लद्दाख से वापसी करने के लिए चिनी सेना तैयार

नई दिल्ली/लेह – सीमा विवाद का हल निकालने के लिए भारत और चीन के वरिष्ठ सेना अधिकारियों की चर्चा हुई। इसके बाद लद्दाख में तीन ज़गहों पर तैनात अपनी सेना को चीन ने ढ़ाई किलोमीटर पीछे हटाया है। साथ ही, भारत ने भी अपने कुछ सैनिक इस क्षेत्र से कम करने की ख़बरें प्राप्त हुई हैं। इस कारण, जैसा कि भारतीय विश्‍लेषक अनुमान लगा रहे थे, वैसी सीमा पर बने तनाव में कमी होती दिख रही है।

लद्दाख की गलवान घाटी में और पैंगोंग लेक के क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिक एक-दूसरे के सामने खड़े होकर एक महीना बीत चुका है। इस क्षेत्र में दोनों देशों ने बड़ी मात्रा में सेना और रक्षा सामान तैनात किया था। साथ ही, चीन के सरकारी माध्यम सन १९६२ के युद्ध में बनी स्थिति की याद दिलाकर भारत को धमका रहे थे। लेकिन, भारतीय सेना ने भी इस क्षेत्र में अपनी तैनाती बढ़ाकर चीन को करारा ज़वाब दिया था। इसके बाद, पिछले हफ़्ते से चीन की आक्रामक बयानबाजी में नरमाई देखी गई थी। दोनों देश बातचीत के ज़रिये इस विवाद का हल निकालेंगे, ऐसा स्वर अलापना चीन ने शुरू किया था। इस पृष्ठभूमि पर, ६ जून के दिन भारतीय सेना के लेफ्टनंट जनरल हरिंदर सिंग और चिनी सेना के मेजर जनरल लिन लियु के बीच चर्चा हुई थी। यह चर्चा सकारात्मक होने की प्रतिक्रिया दोनों देशों ने व्यक्त की थी। साथ ही, दोनों देशों के बीच चर्चा के और भी दौर होंगे, ऐसे संकेत भी दिए गए थे।

ऐसें में मंगलवार के दिन चिनी सेना ने गलवान, पेट्रोलिंग पॉइंट १५ और हॉट स्प्रिंग इन तीन इलाकों में तैनात अपने सैनिक और लष्करी गाड़ियाँ हटाने की ख़बरें प्राप्त हुई हैं। इस दौरान चीन के सैनिक करीबन ढ़ाई किलोमीटर पीछे हटने की ख़बरें प्राप्त हो रही हैं। भारत ने भी इन तीन इलाकों में तैनात अपने सैनिक और लष्करी सामान में कमी की हैं। इससे पहले दोनों देशों के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों में हुई चर्चा से पहले भी चिनी सैनिक दो किलोमीटर पीछे हटने की ख़बरें प्राप्त हुई थी।

दोनों देशों के लष्करी अफ़सरों में और उससे पहले विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच हुई चर्चा के बाद, चीन ने लद्दाख के कुछ सरहदी क्षेत्र से अपने सैनिक पीछे हटाए हैं। चीन धीरे धीरे कुछ इलाकों में अपने तैनात सैनिकों की संख्या कम कर रहा है, ऐसी ख़बरें भी प्राप्त हो रही हैं। यह भारत की राजनीतिक जीत समझी जा रही है। साथ ही, अगले दो-तीन दिनों में दोनों देशों के लष्करी अफ़सरों की और एक बैठक होनी है और इससे पहले तनाव कम करने के लिए ये कदम उठाए गए हैं, ऐसा कहा जा रहा है।

एक ओर चीन के सैनिक कुछ इलाकों से पीछे हटने की ख़बरें प्राप्त हो रही हैं कि तभी चिनी हेलिकॉप्टर्स ने सीमा से करीबी क्षेत्र में उड़ान भरने की ख़बरें भी प्राप्त हो रही हैं। साथ ही, भारत लद्दाख की सीमा के करीब दौलत बेग ओल्डी में बने एक पुराने रनवे को ४३ वर्ष बाद सक्रिय करेगा, ऐसीं ख़बरें भी प्राप्त हो रही हैं। यह रनवे चीन की सीमा से मात्र नौ किलोमीटर दूरी पर है।

इस कारण, दोनों देश हालाँकि सीमा पर तैनात सैनिकों को पीछे हटा रहे हो, फिर भी यह सीमाविवाद इतनी जल्दी ख़त्म नहीं होगा। दोबारा इसी तरह से तनाव बन सकता है, ऐसे संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।

लद्दाख में चिनी सैनिकों की घुसपैठ भारत को मात्र चेतावनी देने तक सीमित थी, ऐसा सामरिक विश्‍लेषकों का कहना है। भारत अमरिका के साथ सहयोग विकसित कर रहा है और इसके ज़रिये चीन को चुनौती दे रहा है, ऐसा चीन का मानना है। साथ ही, कोरोना की महामारी के बाद चीन से बाहर निकल रहीं कंपनियाँ भारत में निवेश कर रही हैं। वहीं, दूसरीं ओर, भारत में हो रहा चीन का रणनीतिक निवेश रोकने के लिए भारत सरकार ने कड़े निर्णय किए हैं।

उसी समय, भारतीय सेना ने गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ पाकिस्तानव्याप्त कश्‍मीर पर नियंत्रण प्राप्त करने की तैयारी शुरू की हैं, ऐसी चर्चा भी हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर, भारत पर लष्करी दबाव बढ़ाने के लिए चीन ने अपनी सेना की घुसपैठ करवाई। लेकिन, इसके आगे जाकर चीन वर्तमान दौर में, भारत के विरोध में कोई भी कदम उठा नहीं सकेगा, यह बात भारतीय सामरिक विश्‍लेषक और पूर्व लष्करी अफ़सर बड़े आत्मविश्‍वास के साथ कह रहे थे।

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