रशिया का आरक्षित सोने का भंडार २ हजार टन के समिप

मॉस्को: अंतरराष्ट्रीय चलन के तौर पर रशिया का डॉलर को विरोध नहीं है, पर अमरिका डॉलर का शस्त्र की तरह उपयोग कर रहा है। इसकी वजह से डॉलर पर विश्वास कम होता जा रहा है, ऐसा कह कर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन दुनिया भर के निरीक्षक और वित्ततज्ञ का ध्यान केंद्रित किया है। दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स परिषद में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन डॉलर पर अविश्वास दिखा रहे थे, उसी समय रशिया का आरक्षित सोने का भंडार लगभग २००० टन पर जाने की बात उजागर हुई है।

पिछले कई वर्षों से रशिया अपने आर्थिक धारणा में सोने के भंडार को सबसे अधिक महत्व दिया जा रहा है। रशिया के केंद्रीय बैंक ने पिछले ६ महीनों के अवधि में लगभग १०६ टन सोने की खरीदारी की थी। इस खरीदारी के बाद रशिया के पास आरक्षित सोने का भंडार लगभग २००० टन के आसपास गया है और विदेशी जमापूंजी का विचार करते हुए रशिया के पास सोने का आरक्षित भंडार का हिस्सा लगभग १८ प्रतिशत तक जा पहुंचा है।

रशियन वित्त व्यवस्था के इतिहास में सोने का हिस्सा विदेशी जमा पूंजी में इतने बड़े तादाद में होने का यह पहला अवसर है। इस दौरान रशिया का सोने का भंडार २००० टन के आसपास पहुंचने का यह दूसरे महायुद्ध के बाद का पहला अवसर है। दूसरे महायुद्ध के पहले वर्ष १९४१ में सोवियत रशिया ने सोने २८०० टन आरक्षित भंडार रखा था। इसके बाद अब रशिया के सोने के आरक्षित भंडार का प्रमाण बढ़ रहा है, तभी अमरिकी डॉलर्स में हो रही निवेश में गिरावट होती दिखाई दे रही है।

मार्च महीने के आखिर में रशिया के पास अमरिका के ९६.१ अरब डॉलर के कर्जरोखे थे। पर अप्रैल एवं मई महीने में किए बड़े बिक्री के बाद यह प्रमाण १५ अरब डॉलर तक नीचे गिरा है। इस गिरावट की वजह से अमरिका के कर्जरोखे होने वाले देशों में रशिया ३४वे स्थान पर पहुंचा है। अमरिका से रशियन वित्त व्यवस्था पर लगातार जारी होने वाले प्रतिबंध के पृष्ठभूमि पर रशिया ने कि हुई अमरिकी कर्जरोखे की बिक्री यह बात ध्यान केंद्रित करने वाली मानी जा रही है।

अमरिकी कर्ज रोखों की बिक्री एवं उस समय बढती सोने की खरीदारी से रशिया की आर्थिक धारणा स्पष्ट हो रही है। रशिया अपने वित्त व्यवस्था में अमेरिकी डॉलर का वर्चस्व खत्म करने की तैयारी में होकर उसके लिए सोने का प्रभावी रूप से उपयोग कर रहा है। सोने की खरीदारी के साथ चीन के युवान एवं यूरो में रशिया बड़े तादाद में निवेश बढ़ाता दिखाई दे रहा है।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने रशियन वित्त व्यवस्था से अमरिकी डॉलर को खत्म करने का प्रयत्न शुरू करने का इकबालिया बयान दिया था। अमरिका से लगातार जारी होने वाले प्रतिबंधों की वजह से वित्त व्यवस्था पर होने वाले परिणाम टालने के लिए ऐसे कदम उठाए जाएंगे, ऐसा भी उन्होंने स्पष्ट किया था। शुक्रवार को ब्रिक्स परिषद् में पुतिन ने अमरिकी डॉलर पर विश्वास घटने की चेतावनी दे कर रशिया आगे चलकर सोने एवं अन्य चलन में अधिक निवेश करने पर जोर देगा ऐसे संकेत दिए है।

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