रशिया द्वारा परमाणुबमवाहक विध्वंसक हायपरसोनिक बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण

मॉस्को, दि. २८ (वृत्तसंस्था) – अमरीका की प्रक्षेपास्त्रभेदक यंत्रणा के साथ ही, रड़ार यंत्रणा को मात दे सकनेवाले आंतरखंडीय बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र का रशियन सेना ने परीक्षण किया| रशियन सेना तैयार कर रहे ‘आरएस-२८ सरमात’ इस परमाणुबमवाहक ’आरएस-१८’ हायपरसोनिक प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया गया होने की जानकारी रशियन मीडिया ने प्रसिद्ध की है| युक्रेन तथा सीरिया को लेकर अमरीका और नाटो देशों के साथ बिगड़े रशिया के संबंधों को देखते हुए, रशिया ने किया हुआ यह परीक्षण तनाव बढ़ानेवाला है|

बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्ररशियन सेना ने इस परीक्षण के बारे में बहुत ही गोपनीयता रखी हुई थी| इस परीक्षण के दो दिन बाद रशियन सरकार से जुड़ी मीडिया ने इस परीक्षण की जानकारी प्रकाशित की| रशिया की उत्तर दिशा में स्थित ‘उरल’ इस पर्वतश्रृंखला के ‘यास्नी’ शहर के सेना अड्डे से यह परीक्षण किया गया| ‘यास्नी’ से प्रक्षेपित हुए इस प्रक्षेपास्त्र से सीधे रशिया की पूर्वोत्तर दिशा के ‘कामचात्का’ प्रांत के ‘कूरा’ रेंज का लक्ष्य भेदा|

रशियन सेना के प्रक्षेपास्त्र-सुरक्षादलों के देखरेख में हुआ यह परीक्षण सफल हुआ होने की जानकारी रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गयी, ऐसी जानकारी रशियन मीडिया ने दी है| इस साल ‘आरएस-१८’ हायपरसोनिक बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र का यह दूसरा परीक्षण है| इससे पहले भी अप्रैल महीने में इस प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया गया था| उस वक्त भी इस प्रक्षेपास्त्र के परीक्षण बारे में गोपनीयता रखी गयी थी|

अमरिकी सेना द्वारा तैनात की गयी किसी भी प्रकार की प्रक्षेपास्त्रभेदक यंत्रणा के अंतिम पाड़ाव में रशिया का ‘आरएस-१८’ आता नहीं, यह इस प्रक्षेपास्त्र की ख़ासियत है| किसी भी वक्त अपना मार्ग बदलने की क्षमता ‘आरएस-१८’ में है| साथ ही ‘लक्ष्य’ की ओर प्रवास करते हुए इस प्रक्षेपास्त्र की रफ़्तार अचानक से बढ़ती है| इससे दुश्मन की प्रक्षेपास्त्रभेदक यंत्रणा को चकमा देने में यह हायपरसोनिक प्रक्षेपास्त्र क़ामयाब होता है, ऐसा दावा किया जा रहा है|

साथ ही, अन्य देशों के पास होनेवाले बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र और उनसे जुड़ी यंत्रणाएँ, ये पृथ्वी की वातावरणीय कक्षा के बाहर फैले हुए ‘स्ट्रॅटोस्फिअर’ में से प्रवास करती हैं| लेकिन ‘आरएस-१८’ प्रक्षेपास्त्र में अंतरीक्ष से प्रवास करने की क्षमता है| इस वजह से पश्‍चिमी देशों की प्रक्षेपास्त्रभेदी यंत्रणाएँ ‘आरएस-१८’ के सामने नाक़ाम साबित होती हैं, ऐसा रशियन सेना का दावा है|

इस ‘आरएस-१८’ हायपरसोनिक बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र का इस्तेमाल रशिया, अपने ‘आरएस-२८ सरमात’ इस सबसे ख़तरनाक क्षमता के परमाणुबम के प्रक्षेपण के लिए करनेवाला है, ऐसा बोला जा रहा है| तीन ‘आरएस-१८’ प्रक्षेपास्त्र ‘सरमात’ का वहन कर ले जा सकते हैं। हायपरसॉनिक ‘आरएस-१८’ प्रक्षेपास्त्र पर लदे हुए ‘आरएस-२८ सरमात’ में भयंकर ध्वंस करने की क्षमता है|

रशिया का ‘सरमात’ यह अब तक का सबसे विनाशकारी परमाणु बम है, ऐसा कहा जाता है| ‘सरमात’ परमाणुबम की पहुँच में अमरीका की राजधानी वॉशिंग्टन समेत पूर्वोत्तर दिशा के सभी प्रमुख शहर आते हैं| साथ ही, एक हमले में फ्रान्स के विस्तार जितना भूभाग नष्ट करने की क्षमता इस परमाणुबम में है, ऐसा दावा किया जाता है| दूसरे विश्वयुद्ध में अमरीका ने, जापान के ‘हिरोशिमा-नागासाकी’ इन शहरों पर फ़ेंके हुए परमाणुबमों की तुलना में रशिया का ‘सरमात’ हजार गुना की क्षमता का है, ऐसा रशियन सेना का कहना है| साथ ही, ‘सरमात’ में ‘स्टेल्थ तकनीक’ रहने के कारण कोई भी रड़ार इसका सुराग़ नहीं पा सकता|

कुछ दिन पहले रशिया ने, हायपरसोनिक लड़ाकू विमानों का निर्माण शुरू करने का ऐलान किया था| रशियन वैज्ञानिक इस विमान के निर्माण पर काफ़ी मेहनत ले रहे होकर, पुतिन सरकार इसपर बड़ा खर्च कर रही है| इसके अलावा, रशिया हायपरसोनिक बॉम्बर विमानों का निर्माण कर रहा है| इस हायपरसोनिक बॉम्बर विमान की वजह से, ‘रशिया अंतरीक्ष युद्ध की तैयारी कर रहा है’ ऐसा कहा जा रहा था|

इसी दौरान, दुनिया के कुछ ही गिनेचुने देश हायपरसोनिक बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र का निर्माण कर रहे है| इसमें रशिया, अमरीका और चीन इन देशों का नाम लिया जाता है| अमरीका के रक्षा विभाग से जुड़े ‘डार्पा’ इस संशोधन संस्थान ने, ‘एचटीव्ही-२’ इस प्रक्षेपास्त्र का निर्माण शुरू कर दिया है| इस प्रक्षेपास्त्र के दो परीक्षण किये गये हैं| वहीं, चीन का ‘डाँगफेंग-झेडएफ’ प्रक्षेपास्त्र भी हायपरसोनिक होने का दावा किया जाता है| सन २०१४ में चीन ने पहली बार इस प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया था| इन तीन देशों के अलावा भारत भी हायपरसोनिक तकनीक पर संशोधन कर रहा है| लेकिन भारत ने अब तक इसका इस्तेमाल प्रक्षेपास्त्रनिर्माण के लिए नहीं किया है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.