प्रधानमंत्री मोदी जर्मनी यात्रा पर

बर्लिन, दि. २९: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी, स्पेन, रशिया और फ्रान्स इन चार युरोपीय देशों की यात्रा पर होकर, जर्मनी में दाखिल हुए हैं| उनकी इस यात्रा में अहम व्यापारी और द्विपक्षीय निवेश के समझौते संपन्न होंगे| चीन ने एशिया और युरोपीय क्षेत्र में अपना वर्चस्व प्रस्थापित करनेवाली ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) जैसी महत्त्वाकांक्षी परियोजना हाथ में लेने के बाद, भारतीय प्रधानमंत्री की जर्मनी, स्पेन, रशिया और फ्रान्स यात्रा की राजनैतिक अहमियत अधिक बढ़ी है|

जर्मनी की चॅन्सेलर अँजेला मर्केल के साथ मैं भारत और जर्मनी के सहयोग का नया अध्याय शुरू करनेवाला हूँ’ ऐसा विश्‍वास प्रधानमंत्री ने इस यात्रा के दौरान व्यक्त किया था| युरोपीय महासंघ से बाहर निकलने का निर्णय ब्रिटन ने लेने के बाद, सभी युरोपीय देश भारत के साथ व्यापारी संबंध और अधिक व्यापक करने के लिए ख़ास कोशिश कर रहे हैं| जर्मनी ने भी इसके लिए कदम बढाए हैं और दोनों देशों के बीच व्यापारी और निवेश संबंधी सहयोग इस वजह से अधिक मज़बूत होगा| प्रधानमंत्री मोदी की यह जर्मनी यात्रा इसी वजह से अहम बनी हुई है, ऐसा कहा जा रहा है|

इस यात्रा में चीन की ‘ओबीओआर’ इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर गहरी चर्चा अपेक्षित है| भारत इस परियोजना में शामील हों, ऐसा आवाहन चीन की ओर से किया गया है| लेकिन भारत ने, ‘यह परियोजना भारत की सम्प्रभुता को चुनौती दे रही है’ ऐसा कहते हुए इस परियोजना में शामिल होने से इन्कार किया था| कुछ युरोपीय देश भी चीन की इस परियोजना की ओर संदेह से देख रहे हैं, ऐसा कहा जा रहा है| ‘ओबीओआर’ की परिषद के लिए हालाँकि रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन उपस्थित थे, लेकिन किसी समय सोव्हिएत संघराज्य का हिस्सा रहे मध्य एशियाई देशों पर चीन का बढ़ता प्रभाव रशिया जैसा देश कतई बर्दाश्त नहीं करेगा, इस पर भी विश्लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं|

इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय प्रधानमंत्री की जर्मनी, स्पेन, रशिया और फ्रान्स यात्रा काफी अहम मानी जाती है| इन देशों के राष्ट्रप्रमुखों के साथ हो रही भारतीय प्रधानमंत्री की चर्चा में व्यापारी और निवेश संबंधित समझौतों के साथ चीन की ‘ओबीओआर’ पर भी विचारविनिमय अपेक्षित है| उपरोक्त यात्रा में युरोपीय देशों से भारत में किए जानेवाले निवेश में काफ़ी बड़ी बढ़ोतरी होगी, ऐसा दावा किया जाता है| उसी समय, जर्मनी की चॅन्सेलर मर्केल और प्रधानमंत्री मोदी के बीच होनेवाली चर्चा में युरोपीय महासंघ के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते का मुद्दा सबसे आगे होगा, ऐसा कहा जाता है| भारत और जर्मनी के बीच सन २०१६ में १७.४२ अरब युरो का व्यापार हुआ था|

वहीं, सन २००० से २०१६ तक जर्मनी ने भारत में तकरीबन ९.५४ अबर डॉलर्स का निवेश किया है और जर्मनी भारत में निवेश करनेवाले देशों में सातवें नंबर का देश बना है| जर्मनी के उत्पादकों को लिए भारत काफी बड़ा मार्केट है| तकरीबन १८०० जर्मन कंपनियाँ भारत में सक्रिय हैं|
अपने जर्मनी दौरे में उभय देशों में व्यापार और निवेश विषयक सहयोग अधिक व्यापाक होगा, ऐसा विश्‍वास प्रधानमंत्री मोदी ने जताया है|

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