इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा के लिए क्वाड प्रतिबद्ध – भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों समेत अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष का दावा

वॉशिंग्टन – क्वाड की बैठक संपन्न होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन, प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने एक अमरिकी अखबार में संयुक्त लेख प्रकाशित किया है। स्वतंत्र, मुक्त, सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ये चारों देश प्रतिबद्ध हैं, ऐसा इस लेख में नमूद किया गया है। क्वाड की बैठक का महत्त्व भी इस लेख में अधोरेखांकित किया गया है। यह इन चारों देशों ने मिलकर चीन को दी एक और चेतावनी साबित होती है।

१२ मार्च को भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं की व्हर्च्युअल बैठक संपन्न हुई। क्वाड के राष्ट्रप्रमुखों की यह पहली ही बैठक थी और उसके लिए अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने पहल की थी। इस बैठक से पहले चीन ने, यह सहयोग चीन के विरोध में ना हो, ऐसी उम्मीद ज़ाहिर की थी। लेकिन इस बैठक में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बारे में अपनी उम्मीद चारों नेताओं ने स्पष्ट रूप में व्यक्त की। इसमें स्वतंत्र, मुक्त, सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का चारों नेताओं ने बार-बार उल्लेख किया। साथ ही, इस क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन हो, ऐसी उम्मीद भी इन नेताओं ने जाहिर की थी।

‘वॉशिंग्टन पोस्ट’ इस अमरिकी अखबार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन, प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन इनका संयुक्त लेख प्रकाशित किया गया है। इस लेख में भी यह भूमिका अधिक स्पष्ट रूप में रखी गई। चुनौती के दौर में क्वाड का गठन हुआ, यह बहुत ही अहम बात इस लेख में दर्ज की गई है। सन २००७ में राजनीतिक संवाद के स्तर पर क्वाड के देश एकत्रित आए थे। उसके बाद सन २०१७ में क्वाड नए सिरे से स्थापित हुई, यह बताकर इन चारों नेताओं ने चीन की बढ़ती आक्रामकता के कारण क्वाड अधिक सक्रीय बनने के संकेत दिए हैं।

सन २०१७ से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता में अधिक से अधिक बढ़ोतरी हुई दिख रही है। खासकर पिछले कुछ महीनों में चीन ने ईस्ट और साऊथ चायना सी क्षेत्र में अपनी वर्चस्ववादी भूमिका अधिक ही तीव्र की दिख रही है। साऊथ चायना सी क्षेत्र में चीन ने नौं ‘डॅशलाईन्स’ का प्लान जारी किया और उसपर अपना अधिकार होने के दावे ठोके थे। वहीं, कुछ दिन पहले चीन ने ईस्ट तथा साऊथ चायना सी में अपने तटरक्षक बल को, जहाजों पर गोलीबारी करने के अधिकार बहाल किए हैं। इस कारण इस क्षेत्र में संघर्ष का खतरा बढ़ा है।

चीन की इस बढ़ती विस्तारवादी नीति पर क्वाड से प्रतिक्रिया आई दिख रही है। भारत-अमरीका-जापान-ऑस्ट्रेलिया ने चीन की इस मगरूरी का जवाब देने की तैयारी की है। केवल लष्करी ही नहीं, बल्कि आर्थिक तथा अन्य स्तरों पर भी सामरिक सहयोग व्यापक करके, ये चारों देश चीन को जवाब देने के लिए गतिविधियाँ करने लगे हैं। कोरोना प्रतिबंधक टीके की सप्लाई करने का दावा करके, चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के छोटे देशों को अपनी एड़ी के नीचे रखने के लिए गतिविधियाँ कर रहा है। लेकिन वैसा ना हों, इसके लिए भारत के कोरोना प्रतिबंधक टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए अमरीका और जापान निवेश करने के लिए तैयार होने की बात सामने आई है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया इन टीकों के वितरण के लिए पहल करनेवाला है। इससे, कोरोना के टीकों का इस्तेमाल करके अपने राजनीतिक हेतु साध्य करने की चीन की साजिश नाकाम होगी । इस कारण चीन उस पर क्रोधित प्रतिक्रिया दे रहा है।

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