रशिया ने जारी किए चेक के २० राजनीतिक अफसरों को देश से बाहर निकालने के आदेश

मास्को – चेक गणराज्य ने रशिया के १८ राजनीतिक अफसरों को देश छोड़ने के लिए ४८ घंटों की अवधि प्रदान की थी। लेकिन, १९ अप्रैल की देर रात से पहले ही चेक के २० राजनीतिक अफसर देश से बाहर चलते बने, ऐसे आदेश रशिया ने जारी किए हैं। इसके अलावा रशिया ने चेक के राजदूत को समन्स थमाकर अपना गुस्सा व्यक्त किया। साथ ही रशियान अफसरों को देश से बाहर निकालने के लिए अमरीका ज़िम्मेदार है, ऐसा आरोप रशियन विदेश मंत्रालय ने लगाया है।

सन २०१४ में चेक गणराज्य के लष्करी भंड़ार में भीषण विस्फोट हुए थे। उस समय चेक की सेना ने यह एक दुर्घटना होने का ऐलान किया था। लेकिन, इस मामले में रशिया का हाथ है और रशियन गुप्तचर यंत्रणा के एजंट्स ने यह विस्फोट करवाए हैं, ऐसा आरोप चेक यंत्रणा कर रही है। अपने आरोपों के समर्थन में चेक यंत्रणाओं ने इस विस्फोट की साज़िश का हिस्सा रही रशियन गुप्तचर प्रणाली के एजंट्स की जानकारी भी सार्वजनिक की।

इसके बाद चेक गणराज्य ने रशिया के १८ राजनीतिक अफसरों को देश से बाहर निकालने का ऐलान किया। साथ ही अगले ४८ घंटों के दौरान देश छोड़कर स्वदेश लौटने के आदेश दिए।

चेक सरकार की इस कार्रवाई के कुछ ही घंटे बाद रविवार देर रात को ही रशिया ने राजधानी मास्को में स्थित चेक के राजदूत को समन्स थमाए और इस कार्रवाई की तीखे शब्दों में आलोचना की। इसके अलावा चेक दूतावास के २० अफसरों को सोमवार देर रात से पहले रशिया छोड़ने के आदेश जारी करके देश ना छोड़ने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, यह इशारा रशिया के विदेश मंत्रालय ने दिया है। सोमवार के बाद चेक का दूतवास बंद किया जाएगा। इससे रशिया में चेक की राजनीतिक सेवाओं पर असर होगा, ऐसा दावा हो रहा है।

नाटो और यूरोपिय महासंघ के सदस्य देश चेक ने रशिया के खिलाफ उठाए कदमों के लिए अमरीका ज़िम्मेदार है, ऐसा आरोप रशियन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा ने लगाया है। साथ ही इस कार्रवाई के तार कहीं न कहीं बेलारूस की सरकार विरोधी साज़िश से जुड़े होने का दावा ज़ाखारोवा ने किया। रविवार के दिन रशिया ने बेलारूस सरकार का तख्ता पलटने की बड़ी साज़िश नाकाम करके इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया। इस साज़िश में अमरीका का हाथ है, ऐसा आरोप रशिया और बेलारूस ने लगाया है।

इसी बीच, अमरीका और रशिया के बीच राजनीतिक स्तर पर जोरदार द्वंद्व शुरू हुआ है। अमरीका ने रशियन अफसरों पर प्रतिबंध लगाना और इस पर रशिया ने जैसे को तैसा प्रत्युत्तर देना यानी अमरीका-रशिया का आमने-सामने होना था। लेकिन, अब चेक गणराज्य और बेलारूस की गतिविधियाँ देखें तो अमरीका और रशिया के बीच अप्रत्यक्ष द्वंद्व शुरू होने की बात दिख रही हैं।

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