार और सन्मान का मुद्दा आगे करके मध्य एशियाई देशों के सामने चीन से बाहर निकलनेवाले उघुरवंशी एवं अन्य अल्पसंख्यांक समुदाय के नागरिकों को पनाह देने की मांग रखी|

ताश्कंद की बैठक से पहले कझाकस्तान की यात्रा में चीन से मध्य एशियाई देशों में प्रभाव बढाने के लिए हो रही हरकतों का पोम्पिओ ने जिक्र किया| कझाकस्तान समेत अन्य मध्य एशियाई देश व्यापारी भागीदार के तौर पर किसका चयन करना है, यह निर्णय करने का अधिकार उन्ही के हाथ में होने का दावा अमरिकी विदेशमंत्री ने किया| पर, साथ ही अमरिका के साथ भागीदारी करने से अच्छे नतीजें प्राप्त होंगे, यह भरोसा भी उन्होंने दिलाया| 

‘अमरिकी कंपनियों के साथ भागीदारी करने पर अच्छी व्यापारी डील संभव होगी| रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे| देश में पर्यावरण का?ध्यान रखनेवाली कंपनियां प्रवेश करेंगी| साथ ही काम का स्तर भी अच्छा रहेगा’, इन शब्दों में पोम्पिओ ने अमरिका के साथ सहयोग करने के लाभ सामने रखने की कोशिश की|

पिछले शतक में रशियन संघराज्य का हिस्सा रहे मध्य एशियाई देशों के रशिया से अच्छ संबंध है और इन देशों में रशिया ने काफी बडी मात्रा में निवेश किया है| साथ ही पिछले कुछ वर्षों में ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ जैसी योजना से चीन ने भी इन देशों में प्रवेश करने की कोशिश शुरू की है| यह बात अमरिका के लिए चिंता का विषय है और विदेशमंत्री पोम्पिओ की यह यात्रा इसी नजरिए से अहम साबित होती है|

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