रशिया की ओर से भारत को ‘एलएनजी’ की आपूर्ति शुरू

दहेज़ – अमरिका ने भारत को ‘एलएनजी’ की आपूर्ति शुरू करने के बाद कुछ ही हफ़्तों में रशिया ने भी भारत को ‘एलएनजी’ की आपूर्ति करना शुरू कर दिया है। रशिया से ‘एलएनजी’ लेकर आने वाला पहला जहाज सोमवार को गुजरात के दहेज़ में दाखिल होगा। भारत की इंधन सुरक्षा के दृष्टिकोण से रशिया ने शुरु की यह ‘एलएनजी’ की आपूर्ति महत्वपूर्ण है। अमरिका ने रशिया पर प्रतिबन्ध लगाए हैं, ऐसे में भारत रशिया की तरफ से एलएनजी की खरीदारी कर रहा है और इस वजह से इस व्यवहार का महत्व बढ़ गया है।

दो हफ़्तों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन की सोची में मुलाकात हुई थी।अमरिका ने रशिया के साथ सहयोग करने वाले देशों पर प्रतिबन्ध लगाने की घोषणा की थी।इस वजह से प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन के बीच की चर्चा का महत्व अधिक बढ़ गया था।इस चर्चा के बाद रशिया की तरफ से भारत को एलएनजी की आपूर्ति की जा रही है।विशेष बात यह है कि अमरिका ने भी भारत को एलएनजी की आपूर्ति शुरू की थी।

दो महीनों पहले अमरिका से एलएनजी लेकर आने वाला पहला जहाज महाराष्ट्र के दाभोल बंदरगाह में पहुंचा था।अमरिका के ‘चेनियर एनर्जी’ के साथ हुए अनुबंध के अनुसार भारत को हर साल ३५ लाख टन एलएनजी की आपूर्ति की जाने वाली है।अमरिका ने एलएनजी आपूर्ति शुरू करने के बाद कुछ हफ़्तों में रशिया ने भी भारत को ‘एलएनजी’ की आपूर्ति करना शुरू कर दिया है।इस वजह से भारतीय बाजार में स्थान प्राप्त करने के लिए अमरिका और रशिया के बीच संघर्ष रंग लाने वाला है, ऐसा दिखाई दे रहा है।

भारत के ‘गेल’ और रशिया के ‘गॅझप्रोम’ के बीच इस सन्दर्भ में सन २०१२ में अनुबंध हुआ था। लेकिन एलएनजी की कीमतों को लेकर चर्चा जारी थी।इस साल जनवरी में वापस चर्चा शुरू की गई।यह चर्चा सफल होने के बाद रशिया की तरफ से भारत को एलएनजी की आपूर्ति हो रही है।

अनुबंध के अनुसार अगले २० सालों के लिए रशियन कंपनी ‘गॅझप्रोम’ भारत को प्रतिवर्ष २५ लाख टन ‘एलएनजी’ की आपूर्ति करने वाली है।लेकिन शुरुआत के तीन सालों में क्रमशः इस इंधन आपूर्ति को बढाकर चौथे वर्ष से प्रतिवर्ष २५ लाख टन एलएनजी की आपूर्ति शुरू होगी।

सोमवार को रशिया से एलएनजी लेकर निकला जहाज गुजरात को दहेज़ बंदरगाह में दाखिल होगा। यहाँ के पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड के टर्मिनल में रशिया से एलएनजी लेकर आया जहाज प्रवेश करते समय स्वागत के लिए तेल और प्राकृतिक वायु मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान उपस्थित रहेंगे।

अब तक भारत इंधन के लिए बड़े पैमाने पर खाड़ी देशों पर अवलंबून था।लेकिन खाड़ी देशों की अस्थिरता की वजह से भारत को दूसरे विकल्पों के बारे में सोचना पड़ रहा है।साथ ही पेट्रोल, डीजल से भी ‘एलएनजी’ का इस्तेमाल बढाने पर भारत की तरफ से जोर दिया जा रहा है।भारत में एलएनजी की माँग बढ़ गई है और उसकी आपूर्ति बिना रुकावट चलती रहे, इसके लिए भारत ने महत्वपूर्ण अनुबंध किए हैं।इसमें अमरिका और रशिया के साथ हुए अनुबंधों का समावेश है।सऊदी अरेबिया और कतार के साथ भी भारत के ऐसे ही अनुबंध हुए हैं।सन २०१५ में क़तर के साथ हुए अनुबंध के अनुसार कतार भारत को हर साल ७५ लाख टन ‘एलएनजी’ की आपूर्ति करने वाला है।इस अनुबंध की वजह से भारत के आठ हजार करोड़ रूपए बचने वाले हैं, ऐसा कहा जाता है।

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