संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषद में नकाराधिकार इस्तेमाल कर रशिया ने सीरियाविरोधी प्रस्ताव रोका

संयुक्त राष्ट्रसंघ, दि. १३ : संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषद में, सीरिया में हुए रासायनिक हमलेसंबंधित प्रस्ताव पर ‘नकाराधिकार’ का इस्तेमाल करके रशिया ने फिर एक बार सीरियन हुकूमत का बचाव किया| वहीं, चीन ने इसपर के मतदान में अनुपस्थित रहकर अमरीका समेत ब्रिटन और फ्रान्स की नारा़ज़गी टालने की कोशिश की| रशिया के नकाराधिकार के कारण, सीरिया में हुए रासायनिक हमले की निष्पक्ष जाँच करना नामुमकिन हुआ है, ऐसी कड़ी आलोचना अमरीका, ब्रिटन और फ्रान्स ने की है|

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षापरिषद सुरक्षापरिषद के कुल १५ सदस्यदेशों में से दस देशों ने, सीरिया में हुए रासायनिक हमले के बारे में अमरीका, ब्रिटन और फ्रान्स ने रखे इस प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया| चीन, कझाकिस्तान और इथिओपिया इन देशों ने मतदान में अनुपस्थित रहने का फैसला किया| वहीं, रशिया और बोलव्हिया इन देशों ने इस प्रस्ताव पर विरोध जताया| इस प्रस्ताव पर ‘नकाराधिकार’ (वीटो) का इस्तेमाल करके रशिया ने इस प्रस्ताव का अमल रोका| अमरीका की संयुक्त राष्ट्रसंघ स्थित राजदूत निकी हैलै ने इसकी कड़ी आलोचना की|

‘रशिया ने फिर एक बार, हत्याकांड करनेवाली अस्साद हुकूमत का साथ दिया| आखाती देशों के साथ पूरी दुनिया सीरियन हुकूमत के विरोध में खड़ी हुई है| ऐसे में, रशिया इस हुकूमत का बचाव कर रहा है| यह प्रस्ताव ठुकराकर रशिया ने इस रासायनिक हमले की निष्पक्ष जाँच करने की संभावना को समाप्त कर दिया’, ऐसी आलोचना निकी हैले ने की| वहीं, ब्रिटन के विदेशमंत्री बोरिस जॉन्सन ने, यह फैसला कर रशिया पुनः एकबार गलत लोगों के पक्ष से खड़ा हुआ है, ऐसा इल्ज़ाम लगाया है|

अब तक रशिया ने आठ बार, सीरिया के राष्ट्राध्यक्ष अस्साद की हुकूमत पर होने जा रही कार्रवाई के विरोध में, नकाराधिकार का इस्तेमाल किया है| रासायनिक हमले के बाद रशिया अस्साद का बचाव ना करें, ऐसी चेतावनी अमरीका, ब्रिटन और फ्रान्स द्वारा दी जा रही थी| लेकिन सीरिया के इदलिब में हुए इस रासायनिक हमले के लिए, अस्साद की हुकूमत ज़िम्मेदार नहीं, बल्कि अस्साद पर दबाव डालने के लिए यह हमला किया गया है, ऐसा आरोप रशिया द्वारा किया जा रहा है|

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने, इस रासायनिक हमले के पीछे अस्सादविरोधी षडयंत्र है, ऐसा कहकर, सबूतों के बिना अस्साद पर आरोप करनेवाले अमरीका और युरोपीय देशों पर दोषारोपण किया था| साथ ही, आनेवाले समय में, अमरीका ने सीरिया पर हमले किये, तो उसके विपरित परिणाम होंगे, ऐसा रशिया और ईरान संयुक्त निवेदन जारी करके कहा था| इससे ऐसा दिखायी दे रहा है कि रशिया सीरिया के मसले पर अमरीका और अन्य पश्‍चिमी देशों से टक्कर लेने कौ तैयार है|

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