सीरिया संघर्ष खत्म करने पर रशिया और तुर्की राष्ट्राध्यक्षों में सहमति

इस्तंबूल, दि. ११ (वृत्तसंस्था) – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने तुर्की का दौरा किया| इस दौरे में, सीरिया में चल रहे खून भरे संघर्ष को रोकने पर दोनों देशों में सहमति हुई है| सीरिया में हो रहे रशिया के सैनिकी हस्तक्षेप की ज़ोरदार आलोचना करते हुए, इसका क़रारा जवाब देने की धमकी देनेवाले अमरीका, ब्रिटन और फ्रान्स इन देशों के साथ रशिया के संबंध टूटने की कग़ार पर पहुँचे हैं| ऐसी परीस्थितियों में, नाटो का सदस्य देश रहनेवाले तुर्की का रशिया के साथ हुआ एकमत अमरीका और मित्र देशों के लिए बड़ा झटका है|

सीरियारशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को तुर्की का दौरा किया| इस दौरे में रशिया और तुर्की के बीच कई महत्त्वपूर्ण समझौते हुए| इसके बाद राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने संयुक्त पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए, सीरिया के बारे में दोनो देशों की नीति को स्पष्ट किया| सीरिया के संघर्ष को रोकना चाहिए, ऐसा दोनों देशों को लग रहा है| इस संघर्ष को रोकने के लिए सैनिकी कार्रवाई से बेहतर राजनीतिक चर्चा का विकल्प सही साबित हो सकता है, ऐसी रशिया की हमेशा से नीति रही है| आज भी जिन देशों को सीरिया की समस्या का हल राजनीतिक चर्चा के ज़रिये ढूँढ़ने में निकालने में दिलचस्पी है, वे इस प्रस्ताव को अपना समर्थन दे दें, ऐसा आवाहन रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने किया|

इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने सीरिया के नियुक्त किये हुए राजदूत ‘स्टाफन दी मित्सूरा’ पर राजनीतिक बातचीत की ज़िम्मेदारी सौंपने पर रशिया और तुर्की में सहमति हुई होने की जानकारी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने दी| मित्सूरा ने इससे पहले दिए सुझाव में, सीरिया में संघर्षविराम का विरोध करनेवाले आतंकी गुटों पर कार्रवाई करनी चाहिए, ऐसा कहा था| अलेप्पो संघर्ष के लिए मित्सूरा का यह सुझाव सहायक साबित हो सकता हे, ऐसा रशिया और तुर्की का मानना है|

इसके अलावा, पिछले कुछ दिनों से संघर्ष में घिरे अलेप्पो की जनता तक मानवतावादी सहायता भेजने पर भी रशिया और तुर्की में सहमति हुई होने की जानकारी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने दी| ‘लेकिन सिर्फ मानवतावादी सहायता जनता तक पहुँचनी चाहिए’ ऐसा बताते हुए पुतिन ने, अमरीका और मित्र देशों द्वारा विद्रोही गुटों तक हथियारों की सहायता पहुँचायी जाने पर सवाल खड़ा किया|

पिछले वर्ष तुर्की की सेना ने, सीरिया में गश्ती लगानेवाला रशिया का प्लेन गिराया था| उसके बाद रशिया और तुर्की के संबंधों में काफ़ी तनाव पैदा हुआ था| लेकिन एर्दोगन ने रशिया के साथ संबंध पहले जैसे बनाने की कोशिश शुरू करते हुए रशिया का दौरा किया| इस सालभर के तनाव के बाद पहली ही बार पुतिन तुर्की आये हैं| सीरिया के संघर्ष पर फिलहाल, रशिया बनाम पश्‍चिमी देश ऐसा तनाव है| ऐसे में, तुर्की के दौरे पर आये पुतिन सीरिया के संदर्भ में कौनसी नीति अपनाते हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी थीं|

इस पृष्ठभूमि पर, रशिया और तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष के बीच, सीरिया के संघर्ष पर हुई चर्चा महत्त्वपूर्ण मानी जाती है| इस संघर्ष को जल्द से जल्द ख़त्म करते हुए राजनीतिक चर्चाओं द्वारा उसका हल निकालने के लिए पुतिन और एर्दोगन में हुई यह बैठक, पश्‍चिमी देशों के लिए चुनौती साबित हो सकती है| तुर्की यह ‘नाटो’ का सदस्य देश है| अमरीका और युरोपीय देशों के सैनिकी संगठन का तुर्की हिस्सा होने के बावजूद भी, सीरिया संघर्ष पर तुर्की ने रशिया की नीति का स्वागत कर अमरीका की चिंता को बढ़ाया है|

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