रशिया-अमरीका संबंध तनावपूर्ण बन गये होने का संयुक्त राष्ट्र संघ स्थित रशियन राजदूत का दावा

संयुक्त राष्ट्र, दि. १७ (वृत्तसंस्था) – सन १९७३ में इस्राएल और अरब देशों में हुए युद्ध के बाद पहली ही बार अमरीका और रशिया के संबंधों में इतनी चरमसीमा का तनाव पैदा हुआ है| इसके लिए अमरीका की कुछ नीतियाँ ज़िम्मेदार होने की आलोचना संयुक्त राष्ट्र संघ स्थित रशिया के राजदूत ‘विटली चर्कीन’ ने की| इस तनाव के बाद भी अमरीका के साथ संबंध सुधारने के लिए रशियन सरकार तैयार है, ऐसी जानकारी भी रशियन उच्चायुक्त ने दी है|

अमरीकासीरिया में जारी संघर्ष पर रशिया और अमरीका में बहस चल रही है| अमरीका ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के सामने, सीरिया में अस्साद सरकार के खिलाफ सेना की कार्रवाई करने के बारे में प्रस्ताव रखा था| लेकिन रशिया ने नकाराधिकार का इस्तेमाल करते हुए अमरीका और मित्रदेशों की योजना को तितर-बितर कर दिया| वहीं, दोनों देशों की मीडिया में, परमाणुयुद्ध की आशंका जतायी जानेवालीं खबरें आ रही हैं| दोनो देशों ने अपनी जनता को परमाणुयुद्ध के लिए तैयार रहने की सूचना दी है, ऐसी जानकारी भी सामने आ रही है|

इस पृष्ठभूमि पर, रशियन उच्चायुक्त चर्कीन ने पत्रकारों से वार्तालाप किया| रशिया और अमरीका के बीच के संबंध बहुत ही तनावपूर्ण हो गये है, ऐसा चर्कीन ने माना| इन तनावपूर्ण संबंधो की तुलना करते हुए रशियन उच्चायुक्त ने, सन १९७३ में लड़ी गई आखाती जंग का उदाहरण दिया| इस्राएल और अरब देशों में २० दिन तक युद्ध चला था| ‘योम किपूर’ और ‘अक्तूबर वॉर’ इन नामों से पहचाने जानेवाले इस युद्ध में सीरिया और इजिप्त के नेतृत्त्व में अरब देशों ने इस्राएल के खिलाफ युद्ध छेड़ा था| इस युद्ध में अमरीका ने अपने मित्र देश इस्राएल को समर्थन दिया; वहीं, सोव्हिएत रशिया ने अरब देशों को अपना समर्थन दिया था| इस युद्ध की वजह से रशिया और अमरीका के बीच के संबंधो में तनाव पैदा हुआ था|

अमरीकाअभी भी सीरिया में चल रहे संघर्ष के कारण दोनो देशों के बीच के संबंध तनावपूर्ण स्थिती में पहुँचे हैं, ऐसा चर्कीन ने कहा| इसके लिए, दोनो देशों का एक-दूसरे के प्रति बढ़ता अनादर और राजनीतिक गतिविधियों पर संवाद का भाव, इन जैसीं बातें ज़िम्मेदार हैं, ऐसा रशियन उच्चायुक्त ने कहा|

अमरीका और नाटो ने पूर्व युरोप में, रशिया की सीमा के नज़दीक बैलेस्टिक मिसाईल्सरोधी यंत्रणा तैनात करके और युक्रेन, जॉर्जिया इन सोव्हिएत रशियन देशों को नाटो की सदस्यता देकर अमरीका ने रशियाविरोधी भूमिका अपनायी| इसमें भी, युक्रेन में रशियासमर्थक रहनेवाले राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ अमरीका ने विद्रोह करवा दिया| अमरीका की इस नीति के कारण रशिया को युक्रेन के क्रिमिआ पर क़ब्जा करना पड़ा| इससे पश्चिमी देशों ने रशिया पर निर्बंध जारी किये और रशिया-अमरीका के बीच के संबंध बिगड़ गये, ऐसा दावा चर्कीन ने किया| पिछले कुछ दिनो से सीरिया के संघर्ष को लेकर दोनो देशों की बीच की दरार बहुत बढ़ गई है, ऐसा रशिया के उच्चायुक्त ने कहा|

यह तनाव भले ही बढ़ गया हो, लेकिन दोनो देशों में कुछ महत्त्वपूर्ण विषयों पर सहयोग शुरू है, ऐसा चर्कीन ने स्पष्ट किया| शीतयुद्धसमय में अमरीका और सोव्हिएत रशिया में सहयोग, चर्चा रुक गई थी| लेकिन सीरिया के संघर्ष पर दोनो देशों के विदेश मंत्रियों में चर्चा शुरू है, इसकी चर्कीन ने याद दिलायी| इस चर्चा की वजह से सीरिया में संघर्षविराम लागू करवाते हुए मानवतावादी सहाय्य शुरू किया गया था; साथ ही, ईरान मामले में सफलतापूर्वक चर्चा हो सकी, ऐसा भी चर्कीन ने कहा|
इसी दौरान, अमरीका के साथ अच्छा सहयोग स्थापित करने के लिए रशिया अभी भी तैयार है| अमरीका का प्रशासन यदि बदल गया, तो नयी सरकार के साथ चर्चा करने के लिए रशिया तैयार है, ऐसा रशिया के उच्चायुक्त ने स्पष्ट किया| लेकिन इसीके साथ, राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा इसके आगे भी यदि अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद पर रहते हैं, तो उनके साथ भी संबंध पहले जैसे बनाने के लिए रशिया कोशिश करेगा, ऐसे हैरानी में डालने वाले संकेत रशियन उच्चायुक्त ने दिए हैं|

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