रशिया का पहली बार जबरदस्त युद्धाभ्यास

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मॉस्को: सौ से अधिक लड़ाकू विमान और हजारों से अधिक सैनिकों के सहभाग वाला रशिया का जबरदस्त युद्धाभ्यास शुरू हुआ है। शत्रु ने आक्रमण किया तो रशिया को उस आक्रमण से बचाने के लिए तैयारी, यह इस युद्धाभ्यास की संकल्पना है। इस युद्धाभ्यास में कुल ५० लष्करी मुहीम कार्यान्वित की जाने वाली हैं, ऐसी जानकारी रशियन मीडिया ने दी है। इन दिनों अमरिका-ब्रिटन और नाटो के साथ रशिया का बढ़ते तनाव को देखा जाए, तो अपने पश्चिम की ओर रशिया ने शुरू किया यह युद्धाभ्यास मतलब पश्चिमी देशों के लिए इशारे की घंटा है, ऐसा मान जा रहा है।

रशियन लष्कर और वायुसेना के सहभाग वाले इस इस युद्धाभ्यास में दुश्मन के हवाई हमलों का सामना करने का अभ्यास किया जाने वाला है। उसीके साथ ही पहाड़ी इलाकों का युद्ध, संयुक्त लष्करी मुहीम और दुश्मनों के लष्करी ठिकानों पर हवाई हमले करने की तैयारी इस अभ्यास में की जाने वाली है, ऐसी जानकारी रशियन वृत्तसंस्था ने दी है। उसीके साथ ही युद्ध के समय रशियन सैनिकों की तेजी से तैनाती और हथियारों के सामग्री का तेज परिवहन करने का अभ्यास भी किया जाने वाला है। रशिया की पश्चिम सीमारेखा की जिम्मेदारी निभाने वाले रक्षा दल के ‘वेस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट’ (डब्ल्यूएमडी) के हवाले से रशियन वृत्तसंस्था ने यह जानकारी प्रसिद्ध की है।

इस युद्धाभ्यास में रशिया अपने सबसे प्रगत हथियारों के सामग्री का इस्तेमाल करने वाला है, ऐसा रशियन वृत्तसंस्था ने कहा है। इसमें ‘सुखोई-२७’, सुखोई-३० एसएम’, ‘सुखोई-३५’ इन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल होने वाला है। उसीके साथ ही ‘सुखोई-३४’ यह रशिया का प्रगत बॉम्बर विमान भी इस अभ्यास में शामिल होने वाला है। ‘एमआई-२४’, ‘एम २८ एन’, ‘एमआई-३५’ और ‘कॅमोव्हकेए-५२’ इन लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स का बेड़ा विशेष लश्करी मुहीम कार्यान्वित करनें वाला है। पिछले दो सालों से सीरिया में चल रहे संघर्ष में रशिया ने इन लड़ाकू और बॉम्बर विमानों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया था।

रशिया के ‘डब्ल्यूएमडी’ के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अलेक्झांडर दुप्लिन्स्की यह इस युद्धाभ्यास का नेतृत्व करने वाले हैं। सोमवार से शुरु हुए इस युद्धाभ्यास की समय सारणी अभी तक जाहिर नहीं की गई है। लेकिन पिछले कुछ हफ़्तों से अमरिका और मित्र देशों के साथ बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर रशिया ने पूर्व यूरोपीय देशों की सीमा के पास शुरू किए इस युद्धाभ्यास को देखा जा रहा है।

ब्रिटन के सालिसबरी में रशिया के भूतपूर्व जासूस पर हुआ रासायनिक हमला और रशिया सीरियन राजवट को दे रहा समर्थन इस वजह से पिछले कुछ दिनों से अमरिका, ब्रिटन और मित्र देशों के रशिया के साथ संबंधों में तनाव निर्माण हुआ हुआ है। हफ्ते पहले अमरिका, फ़्रांस और ब्रिटन ने सीरिया में हवाई हमले करके रासायनिक हथियारों के निर्माण के कारखानों को नष्ट करने का दावा किया है। अपने नागरिकों पर रासायनिक हमले करने वाली सीरियन राजवट को यह इशारा था, ऐसा भी अमरिका और मित्र देशों ने कहा था।

लेकिन अमरिका और मित्र देशों ने सीरिया में किए इन हमलों पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने जोरदार टीका की थी। पश्चिमी देशों के सीरिया पर हमले मतलब आक्रामकता है और उसे जल्द ही प्रत्युत्तर दिया जाएगा, ऐसी धमकी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दी थी।

उसके बाद पिछले हफ्ते भर में रशियन नौसेना की भूमध्य समुद्र में गतिविधियाँ बढ़ गईं हैं। सीरिया के ‘तार्तूस’ बंदरगाह में तैनात रशियन विनाशिकाएं भूमध्य समुद्र के लिए रवाना हुईं हैं। तुर्की के समुद्री क्षेत्र से रशिया की दो विनाशिकाएं जल्द ही भूमध्य समुद्र में दाखिल हो रहीं हैं। इसके अलावा रशिया की विनाशिकाएं और पनडुब्बियों को ‘इंग्लिश खाड़ी’ से यात्रा करते समय ब्रिटन की नौसेना ने देखा था। रशियन विमानों ने बाल्टिक देशों की सीमा में घुसपैठ करने की खबरें भी प्रसिद्ध हुईं थी।

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