राज्यसभा में तीन श्रम सुधार बिलों को मिली मंजूरी

नई दिल्ली – बुधवार के दिन राज्यसभा में तीन श्रम सुधार बिल मंजूर किए गए। आवाज़ी मतदान से यह बिल पारित किए गए और अब यह तीनों बिल राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों के लिए भेजे जा रहे हैं। केंद्र ने श्रम कानून में सुधार करने के लिए शुरू की हुई प्रक्रिया श्रमिकों के कल्याण के नज़रिए से काफ़ी अहम होने की बात श्रममंत्री संतोष गंगवार ने कही है।

श्रम सुधार

‘कोड ऑफ ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ ऐण्ड वर्किंग कंडिशन ऑर इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड और सोशल सिक्युरिटी कोड’ के तीन बिल राज्यसभा ने पारित किए हैं। इस सुधार के साथ ही ३०० कर्मचारियों की कंपनी को भी कंपनी बंद करने की एवं श्रमिकों की संख्या कम करने के लिए सरकार की अनुमति की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। फिलहाल यह कानून सिर्फ १०० कर्मचारियों के साथ काम कर रही कंपनियों के लिए लागू है।

१०० श्रमिकों की संख्या वाली कंपनियों तक ही ऐसा कानून सीमित रहना उचित नहीं। इसी कारण कंपनियां अधिक से अधिक कर्मचारियों की भर्ती नहीं करती या जानबूझकर कर्मचारियों की संख्या कम दिखाती हैं। लेकिन, अब यही मर्यादा ३०० कर्मचारियों तक बढ़ाने से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। कंपनियों को अधिक से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना संभव होगा, यह बात श्रममंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कही है। साथ ही इससे पहले ही १६ राज्यों ने इसी तरह का कानून पारित करने की जानकारी पर गंगवार ने ध्यान आकर्षित किया।

देश में बड़े जटिल श्रम कानून निवेश के लिए मारक साबित हो रहे हैं। पुराने श्रम कानून की वजह से निवेशक भारत में निवेश करने से पहले काफी सोचते थे। इसी कारण सरकार ने ५० से अधिक कानूनों में बंटे श्रमिकों से संबंधित कानूनी प्रावधानों को चार संहिताओं में रूपांतरित करने का निर्णय लिया था। वर्ष २०१४ में यह काम शुरू हुआ। इनमें से १२ कानूनों से बने ‘कोड ऑफ वेजेस बिल’ को पहले ही संसद की मंजूरी प्राप्त हुई थी। इसमें कर्मचारियों के लिए कम से कम वेतन और समय पर वेतन प्रदान करने से संबंधित प्रावधान थे।

बुधवार के दिन पारित हुए तीन बिलों में से ‘कोड ऑफ ऑक्युपेशनल सेफ्टी ९’, ‘हेल्थ ऐण्ड वर्किंग कंडिशन ओर इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड’ में १३ और ‘सोशल सिक्युरिटी कोड’ में ३० कानूनों का समावेश किया गया है। इन तीन बिलों के लिए संसदिय समिती ने २३३ सिफारिशें रखी थीं। श्रम मंत्रालय ने इसका अध्ययन करके १७४ सिफारिशें स्वीकारी थीं।

इसी बीच बुधवार के दिन राज्यसभा में ‘फॉरेन काँट्रीब्युशन’ (नियमन) अनुसंधान विधेयक २०२०’ पारित किया गया। इसके अनुसार ‘एनजीओ’ को पंजीकरण के लिए उनके अधिकारियों के आधार कार्ड़ पेश करने होंगे।

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