रशियन कंपनियाँ भारत में रक्षासामग्री का निर्माण करें : रक्षामंत्री जेटली का आवाहन

मॉस्को, दि. २१: भारत की नई रक्षाविषयक नीति बड़ी ही सरल है और इसका लाभ रशियन कंपनियों को उठाना चाहिए और भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग करके, भारत में ही आधुनिक रक्षासामग्री का निर्माण करना चाहिए, ऐसा आवाहन रक्षामंत्री अरुण जेटली ने किया है| बुधवार से शुरू हुए, रक्षामंत्री अरुण जेटली के तीन दिन के रशिया दौरे में उन्होंने यह आवाहन किया है|

२३ जून को ‘इंडियन-रशिया इंटर गव्हर्मेंटल कमिशन ऑफ मिलिट्री टेक्नॉलॉजी कोऑपरेशन’ की १७ वीं बैठक रशिया में होने जा रही है| इस बैठक में शामिल होने के लिए रक्षामंत्री रशिया की यात्रा पर गए हैं| इस बैठक के दौरान रक्षामंत्री जेटली रशिया के रक्षामंत्री जनरल सर्जेई शोईगू से मुलाकात करनेवाले हैं और द्विपक्षीय चर्चा करेंगे|

पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच कई समझौते किए गए हैं| हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री की रशिया यात्रा के समय ‘एस-४००’ इस हवाई रक्षायंत्रणा की सप्लाई करने के संदर्भ में प्राथमिक सहयोग समझौता संपन्न हुआ था| साथ ही. ‘कमोव्ह’ इस लड़ाकू हेलिकॉप्टर का निर्माण भारत में ही करने के लिए एक संयुक्त कंपनी को हाल ही स्थापित किया गया है| फिर भी दोनों देशों में कई रक्षाविषयक समझौते रुक गए हैं|

भारत की पुरानी पनडुब्बियों की मरम्मत के साथ साथ, नयी परमाणु पनडुब्बी भी रशिया के पास से किराए पर लेने के बारे में भी बातचीत हो रही है| इसके अलावा भारत को लड़ाकू विमानों की सप्लाई करने के लिए रशिया उत्सुक है| इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के कुछ ही समय बाद रक्षामंत्री जेटली रशिया के दौरे पर जाने से इस दौरे की अहमियत बढ़ी है|

भारत की बढ़तीं रक्षाविषयक ज़रूरतो को ध्यान में रखते हुए विश्‍व की जानीमानी कंपनियाँ ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत भारत में ही रक्षा सामग्री का निर्माण करने में उत्सुकता दिखा रहीं हैं| ‘पारंपरिक दोस्तराष्ट्र रहे रशिया की कंपनियों ने भी भारत में दाखिल होने में दिलचस्पी दिखानी चाहिए और प्राद्योगिक हस्तांतरण का भारत का प्रस्ताव मंजूर करके भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी करके भारत में ही रक्षा सामग्री का निर्माण करना चाहिए, ऐसा आवाहन रक्षामंत्री जेटली ने किया है|

रशिया के नोव्होसिब्रिस्क शहर में संपन्न हुए ‘टेक्नॉप्रोम २०१७’ में रक्षामंत्री बात कर रहे थे| रशियन कंपनियों को भारतीय कंपनियों के साथ काम करने का गाढ़ा अनुभव है| इसका लाभ इन कंपनियों ने उठाना चाहिए| हाल ही में भारत ने रक्षासामग्री के निर्माण से जुड़ी ‘व्यूहरचनात्मक भागीदारी’ को मंज़ुरी दी है| इससे भारत की निजी कंपनियों को भी रक्षासामग्री के निर्माण के लिए विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करने के लिए आसानी होगी, ऐसा रक्षामंत्री ने इस समय अधोरखित किया|

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