सुदान में हुई लष्करी बगावत के बाद प्रधानमंत्री समेत कई नेता गिरफ्तार

खार्तुम – अफ्रीका के सुदान में सोमवार सुबह लष्कर ने बगावत करके सत्ता पर कब्ज़ा किया है। सुदान के लष्कर के प्रमुख जनरल अब्देल फताह बुर्‍हान ने, बगावत की जानकारी देते समय ही इमरजेंसी की घोषणा की है। लष्कर ने प्रधानमंत्री अब्दलाह हम्दोक समेत वरिष्ठ मंत्रियों को गिरफ्तार करके अज्ञात स्थल पर ले जाया होने की बात सामने आई है। लष्कर की इस बगावत के बाद राजधानी खार्तुम के साथ कुछ शहरों में प्रदर्शन शुरू हुए हैं। पिछले ही महीने में प्रधानमंत्री हम्दोक ने, लष्करी बगावत की कोशिश नाकाम की होने की जानकारी दी थी। इस पृष्ठभूमि पर, सोमवार की बगावत की घटना गौरतलब साबित होती है।

लष्करी बगावतदो साल पहले सुदान के तत्कालीन तानाशाह ओमर अल बशिर की सत्ता का तख्तापलट किया गया था। उसके बाद सुदान के सूत्र, लष्कर और राजनीतिक गुटों का समावेश होनेवाली संयुक्त अस्थाई सरकार के कब्ज़े में दिए गए हैं। प्रधानमंत्री अब्दलाह हम्दोक इस सरकार का नेतृत्व कर रहे होकर, राजनीतिक हस्तांतरण और लोकतंत्रवादी सरकार स्थापना की प्रक्रिया जारी है। लेकिन पिछले साल भर में, सरकार में होनेवाला अंतर्गत संघर्ष लगातार सामने आ रहा होकर, उससे लोकतंत्रवादी प्रक्रिया में मुश्किलें पैदा हो रही हैं, ऐसा दावा किया जाता है।

लष्करी बगावतराजनीतिक गुटों के समर्थक और लष्करी हुकूमत के समर्थक ऐसे दो गुट खुलेआम पैदा हुए होकर, दोनों गुटों द्वारा लगातार प्रदर्शन जारी हैं। पिछले ही महीने में लष्कर के एक गुट ने प्रधानमंत्री हम्दोक की सत्ता का तख्ता पलटने की कोशिश की थी। लेकिन उसे नाकाम कर दिया होने की जानकारी सरकार द्वारा दी गई थी। इस नाकाम बगावत के बाद, लष्कर के समर्थक होनेवाले गुटों ने अक्तूबर महीने में प्रदर्शन भी किए थे। उसे प्रत्युत्तर देने के लिए राजनीतिक गुटों के समर्थकों ने पिछले हफ्ते भर में व्यापक आंदोलन शुरू किया था। एक के बाद एक होनेवाले प्रदर्शनों के कारण परिस्थिति अस्थिर बनी है, ऐसे में लष्कर ने बगावत करके नया झटका दिया हुआ दिखाई दे रहा है।

सुदान के लष्कर के प्रमुख जनरल अब्देल फताह बुर्‍हान ने, राजनीतिक गुटों के बीच संघर्ष तीव्र होने के कारण लष्कर को, हस्तक्षेप करके सत्ता हाथ में लेनी पड़ी ऐसा कहा है। देश में इमरजेंसी का ऐलान किया गया होकर, इंटरनेट समेत बाह्य देशों के साथ होनेवाला अन्य संपर्क भी तोड़ा गया है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस बगावत को लेकर तीव्र प्रतिक्रियाएँ आईं हैं। अमरीका, ब्रिटेन, युरोपिय महासंघ, अफ्रीकन यूनियन ने राजनीतिक नेताओं की रिहाई की माँग की है। अमरिका के दूतावास ने अपने नागरिकों को घर से बाहर ना निकलने की चेतावनी दी है।

सुदान में हुई बगावत के पीछे, पिछले साल इस्रायल के साथ हुआ शांति समझौता इस घटक को भी कारण माना जा रहा है। सुदान के लष्कर ने इस्रायल और अमरीका के साथ संबंध सुधारने के लिए पहल की है। लेकिन सुदान के राजनीतिक गुट इसके लिए कुछ खास उत्सुक ना होकर, इस्रायल के साथ संबंध सुधारने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए गए हैं। दूसरी ओर सुदानी लष्कर के अधिकारी, इस्रायल के अधिकारियों से भेंट कर रहे होने के कारण राजनीतिक गुटों से जुड़े नेता नाराज़ होने की बात बताई जा रही है। ‘इस्रायल हायोम’ इस वेबसाइट ने इस मामले में दावा किया होकर, लष्करी हुकूमत के शासनकाल में सुदान और इस्रायल के संबंध सुधारने में सहायता होगी, ऐसे संकेत दिए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.