प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अफ़्रीकी देशों की यात्रा शुरू

नई दिल्ली, दि. ६ (पीटीआय)- गुरुवार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोझांबिक, दक्षिण अफ़्रीका, टांझानिया और केनिया की यात्रा शुरू हो रही है| प्रधानमंत्री ने कहा है कि इन देशों के साथ, राजनीतिक, आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में रहनेवाले भारत के संबंधों में सुधार लाना, यही इस यात्रा का हेतु है | चीन का अफ्रीका में प्रभाव बढ रहा है| यह ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री का दौरा तय किया गया है, ऐसा दावा विशेषज्ज्ञों ने किया है|

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीयात्रा की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोझांबिक में दाखिल होंगे| इस अफ़्रीकी देश की यात्रा करनेवाले प्रधानमंत्री मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री है| दक्षिण अफ्रीका, टांझानिया और केनिया इन देशों को ३४ साल बाद भेट देनेवाले प्रधानमंत्री मोदी पहले प्रधानमंत्री है| अपनी इस यात्रा में द्विपक्षीय व्यापार और अन्य क्षेत्रों में सहयोग के साथ ही, इन देशों की जनता का भारतीय जनता के साथ संपर्क और संवाद बढ़ाने को हम प्राथमिकता देंगे, ऐसे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है| साथ ही, प्रधानमंत्री की दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा विशेष तौर पर महत्वपूर्ण साबित होगी, ऐसा दावा किया जाता है|

भारत दक्षिण अफ़्रीका का, छठे क्रमांक का व्यापारी साज़ेदार देश है| सन २०१५-१६ इस वित्तीय साल में दोनों देशों का कारोबार ५.३ अरब डॉलर्स पर गया था| इसमें बड़े पैमाने पर बढोतरी हो सकती है और भारत तथा दक्षिण आफ्रिका इन दोनो देशों को इसकी पूरी जानकारी है| प्रधानमंत्री की इस यात्रा में, यह व्यापारी साज़ेदारी और अधिक व्यापक करने के लिए प्रयास किये जायेंगे| साथ ही, संयुक्त राष्ट्रसंघ की रक्षा परिषद का स्थायी सदस्यत्व अब तक किसी भी अफ़्रीकी देश को नही मिला है| दक्षिण आफ्रिका इसके लिए पूरी तरह से प्रयास कर रहा है| भारत भी स्थायी सदस्यत्व के लिए प्रयास कर रहा है| इसी कारण दोनों देशों के बीच का राजनैतिक सहयोग महत्वपूर्ण साबित होगा| इस बारे में भी प्रधानमंत्री के यात्रा में बातचीत होगी|

इसी बीच, अफ़्रीकी देशों पर का चीन का बढता प्रभाव चिंताजनक माना जाता है| अफ़्रीकी देशों का ईंधन, खनिजसंपत्ती चीन के कब्ज़े में जा रही है| चीन का अफ़्रीकी देशों के साथ वार्षिक कारोबार करीब २०० अरब डॉलर्स पर गया है| यह रक़म अफ्रीका के ३० छोटे देशों के एकत्रित जीडीपी से भी ज़्यादा है| इसी कारण, अब तक अफ्रीका खंड को कुछ अंश तक दुर्लक्षित रखनेवाला भारत व्यापारी दौड़ में बहुत पीछे रह गया| इस पृष्ठभूमि पर भारत ने अफ्रीका के साथ सभी स्तरों पर के संबंधों को बढ़ाने को शुरूआत की है|

पिछले साल भारत में अफ़्रीकी देशों के समिट का आयोजन किया गया था| इस समिट को अफ़्रीकी देशों से मिले प्रतिसाद से भारत का उत्साह बढ गया था| इस समिट में भारत ने, अफ़्रीकी देशों के साथ का कारोबार और बाकी स्तरों पर के संबंध भी व्यापक करने के लिए आक्रामक योजनाएँ हाथ में ली थीं| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार अफ़्रीकी देशों की यात्रा से इन प्रयासों को ज़्यादा गति मिलेगी, ऐसा कहा जाता है|

शीतयुद्ध के दौरान भारत ने स्वीकार की हुई अपक्षपाती तटस्थ नीति का ज़्यादातर अफ़्रीकी देशों ने समर्थन किया था| इन देशों के सामने भारत का लोकतंत्र और भारत ने की आर्थिक और सामाजिक प्रगति, इनका आदर्श है| साथ ही, अफ्रीका खंड में बड़ी तादाद में भारतीय बसे हुए है| इसी कारण भारत को अफ़्रीकी देशों से और ज़्यादा प्रतिसाद मिलेगा और प्रधानमंत्री की यात्रा में इसका प्रतिबिंब देखने को मिलगा, ऐसा दावा किया जाता है|

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