छोटे और मध्यम उद्योगों को दिए कर्ज़ की पुनर्रचना को ‘आरबीआय’ की मंजूरी – कोरोना के संकट काल में ‘आरबीआय’ का राहत देनेवाला निर्णय

मुंबई – कोरोना की दूसरी लहर की वजह से देश के कुछ हिस्सों में फिर से लॉकडाउन लगाने की स्थिति बनी है। कुछ राज्यों ने सख्त प्रतिबंध लगाए हैं और इससे औद्योगिक विश्‍व को फिर से संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में रिज़र्व बैंक ने कुछ अहम निर्णय करके उद्योग क्षेत्र को राहत दी है। मौजूदा स्थिति में कर्ज लेनेवालों पर होनेवाला असर ध्यान में रखते हुए कर्ज की पुनर्रचना का विकल्प ‘आरबीआय’ ने खुला किया है। सूक्ष्म, लघू और मध्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के उद्योगों को इस निर्णय से लाभ हो सकता है। २५ करोड़ रुपयों तक के कर्ज़ की पुनर्रचना की अनुमति इस निर्णय के माध्यम से बैंकों को प्राप्त होगी। साथ ही वैद्यकीय सामान की आयात करनेवाले एवं अस्पतालों को सुविधा बढ़ाने के लिए कर्ज़ उपलब्ध कराने के लिए ५० हज़ार करोड़ रुपयों का प्रावधान भी आरबीआय ने किया है। इसके अलावा अन्य कुछ अहम ऐलान भी ‘आरबीआय’ के गवर्नर शक्तिकांता दास ने किए हैं।

कोरोना की नई लहर की वजह से अब तक पूरे देश में लॉकडाउन का निर्णय नहीं हुआ है, फिर भी कई राज्यों ने कोरोना की चेन तोड़ने के लिए कर्फ्यू या लॉकडाउन घोषित करने के कदम उठाए हैं। इस वजह से औद्योगिक उत्पादनों पर एवं कुल कारोबार पर असर पड़ा है। ऐसे दौर में ‘आरबीआय’ ने ‘एमएसएमई’ क्षेत्र के उद्योगों को राहत देने का निर्णय किया है। इन उद्योगों के लिए कर्ज की पुनर्रचना की योजना ‘आरबीआय’ ने पेश की है। बुधवार के दिन ‘आरबीआय’ के गवर्नर शक्तिकांता दास ने इन निर्णयों का ऐलान किया। इसके अनुसार पहले की किसी भी योजना में पुनर्रचना का लाभ ना उठानेवाले ‘एमएसएमई’ क्षेत्र के उद्योगों के कर्ज की पुनर्रचना नई योजना के ज़रिये मुमकिन होगी। साथ ही लघु और मध्यम उद्योगों के लिए ‘आरबीआय’ बैंकों के माध्यम से नया कर्ज उपलब्ध कराएगी।

इसी बीच ३५ हज़ार करोड़ के बांड़ खरीदने का ऐलान भी आरबीआय ने किया है। इसके अलावा आरबीआय ने ५० हज़ार करोड़ रुपयों की राशि उपलब्ध कराने का ऐलान भी किया है। इस वजह से बैंकों की नकदी बढ़ेगी। यह निधि बैंकों को रेपो रेट द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा और इस निधि से बैंक द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास या वैद्यकीय सामान के आयात के क्षेत्र की कंपनियों को कर्ज उपलब्ध कराना संभव होगा। वैक्सीन उत्पादक, वैक्सीन की आयातक, वैद्यकीय सामान की आयातक, अस्पताल और दवाखानों को उनकी सुविधाएं बढ़ाने के लिए, ऑक्सिजन और वेंटिलेटर्स के आयातकों को इससे नया कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए विशेष खिड़की की सुविधा ३१ मार्च, २०२२ तक जारी रहेगी, यह ऐलान ‘आरबीआय’ के गवर्नर शक्तिकांता दास ने किया है।

लघु वित्तीय बैंकों के लिए भी ‘आरबीआय’ ने १० हज़ार करोड़ रुपयों का अतिरिक्त निधि उपलब्ध कराया है। इससे यह बैंक छोटे उद्यों को आर्थिक सहायता प्रदान कर सकेगी। इसके अलावा राज्यों के आर्थिक गणित भी बिगड़े हैं। इसे ध्यान में रखते हुए राज्यों की ओवर ड्राफ्ट की सुविधा की निर्धारित अवधि बढ़ाई गई है। यह अवधि अब ३६ दिनों से बढ़ाकर ५० दिन की गई है। सितंबर तक इस निर्णय का राज्य सरकारें लाभ उठा सकेंगी। इसके अलावा केवायसी की प्रक्रिया भी आरबीआय ने सुलभ की गई है और वीडियो के ज़रिये ग्राहकों की पहचान की नई प्रक्रिया भी तैयार की गई है।

इसी बीच, बीते वर्ष कोरोना के दौर में पहला लॉकडाउन घोषित होने के बाद आरबीआय ने आम कर्ज खातेदारों को लोन मोरेटोरियम यानी कर्ज की किश्‍त ना चुकाने की सुविधा प्रदान की थी। इस बार भी आरबीआय ऐसी सुविधा का ऐलान करेगी, यह उम्मीद कुछ लोग व्यक्त कर रहे थे। लेकिन, इस बार आरबीआय ने यह सुविधा देने का निर्णय अब तक नहीं किया है। लेकिन, आरबीआय ने कोरोना के संकट और इससे लगाए गए प्रतिबंधों का अर्थव्यवस्था पर असर हो रहा है और माँग कम होने की बात कही है। इस दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर होनेवाले असर पर हम बारिकी से नज़र रखे हुए हैं, यह बयान भी गवर्नर शक्तिकांता दास ने किया।

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