रशिया का भारत के साथ घनिष्ठ सहयोग कायम रहेगा – रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह

मॉस्को – भारत रशिया से खरीद रहा ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा के व्यवहार पर अमरीका भारत को निर्बंधों की चेतावनियाँ दे रही है। जो बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद पर बैठने जा रहे हैं, ऐसे में अमरीका द्वारा भारत को दी जानेवालीं ये चेतावनियाँ ग़ौरतलब साबित हो रहे हैं। उसकी परवाह न करते हुए भारत ने अपने लष्कर का पथक इस हवाई सुरक्षा यंत्रणा का प्रशिक्षण लेने के लिए रशिया में भेजने की तैयारी की है। इसके बाद, भारत पश्‍चिमियों के हाथ का खिलौना बना है, ऐसी आलोचना करनेवाले रशियन विदेशमंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह की भूमिका में परिवर्तन हुआ दिख रहा है। रशिया का भारत के साथ घनिष्ठ सहयोग इसके आगे भी क़ायम रहेगा, ऐसा विदेशमंत्री लॅव्हरोव्ह ने कहा है।

‘एस-४००’ का आवश्यक प्रशिक्षण लेने के लिए भारतीय लष्कर का पथक जल्द ही रशिया को जानेवाला है, ऐसी जानकारी रशिया के भारत में नियुक्त राजदूत निकोलाय कुडाशेव ने दी। वहीं, रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने यह यक़ीन दिलाया है कि भारत यह रशिया का निकटतम मित्रदेश है। पिछले ही महीने में रशिया के विदेशमंत्री ने भारत की आलोचना की थी। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने ‘क्वाड’ सक्रिय किया है। यह संगठन केवल चीन को रोकने के लिए ही है, ऐसा दोषारोपण रशिया के विदेशमंत्री लॅव्हरोव्ह ने किया था। इतना ही नहीं, बल्कि भारत पश्‍चिमी देशों के चीनविरोधी दाँवपेंचों का भाग बना होने का आरोप भी लॅव्हरोव्ह ने किया था। भारत पश्‍चिमियों के हाथ का खिलौना बना होने की लॅव्हरोव्ह की आलोचना पर भारत से संतप्त प्रतिक्रियाएँ आयीं।

लद्दाख की गलवान वैली में हमला करके २० भारतीय सैनिकों की जान लेनेवाले चीन के विरोध में भारत ने भूमिका अपनाना, यह विल्कुल स्वाभाविक बात है। चीन द्वारा भारत की सुरक्षा को दी जा रही चुनौती को मद्देनज़र न रखते हुए रशिया के विदेशमंत्री ने की भारत की यह आलोचना ही दरअसल ग़ैरज़िम्मेदाराना साबित होती है, ऐसा भारतीय विश्‍लेषकों का कहना था। विदेशमंत्री जयशंकर ने भी, लॅव्हरोव्ह ने की इस आलोचना का जवाब दिया था। ‘मैंने किये बयानों पर भारत में बड़ी चर्चा हुई थी, लेकिन मैं इस मामले में किसी भी प्रकार की ग़लतफ़हमी नहीं चाहता। भारत यह रशिया का निकटतम मित्रदेश तथा सामरिक सहयोगी है, ऐसा रशियन विदेशमंत्री ने स्पष्ट किया।

आर्थिक, संशोधन, लष्करी एवं तंत्रज्ञान आदि क्षेत्रों में भारत-रशिया एक-दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं, ऐसा बताकर सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने रशिया को महसूस हो रहा भारत का महत्त्व अधोरेखांकित किया। उसी समय, भारत और चीन इन अपने मित्रदेशों में विसंवाद ना हों, ऐसी रशिया की इच्छा है। दोनों देश शांति में रहें, ऐसी रशिया को उम्मीद है, यह बात लॅव्हरोव्ह ने आगे कही। भारत-रशिया के संबंध और रशिया-चीन के संबंध स्वतंत्र हैं और उनका एक-दूसरे पर असर नहीं होगा, ऐसा रशियन विदेशमंत्री ने कहा है।

इसी बीच, बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद पर बैठने जा रहे हैं; ऐसे में ट्रम्प की विदेश नीति से अमरीका दूर जायेगी, ऐसा विश्‍लेषक कहने लगे हैं। ट्रम्प ने चीन के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनायी थी। लेकिन बायडेन चीन के संदर्भ में उदार भूमिका अपनाकर रशिया का विरोध करने की नीति का स्वीकार करेंगे, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है। भारत और रशिया में हुए ‘एस-४००’ के व्यवहार को लेकर अमरीका द्वारा भारत को दीं जा रहीं निर्बंधों की चेतावनियाँ इसका सबूत है।

बायडेन की इस नीति का अनुमान लगाकर दुनियाभर के प्रमुख देश अपनी नीतियों में आवश्यक बदलाव करने लगे हैं। रशिया भी बायडेन की विदेशनीति पर ग़ौर करके अपने मित्रदेशों के साथ सहयोग दृढ़ कर रहा है। इससे भारत-रशिया संबंधों को बहुत बड़ी अहमियत प्राप्त होनेवाली है। रशिया के विदेशमंत्री ने भारत के बारे में किये बयानों को यह पृष्ठभूमि प्राप्त है।

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