सऊदी ने क़तर के साथ चर्चा की संभावना अस्वीकृत की

रियाध: क़तर की अधिकृत वृत्तसंस्था ने ग़लत जानकारी दी है, ऐसा आरोप लगाकर सऊदी अरब ने इसके बाद कतर के साथ किसी भी चर्चा की संभावना नहीं है, ऐसा घोषित किया है। सऊदी और क़तर के बीच चर्चा शुरू होने की जानकारी, क़तर और सऊदी माध्यमों ने दी थी। इस चर्चा से दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा, ऐसी संभावना निर्माण हुई थी। लेकिन यह संभावना सऊदी अरब की घोषणा से ख़ारिज हुई है।

कुछ घंटों पहले सऊदी अरब के राजपुत्र ‘मोहम्मद बिन सलमान’ क़तर के अमिर ‘शेख तामिम बिन हमाद अल-थानी’ के बीच फोन पर चर्चा हुई थी। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के आवाहन के बाद सऊदी और क़तर के नेताओं में चर्चा पूरी होने की बात कही जा रही थी। इस चर्चा के बाद सऊदी और कतर के बीच चर्चा होने की संभावना की घोषणा, दोनों देशों की ओर से की गई थी। सऊदी के साथ संयुक्त अरब अमिराती (यूएई), बाहरिन और इजिप्त इन चारों देशों के साथ चर्चा करके विवाद सुलझाने की तैयारी क़तर ने दर्शाई है, ऐसी खबर प्रसिद्ध हुई थी।

चर्चा की संभावनाक़तर न्यूज़ एजंसी’ (क्यूएनए) इस क़तर की अधिकृत वृत्तसंस्था ने यह जानकारी प्रसिद्ध करते हुए सऊदी के राजपुत्र इस चर्चा के लिए दो विशेष दूत नियुक्त करेंगे, ऐसा स्पष्ट किया था। इस चर्चा में क़तर के साथ अरब मित्र देशों के सार्वभौमत्व का आदर रखा जाएगा, इसके लिए इन दूतों का चुनाव करने की बात ‘क्यूएनए’ ने कही थी। ‘गल्फ कोऑपरेशन काउंसल’ (जीसीसी) के सदस्य देशों की एकजुट और खाड़ी में स्थिरता लाने के लिए, यह विवाद सुलझाना आवश्यक है, ऐसी जानकारी क़तर के प्रमुख समाचार चैनल ने दी थी।

तीन महीनों पहले सऊदी और अरब मित्र देशों ने कतार पर डाले बहिष्कार के बाद पहली बार सऊदी और क़तर के नेताओं के बीच यह चर्चा हुई थी। पिछले तीन महीनों में सऊदी ने अन्तर्राष्ट्रीय बैठक में भी क़तर के नेताओं से मिलना टाला था। इस वजह से सऊदी और क़तर के नेताओं के बीच चर्चा और इसके आगे की बैठक की वजह से खाड़ी में तनाव कम होकर यह विवाद सुलझेगा, ऐसी अपेक्षा व्यक्त की जा रही थी। क़तर के माध्यमों ने इस खबर की जोरदार स्वागत किया था।

लेकिन अगले कुछ ही मिनटों में सऊदी की अधिकृत वृत्तसंस्था ने सऊदी क़तर के साथ किसी भी चर्चा में सह्मिल नहीं हो सकता, ऐसा घोषित किया। इस निर्णय के लिए ‘क्यूएनए’ जिम्मेदार है, ऐसा दाग सऊदी की वृत्तसंस्था ने लगाया है। सऊदी और क़तर के नेताओं में हुई चर्चा के बारे में ‘क्यूएनए’ ने ग़लत जानकारी देने का आरोप सऊदी की वृत्तसंस्था ने किया है। लेकिन, ‘क्यूएनए’ वास्तव में कौनसी गलत जानकारी दी है, इस बारे में खुलासा करना सऊदी की वृत्तसंस्था ने टाला है।

जून माह के पहले हफ्ते में सऊदी और अरब मित्र देशों ने क़तर पर बहिष्कार जाहिर किया था। क़तर अरब देशों के खिलाफ भूमिका स्वीकार रहा है, ऐसा आरोप लगाकर सऊदी और मित्र देशों ने क़तर के साथ राजनितिक, आर्थिक, व्यापारी और लष्करी सहकार्य तोडा था। सऊदी और अरब देशों की सुरक्षा को चुनौती देने वाले ईरान के साथ क़तर ने नजदीकियां बढाई हैं और ईरान के प्रभाव के नीचे आई आतंकवादी संगठनों को क़तर मदद कर रहा है, ऐसा आरोप सऊदी और मित्र देशों ने लगाया था। साथ ही क़तर के तुर्की का लष्करी अड्डा भी इस बहिष्कार के पीछे की वजह में से एक वजह थी, ऐसा अरब देशों ने कहा था।

क़तर को अरब मित्र देशों के साथ सहकार्य फिर से प्रस्थापित करना है, तो बिन शर्त हमारी १३ माँगे पूरी करनी पड़ेगी, ऐसा सऊदी ने कहा था। लेकिन सऊदी और अरब देशों की मांगे तकलीफ देने वाली हैं, ऐसा कहकर क़तर ने इन मांगों को मान्य नहीं किया था। साथ ही सऊदी की इन मांगों को मान्य करना मतलब मित्र देशों के आरोपों को स्वीकारने जैसा है, ऐसी टीका करके क़तर ने मजबूत भूमिका स्वीकारी थी। इस वजह से खाड़ी देशों का तनाव शिखर तक पहुंचा था।

शुक्रवार को अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने आवाहन करने के बाद सऊदी और क़तर के नेताओं के बीच की चर्चा खाड़ी के विवाद को सुलझाने में मददगार साबित होगी, ऐसा कहा जा रहा था। लेकिन यह तनाव जल्द नहीं सुलझेगा, ऐसा सऊदी की भूमिका से स्पष्ट होता है।

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