तालिबान के आतंक के खिलाफ ‘क्वाड’ ‘इंटेलिजन्स’ का सहयोग करे – भारत के रक्षाबलप्रमुख की उम्मीद

नई दिल्ली – तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्जा करना तय था। हमारी उम्मीद से दो महीने पहले ही यह बात हुई है, ऐसा बयान भारत के रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने किया है। साथ ही तालिबान में किसी भी तरह का बदलाव नहीं आया है, यह दर्ज़ करके सिर्फ तालिबान के पार्टनर्स बदल चुके हैं, ऐसी फटकार जनरल रावत ने लगाई। तालिबान के आतंक का खतरा बढ़ रहा है और इस बीच ‘क्वाड’ के सदस्य देश गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान करें, यह कहकर जनरल रावत ने अमरीका से जो उम्मीद है उसे अमरीका के एडमिरल जॉन ऐक्विलिनो के सामने स्पष्ट शब्दों में कही।

भारत के रक्षाबलप्रमुख‘द इंडिया-यूएस पार्टनरशिप सिक्युअरिंग द २१ सेंच्युरी’ विषय पर एक अध्ययन मंड़ल द्वारा आयोजित चर्चा में जनरल रावत बोल रहे थे। अमरीका की इंड़ो-पैसिफिक कमांडक के एडमिरल जॉन ऐक्विलिनो के साथ साक्षात्कार के दौरान जनरल रावत ने अफ़गानिस्तान की स्थिति और तालिबान के मुद्दे पर सख्त भूमिका रखी। अफ़गानिस्तान में हो रही गतिविधियों की कल्पना भारत को पहले से थी। केवल यह घटना उम्मीद से दो महीने पहले घटी है, ऐसा जनरल रावत ने कहा। बीते बीस वर्षों में तालिबान में बदलाव नहीं आया, सिर्फ तालिबान के पार्टनर्स बदल चुके हैं। अफ़गानिस्तान से भाग निकले लोग तालिबान की गतिविधियों की जानकारी साझा कर रहे हैं, इसी से यह स्पष्ट होता है, ऐसा रक्षाबलप्रमुख ने आगे कहा।

अफ़गानिस्तान में फैला हुआ आतंकवाद भारत पहुँचता है तो, भारत आतंकवाद पर कर रहा है उतनी ही सख्त कार्रवाई से प्रत्युत्तर देगा। इस आतंकवाद का मुकाबला करते समय ‘क्वाड’ के सदस्य देशों से गोपनीय जानकारी का सहयोग प्राप्त हो तो भारत इसका स्वागत करेगा, ऐसा जनरल रावत ने कहा। इसी बीच चीन की हरकतों की वजह से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ‘क्वाड’ का सहयोग बड़ा ज़रूरी हो गया है, यह बात रक्षाबलप्रमुख ने सूचक शब्दों में रखी।

हिंद महासागर और पैसिफिक महासागर को सीमा रेखा से बांटना मुमकिन नहीं होता। भारत हिंद महासागर को सुरक्षित रखे और अन्य देश पैसिफिक महासागर का ज़िम्मा संभालें, इस तरह से ज़िम्मेदारी का भी बंटवारा नहीं हो सकता। इसी कारण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का व्यापक विचार करना आवश्‍यक है। ‘क्वाड’ के सहयोग के पीछे यह नज़रिया है। हमें वहां पर यातायात की पूरी आज़ादी की उम्मीद है, यह बात जनरल रावत ने स्पष्ट की।

तालिबान की अफ़गानिस्तान में हुई जीत की वजह से निर्माण हुई स्थिति और चीन की चुनौती, इन दोनों का सामना करने की क्षमता भारतीय रक्षाबल रखते हैं, यह विश्‍वास जनरल रावत ने व्यक्त किया। भारत के पड़ोस में दो देश परमाणु धारक हैं लेकिन, इन दोनों से बना हुआ खतरा ध्यान में रखकर भारत ने अपनी परंपरागत और परमाणु युद्ध की तैयारी की है, यह इशारा जनरल रावत ने दिया।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर भारत की यह भूमिका आक्रामक नहीं है, बल्कि संतुलन रखनेवाली एवं सुरक्षा को प्राथमिकता देनेवाली है। ‘क्वाड’ में अन्य देशों के समावेश का स्वागत ही होगा, ऐसा कहकर जनरल रावत ने ब्रिटेन की विमान वाहक युद्धपोत ‘एचएमएस क्विन एलिज़ाबेथ’ की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की मुहिम का स्वागत किया।

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