अमरीका और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव से तैवान युद्ध की चिंगारी भड़क सकती है – अधिकारी और विश्‍लेषकों का दावा

बीजिंग/तैपेई – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जारी लष्करी गतिविधियों की वजह से अमरीका और चीन के बीच लगातार तनाव बढ़ रहा है और इस तनाव की वजह से तैवान मुद्दे पर युद्ध की चिंगारी भड़क सकती है, यह दावा वरिष्ठ अधिकारी एवं विश्‍लेषक कर रहे हैं। चीन ने साउथ चायना सी के समुद्री क्षेत्र में लगातार लष्करी सामर्थ्य का प्रदर्शन करना जारी रखा है और अमरीका से तैवान को प्रदान हो रही रक्षा सहायता एवं तैवान की सरकार चीन के खिलाफ़ अपना रही आक्रामक भूमिका की वजह से युद्ध की संभावना भी बढ़ने की बात अधिकारी और विश्‍लेषकों ने कही है। इसी पृष्ठभूमि पर रविवार के दिन अमरिकी विध्वंसक ने तैवान की खाड़ी में गश्‍त करने की जानकारी तैवान के रक्षा मंत्रालय ने साझा की।

तैवान युद्ध

चीन अपने समुद्री क्षेत्र में तीन जगहों पर एक साथ युद्धाभ्यास कर रहा है। एक साथ तीन दिशाओं से शत्रु का हमला हो सकता है और यह बात ध्यान में रखकर यह युद्धाभ्यास किए जा रहे हैं। अमरीका, जापान और तैवान से चीन पर होनेवाले हमलों को प्रत्युत्तर देने के लिए यह तैयारी हो सकती है। इतिहास देखें तो इस तरह से लगातार हो रहे युद्धाभ्यास युद्ध के स्पष्ट संकेत देते हैं, यह दावा चीन की ‘शांघाय युनिवर्सिटी’ के लष्करी विश्‍लेषक नी लेशीओंग ने किया। चीन के विदेश विभाग ने तैवान के मुद्दे पर हाल ही में जारी किए एक निवेदन में चीन से तैवान को अलग करने की किसी भी गतिविधि को रोकने की क्षमता चीन रखता है, यह इशारा दिया था।

तैवान युद्ध

अमरीका के साथ तैवान के अधिकारी और विश्‍लेषक भी युद्ध की संभावना बढ़ने का एहसास दिला रहे हैं। युद्ध शुरू करने की इच्छा दोनों ओर नहीं है। लेकिन, साथ ही लष्करी युद्धाभ्यास और गतिविधियां बड़ी मात्रा में हो रही हैं और इससे किसी भी दुर्घटना से युद्ध भड़कने की संभावना अधिक है, यह ड़र एक विदेशी राजनीतिक अधिकारी ने व्यक्त किया। तैवान की सुरक्षा और राजनीतिक क्षेत्र से संबंधित सूत्रों ने भी इसकी पुष्टी की है। बंदूक को साफ करते समय गोली छूटने की संभावना से जैसे इन्कार नहीं किया जा सकता, उसी तरह की संभवना चीन और तैवान के युद्ध के बारे में भी हो सकती है, यह दावा सूत्रों ने किया है।

तैवान युद्ध

यूएस नेवल इन्स्टिट्युट की ‘प्रोसिडिंग्ज’ पत्रिका में इस विषय का एक लेख भी प्रसिद्ध हुआ है। अमरीका में नवंबर महीने में होनेवाले राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनाव विवादित साबित होने पर इस स्थिति का लाभ उठाकर चीन तैवान पर हमला भी कर सकता है, यह संभवना इस लेख में जताई गई है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प फिलहाल चीन के खिलाफ़ आक्रामक निर्णय ले रहे हैं और इससे निर्माण हुई अस्थिरता भी इस हमले का कारण बन सकती है, ऐसा ज़िक्र भी इस लेख में है। अमरीकी रक्षाबलों के भूतपूर्व वरिष्ठ अधिकारी जेम्स विनफेल्ड और गुप्तचर यंत्रणा सीआयएस के भूतपूर्व संचालक मायकल मॉरेल ने यह लेख लिखा है।

इसी बीच रविवार के दिन अमरिकी नौसेना की विध्वंसक ने तैवान की खाड़ी में गश्‍त लगाने की बात सामने आयी है। तैवान के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार के दिन इससे संबंधित जानकारी साझा की है और यह गश्‍त आम सागरी मुहीम का हिस्सा थी, यह बात भी कही है। अमरिकी विध्वंसक ने तैवान के करीब गश्‍त लगाने की बीतें १५ दिनों में यह दूसरा अवसर है। इससे पहले १८ अगस्त के दिन अमरीका की ‘गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर यूएसएस मस्टिन’ ने तैवान की खाड़ी में गश्‍त लगाई थी। अमरिकी विध्वंसक की यह गश्‍त उकसानेवाली और खतरनाक है, ऐसी आलोचना चीन ने की थी।

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