रक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए १३० अरब डॉलर का प्रावधान करेंगे – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग की घोषणा

बंगळुरू – ‘भारत अपनी जनता और अखंडता के विरोध में होने वाले कारनामों से बहुत सावधान है। भारत ऐसी कोशिशों को नाकाम किए बगैर नहीं रहेगा। अगले सात से आठ सालों में भारतीय रक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए १३० अरब डॉलर्स खर्च किए जाएंगे। इसमें रक्षा सामग्री की स्वदेशी बनावट पर सर्वाधिक जोर दिया जाएगा’, ऐसी घोषणा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने की। बंगळुरू में शुरू हुए ‘एरो इंडिया’ का उद्घाटन करते समय रक्षा मंत्री ने यह घोषणा की।

rajnath-singh‘एरो इंडिया’ के उपलक्ष्य में भारतीय वायुसेना के लिए ८३ ‘तेजस’ विमानों की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। ४८ हजार करोड रुपए के इस समझौते पर संतोष जाहिर कर के रक्षा मंत्री ने कहा कि यह देशांतर्गत स्तर पर आज तक का सबसे बड़ा रक्षा विषयक समझौता है। रक्षा क्षेत्र में भारत को अग्रसर देश बनाना, यह सरकार का लक्ष्य है, ऐसा राजनाथ सिंह ने इस समय स्पष्ट किया। इसके तहत अगले सात से आठ वर्षों में लष्कर के आधुनिकीकरण के लिए सरकार लगभग १३० अरब डॉलर इतनी निधि खर्च करेगी। रक्षा सामग्री का डिश अंतर्गत निर्माण इस धोरण का केंद्र रहेगा कमा ऐसा रक्षा मंत्री ने कहा है।

एरोस्पेस एवं रक्षा क्षेत्र के लिए सन २०२४ तक लगभग ३५ हजार करोड रुपए की निर्यात का लक्ष्य सामने रखा गया है। उसी समय, देशांतर्गत स्तर पर रक्षा विषयक टर्नओवर १.७५ लाख करोड रुपए तक ले जाने का लक्ष्य सामने रखा गया होने की जानकारी राजनाथ सिंग ने दी। रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए सरकार ने इसकी मर्यादा ७४ प्रतिशत तक बढ़ाई है कमा इसकी भी याद रक्षा मंत्री ने कराई। ‘एरो इंडिया २०२१’ में भारत की रक्षा क्षेत्र की क्षमता का एहसास हो रहा है। यह दुनिया की सबसे बड़ी ‘हायब्रिड एरो अँड डिफेन्स’ प्रदर्शनी होने का दावा राजनाथ सिंग ने किया।

लद्दाख की एलएसी पर चीनी लकड़ी ताकत का इस्तेमाल करके हालातों को बदलने की कोशिश करके देखी। ठीक चीन का जिक्र न करते हुए, इसका संदर्भ देकर रक्षा मंत्री ने चीन को कड़ी चेतावनी दी। भारत सावधान है और अपनी जनता और अखंडता को झटका देने की किसी भी कोशिश को नाकाम किए बगैर भारत चुप नहीं बैठेगा, ऐसा राजनाथ सिंग नी डटकर कहा है।

इसी बीच, वायुसेनाप्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा है कि भारत के पास अपने हवाई क्षेत्र में अविरत रूप से निगरानी करने की क्षमता है। देशांतर्गत स्तर पर उद्योग विकसित कर भारत ने यह क्षमता हासिल की है, ऐसा उल्लेखनीय बयान वायुसेना प्रमुख ने किया।

अगले दशक में भारत का हवाई क्षेत्र, जागतिक हवाई क्षेत्र के लिए आवश्यक होने वाली सप्लाई चैन का महत्वपूर्ण घटक बनेगा, ऐसा विश्वास वायुसेनाप्रमुख भदौरिया ने व्यक्त किया। भू-सामरिक नीति के अनुसार यदि भारत को देखा, तो इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता इनका केंद्र भारत ही है यह समझ में आएगा, ऐसा वायुसेनाप्रमुख ने कहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.