क्वाड की सक्रियता के कारण चीन की चिंताएँ बढ़ीं

नई दिल्ली – सितंबर महीने में भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ की बैठक संपन्न होनेवाली है। उससे पहले क्वाड का लष्करी सहयोग तेज़ होने के आसार दिखाई दिए देने लगे हैं। यह बात चीन के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय बनी है। लद्दाख की एलएसी के गोग्रा से चीन ने की लष्करी वापसी में से यह चिंता ज़ाहिर होने के संकेत मिल रहे हैं। उसी समय ‘साऊथ चाइना सी’ क्षेत्र में अपनी नौसेना का ‘टास्क फोर्स’ रवाना करके भारत ने चीन पर दबाव अधिक ही बढ़ाया है। भारतीय युद्धपोत इस क्षेत्र में पहुँचने से पहले चीन ने इस क्षेत्र में अपनी नौसेना का अभ्यास शुरू किया होने की खबरें आ रही हैं।

क्वाड की स्थापना होने के बाद चीन ने उसका मज़ाक उड़ाया था। भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इनका यह संगठन यानी केवल अखबारों की हेडलाइंस तक ही सीमित होगा। उससे परे जाकर यह सहयोग वास्तव में नहीं उतरेगा, ऐसे ताने चीन ने मारे थे। इस बेफिजूल विश्वास के ज़ोर पर चीन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी नौसेना की वर्चस्ववादी हरकतें जारी रखीं। उसी समय भारत की एलएसी पर भी खुराफातें तेज़ कीं थीं। इस क्षेत्र में भारत को चुनौती देने के कारण, भारत का सारा ध्यान चीन से सटी सीमा पर केंद्रित होगा और उस कारण नौसेना की ओर भारत ध्यान नहीं दे सकेगा, ऐसा अनुमान इसके पीछे था। लेकिन भारत ने क्वाड में अपना सहभाग बढ़ाकर चीन को बड़ा झटका दिया।

क्वाड का सहयोग अब वास्तव में उतर रहा है और लष्करी स्तर पर क्वाड की गतिविधियाँ शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं। चीन की आक्रामकता के कारण अमरीका को मजबूरन क्वाड को बढ़ावा देना पड़ रहा होकर, भारत ने भी इस मामले में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का फैसला किया है। कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ऍबट ने भारत आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की थी। इस चर्चा के बाद ऍबट नी ऐसा यकीन ज़ाहिर किया था कि भारत समर्थ रूप में चीन के खतरे का सामना कर सकता है। साथ ही, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापारी तथा अन्य स्तरों पर होनेवाला सहयोग यही संकेत दे रहा है कि लोकतंत्रवादी देश चीन से दूर जा रहे हैं, ऐसा सूचक बयान टोनी ऍबट ने किया था। मगरूर बने चीन के लिए भारत यह उत्तम विकल्प साबित होगा, ऐसा ऍबट ने ऑस्ट्रेलियन अखबार के लिए लिखे लेख में कहा है।

इससे पहले ब्रिटेन ने भी लोकतंत्रवादी देशों का डी१० संगठन बनाने की तैयारी की थी। अमरीका ने भी लोकतंत्रवादी देशों की एकजुट का आवाहन किया होकर, यह चीन को झटका देनेवाली बात साबित होती है।

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