‘मसूद अजहर’ का बचाव कर रहे – चीन पर दबाव बढा

Third World Warवॉशिंगटन: संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में ‘मसूद अजहर’ का बचाव कर रहे चीन के साथ अमरिका, फ्रान्स और ब्रिटेन की बातचीत शुरू है| इस चर्चा के बाद भी चीन ने अजहर का बचाव करने का निर्णय किया तो अन्य विकल्पों का इस्तेमाल करने की चेतावनी अमरिका, फ्रान्स और ब्रिटेन ने दी है| इस मामले में मुश्किल में आने से चीन ने अजहर के मुद्दे पर चर्चा करने की तैयारी दिखाने का वृत्त है| इस मामले में संयम दिखाने की हमारी तैयारी है, फिर भी आतंकवाद के विरोध में भारत बिल्कुल समझौता नही करेगा, ऐसा पक्ष भारत ने डटकर रखा है|

‘पुलवामा’ में आतंकी हमला करवाने वाले ‘जैश’ का प्रमुख मौलाना मसूद अजहर ने ४४ भारतीय सैनिकों की हत्या की थी| उसके बाद भारत ने पाकिस्तान से आतंकियों को प्राप्त हो रही सहायता का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया था| इसे बडा प्रतिसाद प्राप्त हुआ है और फ्रान्स ने अजहर पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में पेश करने की तैयारी की| अमरिका एवं ब्रिटेन ने इस प्रस्ताव का साथ दिया और सुरक्षा परिषद के १५ सदस्यों में से सिर्फ चीन के अलावा अन्य सभी देशों ने अजहर पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव मंजूर किया था| लेकिन, चीनने तांत्रिक वजह बताकर अजहर पर प्रस्तावित कार्रवाई रोक दी? थी|

मसूद अजहर, बचाव, कर रहे, चीन, दबाव, बढा, अमरिका, संयुक्त राष्ट्रसंघचीन का यह निर्णय मायूस करनेवाला है, यह कहकर आलोचना करते समय इससे उम्मीद टुटी है, ऐसा भारत ने कहा था| वही, यह प्रस्ताव रखनेवाले फ्रान्स, अमरिका एवं ब्रिटेन ने इस मामले में चीन को कडे शब्दों में सवाल किए थे| अभी भी अजहर पर कार्रवाई करने की संभावना खतम नही हुई है और यह तिनों देश चीन के साथ ‘अजहर’ मामले में चर्चा कर रहे है| इस बातचीत से मार्ग निकलेगा, ऐसी उम्मीद अमरिका, फ्रान्स एवं ब्रिटेन ने व्यक्त की है| लेकिन, इस बातचीत के बाद भी चीन ने अपनी भूमिका बदलने से इन्कार किया तो फिर अलग विकल्प का विचार करनाही होगा, ऐसा इन देशों ने चीन को सुनाया है|

यह अलग विकल्प क्या होंगे, यह स्पष्ट नही किया गया है, फिर भी सुरक्षा परिषद में चीन को इस संबंधि अधिक खुलासा करने पर विवश करने का विकल्प इसमें शामिल है| यह अवसर आने मत देना, यह इशारा भी इन देशों के अधिकारी चीन को दे रहे है| इस मामले में हम भी चर्चा के लिए उपलब्ध होने की बात कहकर चीन कडी भूमिका अपनाने से दूर रहा है| लेकिन, इस बार ‘अजहर’ का पक्ष लेकर हमने भारतीयों का रोष आमंत्रित किया है, इसका एहसास चीन को हुआ है| इसी लिए आसान शब्दों में चीन अभी भी अपनी भूमिका बदल सकता है, यह दिखाने की कोशिश कर रहा है|

इस मामले में भारत संयम बरतने के लिए तैयार है| लेकिन, आतंकियों के संबंधि किसी भी प्रकारसे समझौता मुमकिन नही है, यह कहकर भारत ने चीन पर राजनयिक दबाव बढाया है| पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमला करने से चीन ने भारत से संयम बरतने का निवेदन किया था| इस पृष्ठभूमि पर भारत ने हम ‘संयम’ दिखा रहे है, यह बात चीन की समझाई है| लेकिन, चीन ने इस संयमी भूमिका को प्रतिसाद नही दिया, तो फिर भारत से सहयोग की अपेक्षा चीन ना रखे, यह संकेत भारत अलग अलग मार्ग से दे रहा है|

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