श्वसनसंस्था भाग – ४४

पिछले दो लेखों में हमने सेंट्रिफ्यूगल ऍक्सलेटरी फोर्सेस के मानव-शरीर पर होनेवाले दुष्परिणाम देखें। आज हम रेषीय गति के (Linear acceleration) शरीर पर होनेवाले परिणामों की जानकारी प्राप्त करेंगे।

अंतरिक्ष यात्रा (Space Travel) में ऐसे फोर्सेस शरीर पर कार्यरत होते हैं। अंतरिक्ष यान के उड़ते समय कार्य करनेवाले फोर्सेस को ऍक्सलेटरी तथा यान के वापस जमीन पर उतरते समय कार्य करनेवाले फोर्सेस को डिसलरेटरी फोर्सेस कहते हैं।

उड़ान भरते समय कार्यरत रहनेवाले फोर्सेस प्राय: ज्यादा दुष्परिणाम नहीं करते हैं। अंतरिक्ष यान की उड़ान अनेक चरणों में होती है, प्राय: तीन चरणों में होती है। प्रत्येक चरण में अलग-अलग ‘जी’ के फोर्सेस कार्य करते हैं। ये फोर्सेस कुछ मिनटों तक ही कार्यरत होते हैं। इसी लिए ये तकलीफदेह साबित होते हैं। ऐसे समय में यदि अंतरिक्ष यात्री सीधा खड़ा या बैठा हो तो ये +८G से +९G के फोर्सेस सहन नहीं कर सकता। उड़ान भरते समय अंतरिक्ष यात्री यदि आधी झुकी हुई स्थिती (semi reclining) में बैठे तो उसका शरीर इन फोर्सेस को सहन कर सकता है। इसीलिए अंतरिक्ष यान में कुर्सियाँ आधी झुकी हुई स्थिति में होती हैं।

अंतरिक्ष यान को जमीन पर उतारते समय ज्यादा सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं। यान को सुरक्षित उतारने के लिए उसके वेग का कम होना आवश्यक होता है। अंतरिक्ष यान का वेग जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही ज्यादा सावधानी से नीचे उतारना पड़ता है। उतारने के लिए उसे ज्यादा समय देना पड़ता है। अन्यथा डिसलेटरी फोर्सेस अंतरिक्ष यात्रा के लिए घातक साबित होती है।

पॅराशूट की सहायता से नीचे उतरते समय भी डिसलेटरी फोर्सेस कार्य करते हैं। पॅराशूट की सहायता से नीचे उतरते समय (पॅराशूट खोलने से पहले) उतरने का वेग प्रति सेकेंड़ दो गुना होता जाता है। उतरनेवाले व्यक्ति पर दो अलग-अलग शक्तियाँ कार्य करती हैं। पृथ्वी की गुरुत्त्वाकर्षण शक्ति व्यक्ति को नीचे खींचती है और हवा इसका विरोध करती है। कुछ ही देर में दोनों शक्तियों का सुवर्णमध्य आ जाता है और उतरनेवाला व्यक्ति एक निश्चित गति से नीचे उतरता है। इस गति को Terminal Velocity कहते हैं। इस गति में व्यक्ति १७५ फूट / प्रति सेकेंड़ की गति से नीचे उतरता है। बिना पॅराशूट के उतरते समय यह गति रहती है। जब पॅराशूट पूरी तरह खुल जाता है, तब यह गति १/९ से कम हो जाती है यानी प्रति सेकेंड़ लगभग २० फूट। ६ फुट की ऊँचाई से कूदनेवाले पर जो असर होता है, उतना ही असर पॅराशूट से नीचे उतरते समय प्रतीत होता है। पॅराशूट की सहायता से उतरते समय कभी भी पैर सीधे रखकर नहीं उतरना चाहिए। ऐसा करने पर उतरते समय पैरों पर जो impact होता है, जमीन पर गिरने का जो impact होता है, उससे पैरों की हड्डियों, पेलविस एवं व्हर्टिब्रा इत्यादि जगहों पर अस्थिभंग हो सकता है। इसी लिए पॅराशूट से उतरते समय पैरों के स्नायुओं कड़क (tide) करके पैरों को घुटनों की जगह मोड़कर ही उतरना चाहिए।

वजनविहीन अस्वथा (Wightlessness) : अंतरिक्ष यात्रा के दौरान व्यक्ति को इसी अवस्था में रहना पड़ता है। इसका असर शरीर पर होता है। प्रारंभ में इस अवस्था के निम्नलिखित परिणाम होते हैं – १) मोशन सिकनेस – यात्रा के दौरान होनेवाली तकलीफों में अवकाश यात्री को उलटियाँ होती हैं, जी मिचलाता है। २) शरीर का द्राव अपना स्थान छोड़कर अन्य स्थानों पर जाता है (Translocational). ३) शरीर की हलचल धीमी पड़ जाती है, क्योंकि सभी स्नायु शिथिल हो जाते हैं।

कुछ दिनों तक की अंतरिक्ष यात्रा के बाद निम्नलिखित परिणाम दिखाई देते हैं –
१) रक्त की मात्रा (volume) कम हो जाती है।
२) लाल रक्तकोशिकाओं की संख्या घट जाती है।
३) स्नायु की शक्ति कम हो जाती है, साथ ही काम करने की क्षमता घट जाती है।
४) कार्डिआक आऊटपुट कम हो जाता है।
५) हड्डियों में कॅलिशयम एवं फॉस्फरस की मात्र घट जाती है।

महीनों-महीनों तक बिस्तर पर पड़े रहनेवाले व्यक्ति में भी ऐसे परिवर्तन होते हैं। अंतरिक्ष यात्रा के दौरान होनेवाले इन बदलावों को टालने के लिए अंतरिक्ष यात्री कुछ विशेष प्रकार के व्यायाम करते हैं। फिर भी अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद उनकी कार्यक्षमता घट जाती हैं। ऐसा असर कुछ दिनों तक बना रहता है।(क्रमश:)

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