रशिया ने अमरीका को मध्य एशिया के अड्डों का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया – रशियन अखबार का दावा

मॉस्को – अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते हमलों के लिए अमरीका की गैरजिम्मेदाराना सेनावापसी कारणीभूत होने का आरोप रशियन विदेश मंत्री ने कुछ दिन पहले किया था। इससे, अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमरीका और रशिया के बीच मतभेद कायम हैं, यह बात फिर से सामने आई थी। लेकिन अफगानिस्तान के ही मसले पर रशिया ने अमरीका को सहयोग का ऑफर देने की खबर आई है। तालिबान पर नज़र रखने के लिए रशिया ने अमरीका को मध्य एशिया स्थित लष्करी अड्डों का प्रस्ताव दिया होने का दावा एक रशियन अखबार ने किया।

russia-advice-us-asia-baseपिछले हफ्ते ताजिकिस्तान के दुशान्बे और उज़्बेकिस्तान के ताशकंद में अफगानिस्तान के मसले पर महत्वपूर्ण बैठकें संपन्न हुईं। इन दोनों बैठकों में रशिया ने अमरीका के विरोध में अपनाई भूमिका के बारे में ‘कॉमरसँट’ इस रशिया के अग्रसर अखबार ने जानकारी प्रकाशित की। इस बैठक में रशिया ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमरीका की ज़ोरदार आलोचना की। साथ ही, अफगानिस्तान की अस्थिरता का असर मध्य एशियाई देशों पर होगा, ऐसी आलोचना भी रशिया ने की थी, इस पर इस अखबार ने गौर फरमाया।

लेकिन अमरीका की आलोचना करनेवाले रशिया ने महीने भर पहले अमरीका को अफगानिस्तान के संदर्भ में स्वतंत्र प्रस्ताव दिया था, ऐसा दावा इस अखबार ने किया। १६ जून को जिनेवा में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन के बीच विशेष बैठक संपन्न हुई थी। इस बैठक में रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने अमरीका को, मध्य एशिया के ताजिकिस्तान और किरगिस्तान स्थित रशिया के लष्करी अड्डों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया, ऐसा कॉमरसँट ने अपनी खबर में कहा है।

रशिया और अमरीका मिलकर अफगानिस्तान में संयुक्त मुहिम चलायें, ऐसा प्रस्ताव राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने राष्ट्राध्यक्ष बायडेन को दिया था, ऐसा दावा इस अखबार ने किया। रशियन सरकार ने इस खबर पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए अमरीका इन लष्करी अड्डों पर ड्रोन तैनात करें और यह जानकारी रशिया को भी प्रदान करें, ऐसा सुझाव रशिया ने देने की बात इस अखबार ने कही है।

तालिबान पर सिर्फ नज़र रखनी होती, तो बायडेन प्रशासन ने रशियन राष्ट्राध्यक्ष के प्रस्ताव का स्वीकार तभी किया होता। लेकिन अमरीका की अफगानिस्तान विषयक नीति उतने तक सीमित नहीं है, ऐसा कॉमरसँट ने कहा है। इसी कारण, रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दिए प्रस्ताव का अमरीका ने अभी भी जवाब नहीं दिया है, ऐसा दावा इस अखबार ने किया है। इस महीने की शुरुआत में अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन ने, ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री सिरोजिद्दीन मुहिरोद्दीनविच अस्लोव और उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्री अब्दुलअझिझ कॅमिलोव्ह से मुलाकात की थी। साथ ही, पिछले हफ्ते में रशियन विदेश मंत्री लॅव्हरोव्ह ने मध्य एशिया के पाँचों मित्र देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। इन मुलाकातों में अफगानिस्तान की स्थिरता और शांति इनका महत्व अधोरेखांकित किया गया, लेकिन रशिया अमरीका को देना चाहनेवाले अड्डों के बारे में कुछ फैसला नहीं हुआ, ऐसी जानकारी इस अखबार ने दी।

बता दें, अफगानिस्तान की सीमा से सटे ताजिकिस्तान के अड्डे पर रशिया के छः हज़ार जवान तैनात हैं। वहीं, अफगानिस्तान की सीमा से ५०० मील की दूरी पर होने वाले किरगिस्तान के अड्डे पर भी रशियन जवानों की तैनाती है। अफगानिस्तान की गतिविधियों का मध्य एशियाई देश और उसके बाद रशिया की सुरक्षा पर भी असर होगा, इसका पूरा अहसास रशिया को है। इसी कारण रशिया अफगानिस्तान की गतिविधियों की ओर बहुत ही सावधानी से देख रहा है।

एक-दूसरे को दुश्मन के रूप में देखनेवाले अमरीका और रशिया अगर अफगानिस्तान के मुद्दे पर सहयोग कर रहे हैं, तो इसे पाकिस्तान के लिए चिंताजनक बात बताकर एक पाकिस्तानी पत्रकार ने उसपर चिंता ज़ाहिर की है।

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