चिनी जनता का असंतोष दबाने के लिए राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ताइवान पर हमला करेंगे – ब्रिटीश अखबार का दावा

लंदन – कोरोनावायरस का उद्रेक, ठंडी पड़ी विकास दर और बढ़ता चला जा रहा उर्जा संकट इस कारण चीन की जनता में राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के खिलाफ असंतोष बढ़ता चला जा रहा है। उस पर से चिनी जनता का ध्यान हटाने के लिए राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग, सन २०१४ में रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने इस्तेमाल किए क्रीमिया मॉडल की तरह ताइवान पर हमला कर सकते हैं, ऐसा दावा ब्रिटेन के अग्रसर अखबार ने किया है। पिछले कुछ दिनों में चीन के १५० लड़ाकू विमानों ने ताइवान की सीमा में की घुसपैठ और उसके बाद जिनपिंग ने दी धमकी, इनसे चीन के इरादे सामने आ रहे हैं।

china-people-jinping-1सन २०१४ में रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन की देशांतर्गत लोकप्रियता घटी थी। ऐसे समय रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने युक्रेन के अलगाववादियों को लष्करी सहायता प्रदान कर क्रीमिया को रशिया में विलीन करा लिया था। उसके बाद राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की रशिया में लोकप्रियता नई बुलंदी पर पहुँची थी। अगले कम से कम १० साल पुतिन के नेतृत्व को चुनौती मिलनेवाली नहीं है, ऐसा दावा उस समय किया गया था।

चीन के चे राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग भी इन दिनों देशांतर्गत असंतोष का सामना कर रहे हैं। कोरोना के विस्फोट के कारण चीन की जनता तथा कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ नेता जिनपिंग के नेतृत्व पर नाराज़ हैं। जिनपिंग की आर्थिक नीति के झटके चीन की अर्थव्यवस्था को लग रहे हैं। जागतिक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए चीन ने अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्थाओं का नाजायज़ इस्तेमाल किया होने की बात भी सामने आई है। इन जानतोड़ कोशिशों के बाद भी अन्तर्राष्ट्रीय कंपनियाँ चीन से मुँह फेर रहीं हैं। विदेशी कंपनियों ने अपने कारखाने अन्य देशों में स्थानांतरित करने के कारण, चीन की जनता को बेरोज़गारी के संकट का सामना करना पड़ रहा है, ऐसा दावा अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषक कर रहे हैं। इसका नकारात्मक परिणाम चीन की अर्थव्यवस्था पर हो रहा है।

ऐसी परिस्थिति में, देशांतर्गत असंतोष मिटाने के लिए राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ताइवान पर हमला करके उस पर कब्ज़ा करने की कोशिश करेंगे, ऐसा दावा ब्रिटेन के अख़बार ने किया। तियानमेन गेट पर माओ झेदाँग की तस्वीर के स्थान पर अपनी तस्वीर लगनी चाहिए, ऐसी जिनपिंग की महत्वाकांक्षा है। ताइवान का चीन में विलीनीकरण होने के बाद अपनी भी लोकप्रियता बढ़ेगी, ऐसा जिनपिंग को लग रहा है।

रशिया ने जितनी आसानी से क्रीमिया पर कब्ज़ा किया, उतनी ही आसानी से ताइवान पर कब्ज़ा करना अपने लिए संभव होगा, ऐसा चीन के राष्ट्राध्यक्ष सोच रहे हैं। क्योंकि दुनिया के अग्रसर देशों ने चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ का आदर करके ताइवान को मान्यता देना डाला है। इससे जिनपिंग की यही धारणा हुई है कि ताइवान को निगलना आसान होगा। इसी कारण ताइवान को चीन से होनेवाला ख़तरा बढ़ रहा होने की चेतावनी ब्रिटेन के इस अखबार ने दी।

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