उपप्रधानमंत्री रोगोझिन के दौरे में रशिया का भारत को संदेश

नयी दिल्ली, दि. १५ : ‘रशिया, पाकिस्तान और चीन का अफगानिस्तान के सिलसिले में एकमत हुआ है और इस वजह से भारत अलग-थलग पड़ रहा है’ ऐसा दावा पाकिस्तान की वृत्तसंस्थाएँ कर रही हैं| इस पृष्ठभूमि पर, रशिया के उपप्रधानमंत्री दिमित्री रोगोझिन के भारत दौरे में, भारत के प्रधानमंत्री के साथ हुई चर्चा को बड़ी अहमियत मिली है| इस चर्चा में, दोनों नेताओं ने उभय देशों के रिश्तें नये सिरे से आगे ले जाने की घोषणा की थी| रशिया की पाकिस्तानविषयक बदली हुई भूमिका को देखते हुए, उपप्रधानमंत्री रोगोझिन ने इस संदर्भ में दिया आश्‍वासन भारत को कुछ हद तक दिलासा देनेवाला है|

रोगोझिन ‘चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ को (सीपीईसी) रशिया का समर्थन है और रशिया भी इस परियोजना में शामिल होने के लिए उत्सुक है, ऐसे दावे पाकिस्तान और चीन की ओर से किये जा रहे हैं| अब तक रशिया ने इस बात को नकारा है, लेकिन पाकिस्तान के साथ संबंध बढ़ाने के लिए रशिया द्वारा बढ़ाये जा रहे कदम, भारत की चिंता को बढ़ा रहे हैं| दोनों देशों में पहली ही बार सैनिकी अभ्यास संपन्न हुआ है और रशिया ने पाकिस्तान को लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स की सप्लाई करने की तैयारी दर्शायी है|

अफगानिस्तान मामले में परिषद का आयोजन करते हुए रशिया ने उसमें पाकिस्तान और चीन को आमंत्रित किया था| इस बैठक में भारत की अनुपस्थिति रशिया की बदलती नीति को स्पष्ट करनेवाली है, ऐसा दावा जानकारों की ओर से किया जा रहा है| इसीके साथ रशिया ने, तालिबान के साथ चर्चा शुरू करते हुए अफगानिस्तान सहित भारत को और एक बार झटका दिया था|

इसी का उदाहरण देते हुए, रशिया की अफगानिस्तान और पाकिस्तान विषयक भूमिका बदल रही है, ऐसा दावा पाकिस्तानी मिडिया और विश्‍लेषक कर रहे हैं| इस वजह से अफगानिस्तान में भारत को एकाकी बनाया जायेगा, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है| इस पृष्ठभूमि पर, कुछ दिन पहले गुजरात में संपन्न हुई एक परिषद के लिए भारत में दाखिल हुए रशिया के उपप्रधानमंत्री की, भारतीय प्रधानमंत्री के साथ हुई चर्चा की अहमियत काफ़ी बढ़ी थी| इस समय, उपप्रधानमंत्री रोगोझिन ने, रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन और प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव्ह का संदेश भारतीय प्रधानमंत्री को दिया| रशिया भारत के साथ संबंध और दृढ़ करने के लिए कटिबद्ध है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और उपप्रधानमंत्री मेदवेदेव्ह ने इस संदेश में कहा था|

प्रधानमंत्री के कार्यालय की ओर से इस संदर्भ में जानकारी मिली होने के दावे कुछ वृत्तसंस्थाओं ने किए हैं| आनेवाले कुछ दिनों में, अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर डोनाल्ड ट्रम्प बागड़ोर सँभालनेवाले हैं| अमरीका की पारंपरिक रशियाविरोधी नीति में बदलाव करके, रशिया के साथ सहयोग प्रस्थापित करने के संकेत ट्रम्प ने दिये हैं|

इस वजह से, अब तक भारत और अमरीका की दोस्ती की तरफ ‘चुनौती’ के रूप में देखनेवाले रशिया का भारतविषयक दृष्टिकोण सौम्य हो सकता है| इसके लिए, आनेवाले समय में रशिया के साथ के सामरिक, राजनीतिक और व्यापारी संबंधों को और अहमियत देकर, अपनी विदेशनीति का समतोल नये सिरे से स्थापित करने का अवसर, अमरीका के नेतृत्वबदलाव से भारत को प्राप्त हुआ है| इस पृष्ठभूमि पर, रशिया के उपप्रधानमंत्री की ओर से भारत को मिला संदेश औचित्यपूर्ण है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.