०६. जेकब का पुनश्‍च नामकरण

जेकब तक पहुँचने के बाद लॅबान ने, सपने में भगवान ने दिये आदेश के अनुसार जेकब को कुछ भी हानि नहीं पहुँचायी। लेकिन घर से ग़ायब हुई देवता की मूर्ति के बारे में उसे पूछा। मग़र जेकब को इस माजरे की कुछ भी जानकारी नहीं थी। उसने लॅबान को अपने लोगों की तलाशी लेने की अनुमति दी और साथ ही – ‘जिसने भी यह किया होगा, वह जल्द ही मर जायेगा’ ऐसी शापवाणी का भी उच्चारण किया।

तलाशी लेकर भी लॅबान को वह मूर्ति नहीं मिली, क्योंकि राचेल ने उसे सुरक्षित जगह छिपाकर रखा था। तब गुस्से में ही उनसे विदा लेकर लॅबान लौट गया और इन लोगों ने अगला प्रवास शुरू किया।

लेकिन जेकब से विदा लेकर गया हुआ लॅबान चुपचाप नहीं बैठा था। उसने अपने कारनामें जारी ही रखे। वह जानता था कि जेकब के भाई एसाऊ के मन में जेकब के प्रति विद्वेषभावना है। इसलिए उसने ‘जेकब आ रहा है’ इस बात की इत्तिला एसाऊ को कर दी।

जेकब मर गया है, यही मानकर चलनेवाले एसाऊ के मन में जेकब के प्रति विद्वेषभावना पुनः जागृत हो गयी। उसने जेकब पर हमला करने की तैयारी शुरू की।

इसी दौरान, ‘एसाऊ के मन में मेरे प्रति विद्वेष की भावना है’ यह जाननेवाले जेकब ने कई बेहतरीन क़ीमती नज़राने साथ देकर, दोस्ती के प्रस्ताव के लिए अपने दूत एसाऊ के पास भेजे। लेकिन एसाऊ का ग़ुस्सा ठण्ड़ा ही नहीं हो रहा था। तब जेकब ने भेजे दूत मजबूरन् वे सारे नज़रानें एसाऊ को देकर लौट आये। आने के बाद उन्होंने जेकब को यह ख़बर दी कि एसाऊ अपने लोगों के साथ जेकब पर हमला करने आ रहा है।

मजबूरन् जेकब ने इस हमले का मुक़ाबला करने की तैयारी शुरू की। तब तक याबोक नदी के तट पर पहुँचे जेकब ने रातोरात अपना सारा परिवार, अन्य स्त्रियॉं-बच्चें और चीज़वस्तुएँ नदी के उस पार ले जाकर सुरक्षित जगह रखीं। लेकिन एसाऊ के साथ मित्रता स्थापित करने के प्रयास उसने जारी रखे। एक से बढ़कर एक बेशक़ीमती वस्तुएँ, जानवर आदि नज़रानें साथ देकर उसने पुनः अपने लोगों को एसाऊ के पास भेजा। साथ ही – ‘एसाऊ को सद्बुद्धि मिलें….उसके मन में मेरे प्रति होनेवाली शत्रुता की भावना नष्ट हों’ ऐसी प्रार्थना वह बार बार भगवान के पास कर रहा था; लेकिन यह प्रार्थना करने के साथ साथ, एसाऊ के संभाव्य हमले का मुक़ाबला करने की तैयारी भी उसने जारी ही रखी थी।

जब अपना सारा परिवार तथा चीज़वस्तुएँ नदी के उस पार रखकर वह पुनः अकेला ही लौट आया, तब एक चमत्कारिक घटना घटित हुई, ऐसा यह कथा बताती है। रात के अँधेरे में उस प्रदेश से अकेले ही गुज़रते समय, जेकब की मुलाक़ात एक देवदूत से हुई। यह देवदूत एसाऊ का रक्षक-देवदूत है, इस बात का पता जेकब को चला। यह जानने के बाद उसने, उसे जाने देने की विनति उस देवदूत से की, लेकिन उस देवदूत ने उसकी एक नहीं सुनी। तब मजबूरन् वह उस देवदूत के साथ कुश्ती करने लगा और उस देवदूत पर भी हावी होकर जेकब ने उसे रातभर अपनी पकड़ में कसकर बॉंधे रखा! जेकब की प्रचंड ताकत के सामने उस देवदूत की भी एक न चल सकी; केवल जेकब के पैर की हड्डी को वह मामूली क्षति पहुँचा सका, ऐसा यह कथा बताती है। (इसकी स्मृति के रूप में ज्यूधर्मीय आजतक अपने भोजन में उस हड्डी का समावेश नहीं करते।)भोर का समय नज़दीक आया, तब उस देवदूत ने उसे छोड़ देने की विनति जेकब से की। तब जेकब – ‘उसपर कृपा करने की शर्त पर’ उसे छोड़ देने के लिए राज़ी हो गया। फिर उस देवदूत ने जेकब से उसका नाम पूछा। जेकब द्वारा अपना नाम बताया जाने पर उस देवदूत ने – ‘भविष्य में तुम ‘जेकब’ नाम से नहीं, बल्कि ‘इस्रायल’ (‘देवदूत से भी लड़ाई कर सकनेवाला’) इस नाम से पहचाने जाओगे’ ऐसा आशीर्वाद उसे दिया और वह देवदूत आये रास्ते वापस लौट गया।

इसी दौरान एसाऊ अपने लोगों के साथ वहॉं पहुँच गया। लेकिन जेकब ने भेजे क़ीमती नज़रानों के कारण कहिए या जेकब की विनतियों के कारण कहिए या फिर जेकब की प्रार्थना के कारण कहिए, अब एसाऊ का गुस्सा ठण्डा होकर उसकी मनोभूमिका में अच्छाख़ासा फ़र्क़ आया था। उसके मन में जेकब के प्रति रहनेवाली शत्रुता की भावना नष्ट हो गयी थी। दोनों भाई एक-दूसरे को गले लगाकर बहुत रोये। दोनो भाइयों में दिलजमाई हुई और एसाऊ आये रास्ते वापस लौट गया और जेकब कॅनान की दिशा में आगे निकल पड़ा।

बीस साल पहले जब वह लॅबान के पास जाने निकला था, तब रात को नींद में जहॉं पर उसे स्वप्नदृष्टांत हुआ था, वहॉं यानी ‘बेथेल’ पहुँचने पर जेकब ने उस स्थान पर, जैसा कि पहले भगवान को अभिवचन दिया था उसके अनुसार स्मृतिस्थल का निर्माण किया और फिर इन लोगों ने अपना आगे का प्रवास जारी रखा।

इसी दौरान राचेल के गर्भावस्था की अवधि पूरी होने को आयी थी। आगे ‘बेथेल’ से ‘बेथेलहेम’ तक के प्रवास में ही राचेल को बच्चे के जन्म का दर्द शुरू हुआ और उसने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम ‘बेंजामिन’ (बेन-यामिन) रखा गया। लेकिन बेंजामिन को जन्म देकर राचेल ने इस दुनिया से विदा ली। राचेल की इस तरह आकस्मिक मृत्यु यह, लॅबान के सामने जेकब ने – लॅबान के घर की देवता की मूर्ति लेनेवाले के लिए जिस शापवाणी का उच्चारण किया था उसी का परिणाम था, ऐसा मत कई विश्‍लेषकों ने ज़ाहिर किया है।

जहॉं पर अब्राहम, सारा इनके मृतदेह दफ़नाये गये थे, उस मॅकपेलाह गुफ़ा में ही राचेल का मृतदेह दफ़नाने का जेकब का विचार था; लेकिन भगवान ने उसे पुनः दृष्टान्त देकर, राचेल ने जहॉं इस दुनिया से विदा ली, उसी जगह उसके मृतदेह को दफ़नाने के लिए कहा। इसलिए जेकब ने वहीं पर, बेथेलहेम के पास ही राचेल के लिए क़ब्र खोदकर वहॉं पर उसके मृतदेह को दफ़ना दिया और उसकी स्मृतिप्रीत्यर्थ वहॉं एक स्तंभ का निर्माण किया। आज भी हज़ारों की तादाद में ज्यूधर्मीय यात्रिक नियमित रूप में राचेल की इस क़ब्र के दर्शन करने चले आते हैं।

अब जेकब अपने परिवार के साथ कॅनान पहुँचा। लेकिन वहॉं पहुँचने पर उसे, उसकी मॉं रिबेका का कुछ ही समय पहले निधन हो चुका होने का दुखदायी समाचार मिला। रिबेका के मृतदेह को भी, अब्राहम-सारा के मृतदेह जहॉं दफ़नाये गये थे, उस मॅकपेलाह गुफ़ा में ही दफ़नाया गया था।

इस प्रकार जेकब को कुल मिलाकर बारह पुत्र हुए, जिनसे ही आगे चलकर इस्रायल की मूल ‘बारह ज्ञातियों’ (‘द ट्वेल्व ट्राईब्ज ऑफ़ इस्रायल’) का निर्माण हुआ, ऐसी ज्यूधर्मियों की मान्यता है। लेकिन इन बारह लड़कों में से, राचेल का बड़ा बेटा ‘जोसेफ़’ ही ‘अब्राहम-आयझॅक-जेकब’ इस परंपरा को आगे ले जानेवाला था। लेकिन इन लोगों को ‘एक राष्ट्र’ के तौर पर आकार आने के लिए अभी भी कई-सौ वर्षों की अवधि लगनेवाली थी! (क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

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