रशिया, चीन और पाकिस्तान की बैठक पर अफगानिस्तान को ऐतराज़

मॉस्को/काबूल, दि. २८: रशिया की राजधानी मॉस्को में रशिया, चीन और पाकिस्तान की अफगानिस्तान के सिलसिले में परिषद संपन्न हुई| इस परिषद में रशिया और चीन ने, अफगानिस्तान के तालिबानी कमांडर्स पर संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा लगाये गए प्रतिबंध पीछे लेने के लिए कोशिश करने की घोषणा की| लेकिन ‘अफगानिस्तान के संदर्भ में हुई परिषद में अफगानिस्तान को ही शामिल नहीं किया गया था’ इस बात पर ग़ौर फ़रमाते हुए अफगान सरकार ने इसपर तीव्र नाराज़गी जतायी| ‘यह हमारे अंदरूनी कारोबार में दखलअंदाजी है’ ऐसे अफगानिस्तान ने कहा है|

अफगानिस्तानपिछले कई महीनों से, रशिया की पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान से संबंधित नीति में बदलाव आया है| अफगानिस्तान के मुद्दे पर, पाकिस्तान और चीन को अनुकूल रहनेवाली नीति अपनाने के संकेत रशिया ने दिये थे| मंगलवार को मॉस्को में संपन्न हुई इस परिषद ने, रशिया की इस बदलती नीति पर मुहर लगायी है| इस परिषद में रशिया ने, ‘अफगानिस्तान में ‘आयएस’ जैसे आतंकवादी संगठन का विस्तार खतरनाक है’ ऐसा कहते हुए उसपर चिंता जतायी| साथ ही, तालिबान के कुछ कमांडर्स पर संयुक्त राष्ट्रसंघ ने लगाये हुए प्रतिबंधों को हटाने के लिए रशिया कोशिश करेगा, यह घोषणा इस दौरान की गयी| किसी ज़माने में सोव्हिएत रशिया अफगानिस्तान में कर रहे हमलों का विरोध करने के लिए स्थापन किए गए तालिबान को, रशिया से मिल रहा समर्थन सभी का ग़ौर फ़रमा रहा है|

लेकिन रशिया ने अपनी इस भूमिका का समर्थन किया| ‘अफगानी सरकार और तालिबान के बीच की चर्चा को अपनी कोशिशों के कारण बढावा मिलेगा और इससे तालिबान मुख्य प्रवाह में आयेगा’ ऐसा दावा रशिया कर रहा है| अफगाणी सरकार ने इस त्रिपक्षीय चर्चा की आलोचना करते हुए उसपर तीव्र नाराज़गी जतायी| अफगानिस्तान के विषय में आयोजित की गयी परिषद में अफगानिस्तान को ही शामिल नहीं किया गया था| इस कारण, इस परिषद के हेतुओं पर संदेह उत्पन्न होता है, ऐसे अफगानिस्तान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता मुस्ताघनी ने कहा है| साथ ही, ‘अफगानिस्तान के अंतर्गत मसले में किसी की दख़लअंदाज़ी बर्दाश्त नहीं की जायेगी’ ऐसी चेतावनी मुस्ताघनी ने दी| ‘इस प्रकार की बातचीत से कोई बात सफल नहीं होगी’ ऐसी आलोचना मुस्ताघनी ने की|

भारत ने भी तालिबान के साथ की रशिया की चर्चा पर नापसंदगी ज़ाहिर करते हुए, रशिया को इस संदर्भ में एहतियात बरतने की चेतावनी दी है| उसपर खुलासा करते हुए रशिया ने भी, ‘तालिबान के साथ की बातचीत अफगानिस्तान में ‘आयएस’ को रोकने के लिए है’ ऐसे कहा था| भारत इसकी चिंता ना करें, ऐसा रशिया के अफगानिस्तान स्थित राजदूत ने स्पष्ट किया था|

इस दौरान, अगले साल की बैठक में ईरान को भी शामिल करें, ऐसी माँग पाकिस्तान के विदेश सचिव एझाज चौधरी ने की| वहीं, रशिया ने भी, ‘अगली बैठक में अफगानिस्तान को शामिल किया जायेगा’ ऐसा आश्वासन दिया है| रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन के विशेष दूत झामीर काबुलोव्ह ने, अमरीका में ट्रम्प द्वारा राष्ट्राध्यक्षपद की कमान सँभाली जाने के बाद अमरीका की अफगानिस्तानविषयक नीति में बडे बदलाव होंगे, ऐसा मत प्रदर्शित किया है| इन बदलावों पर रशिया का ध्यान होगा, ऐसा भी काबुलोव्ह ने आगे कहा|

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