‘ओपेक’ की बैठक के बाद सौदी ने दिए झटके से इंधन की क़ीमतों में हुआ ५ प्रतिशत उछाल

वियना – इंधन उत्पादक देशों का ‘ओपेक’ की दो दिन चली बैठक में, कच्चे तेल का उत्पादन स्थिर रखने पर सहमति हुई थी। लेकिन इस बैठक के बाद सौदी अरब ने रोज़ाना १० लाख बैरल्स ईंधन उत्पादन कम करने का ऐलान करके सनसनी फैलाई। सौदी का यह निर्णय ‘ओपेक’ समेत आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को झटका देनेवाला साबित हुआ होकर, बीते २४ घंटों में कच्चे तेल की क़ीमतों में पाँच प्रतिशत से अधिक उछाल हुआ है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण की पृष्ठभूमि पर प्रमुख देशों में दोबारा ‘लॉकडाउन’ का ऐलान हो रहा है और इस पृष्ठभूमि पर हुआ यह निर्णय ग़ौरतलब साबित हो रहा है।

Saudi-opecचीन से शुरू हुए कोरोना महामारी के संक्रमण से, बीते वर्ष के शुरू से ही जागतिक अर्थव्यवस्था की गति कम हुई थी। कई देशों में ‘लॉकडाउन’ का ऐलान होने से, प्रमुख उद्योगों के साथ रोज़मर्रा का कारोबार भी ठप हुआ था। इससे ईंधन क्षेत्र को बड़ा झटका लगा था। मार्च २०२० में कच्चे तेल की क़ीमत कम होकर, प्रति बैरल २३ डॉलर्स तक जा पहुँची थी। आन्तर्राष्ट्रीय विश्‍लेषकों ने यह क़ीमत अधिक घटकर १० डॉलर्स तक जा पहुँच सकती है, यह चेतावनी भी दी थी।

लेकिन, कुछ महीनें पहले कई देशों ने ‘लॉकडाउन’ हटाकर रोज़ाना के कारोबार और उद्योग क्षेत्र को गति देने का निर्णय किया था। इस कारण कच्चे तेल की क़ीमतों में धीरे धीरे बढ़ोतरी होना शुरू हुआ था। तेल की क़ीमत बढ़ें, इस उद्देश्‍य से तेल उत्पादन में कटौती करने का प्रस्ताव सौदी अरब और ‘ओपेक’ के कुछ सदस्य देशों ने रखा था। लेकिन, इसे रशिया और अन्य सदस्य देशों ने विरोध करने के कारण, तेल की क़ीमतों में बड़ा उछाल नहीं हो सका था। इस वजह से, ईंधन की निर्यात पर निर्भर रहनेवालें देशों की अर्थव्यवस्थाओं को ज़ोरदार झटके लगे थे।

बीते दो महीनों में कोरोना की तीव्रता दोबारा बढ़ती दिखाई दे रही है और युरोपिय देशों के साथ एशियाई देशों ने भी दोबारा ‘लॉकडाउन’ घोषित करने का निर्णय किया है। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने ‘कोरोना की तीसरीं लहर देखी जाएगी’ ऐसी चेतावनी देना भी शुरू किया है। इस वजह से, उद्योग क्षेत्रों का कारोबार दोबारा ठंड़ा पड़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसका ईंधन की माँग पर सीधा असर होने का अंदाज़ा जताया जा रहा है। इसी कारण, सोमवार के दिन शुरू हुई ‘ओपेक’ और रशिया की बैठक को अहम समझा जा रहा था।

ईंधन निर्यातक देशों का ‘ओपेक’ संगठन और रशिया के बीच होनेवाले मतभेद फिर से तीव्र होते हुए बीते कुछ महीनों में दिखाई दिए थे। माँग कम होने के संकेत होते हुए, ईंधन का उत्पादन कम करने का प्रस्ताव ‘ओपेक’ का नेतृत्व कर रहें सौदी अरब समेत अन्य देशों ने दिया था। लेकिन, रशिया ने इसे ठुकराया था। कुछ वर्ष पहले जब ईंधन की क़ीमतों में बड़ी गिरावट हुई थी, तब ईंधन उत्पादन कम करने का प्रस्ताव रशिया ने सौदी के सामने रखा था। उस समय सौदी ने यह प्रस्ताव ठुकराया था। अब सौदी और ओपेक का प्रस्ताव ठुकराकर रशिया प्रत्युत्तर देता हुआ दिख रहा है।

Saudi-opecइस पृष्ठभूमि पर, मंगलवार के दिन हुए निर्णय और इसके बाद सौदी ने दिया हुआ झटका अहम घटना साबित हो रही है। मंगलवार के दिन ओपेक और रशिया की हुई बैठक में, फिलहाल की गई कटौती फ़रवरी तक जारी रखने का निर्णय हुआ था। यह निर्णय करने के साथ ही, रशिया और कज़ाकस्तान इन दो देशों को फ़रवरी और मार्च इन दोनों महीनों में रोज़ाना ७५ हज़ार बैरल्स इंधन उत्पादन बढ़ाने की अनुमति प्रदान की गई है। मार्च महीने में ‘ओपेक’ के सदस्य देश भी उत्पादन में बढ़ोतरी करेंगे। इस निर्णय के बाद सौदी अरब ने यकायक फ़रवरी और मार्च महीने में ईंधन उत्पादन में प्रतिदिन १० लाख बैरल्स कटौती करने का ऐलान किया।

सौदी के इस ऐलान के बाद २४ घंटों में कच्चे तेल की क़ीमतों में पाँच प्रतिशत से भी अधिक उछाल देखा गया है। इसके साथ ही आन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत प्रति बैरल ५४ डॉलर्स हुई है। अमरीका में कच्चे तेल की क़ीमत भी प्रति बैरल ५० डॉलर्स से अधिक हुई है। बीते वर्ष के फ़रवरी महीने के बाद पहली ही बार, ईंधन की क़ीमत उछलकर प्रति बैरल ५० डॉलर्स से अधिक हुई है।

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