फ़्रांस की बढती गरीबी, बेरोजगारी और अपराध का मूल परधर्मियों की समस्या में

‘बेझिअर्स’ के मेयर रॉबर्ट मेनार्ड की आलोचना

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पॅरिस: फ़्रांस के शहरों में बढती गरीबी, बेरोजगारी और अपराध जैसी समस्याओं के लिए इन शहरों में बढती परधर्मियों संख्या ही जिम्मेदार है, ऐसी आलोचना ‘बेझिअर्स’ के मेयर रॉबर्ट मेनार्ड ने की है। मेनार्ड ‘मरीन ली पेन’ के ‘नेशनल फ्रंट’ पार्टी का समर्थन करने वाले नेता हैं और शरणार्थी और परधर्मियों के खिलाफ आक्रामक भूमिका लेने वाले नेता ऐसी उनकी पहचान है। पिछले वर्ष फ़्रांस के सात प्रमुख मेयर्स ने फ़्रांस में लगातार दाखिल होने वाले शरणार्थियों के समूह मतलब ‘सामाजिक आपातकाल’ होने की चेतावनी दी थी।

फ़्रांस के भूतपूर्व मंत्री जीन-लुईस बोर्लु ने हाल ही में सरकार को एक रिपोर्ट पेश की थी। उसमें फ़्रांस के शहरों की स्थिति सुधारने के लिए सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सुधार लाने के लिए १९ सिफारिशों का समावेश था। ६० पन्नों की इस रिपोर्ट के बारे में आयोजित की गई चर्चा ‘एलसीआई’ इस चैनल पर प्रसारित की गई। इस चर्चा में मेनार्ड ने परधर्मी ही देश के शहरों में बढती विविध समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं, ऐसी आलोचना की थी।

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‘फ़्रांस के समस्याग्रस्त शहरों में सुधार लाने के लिए सुझाई गयी योजनाएं मतलब अस्थायी और ऊपरी मरहम है। बेझिअर्स के एक उपनगर में नई परियोजना कार्यान्वित करने के लिए १३ करोड़ यूरो का निधि दिया गया है। लेकिन उससे परिस्थिति में कुछ भी फर्क नहीं पडा है। उल्टा इन दिनों फ्रेंच शहरों में जिन तादाद में बंदिस्त बस्तियां और द्वेष भावना देखने मिलती है, वह पहले कभी नहीं दिखी थोई। शहरों में बढती सामाजिक समस्यों को परधर्मियों की बढती संख्या ही जिम्मेदार है’, ऐसी मेनार्ड ने आलोचना की है।

भूतपूर्व मंत्री जीन-लुईस बोर्लु ने बनाई सदर रिपोर्ट में परधर्मियों की समस्या का उल्लेख नहीं है, ऐसा दावा मेनार्ड ने किया है। फ़्रांस में पिछले तीन वर्षों में बड़े पैमाने पर शरणार्थी दाखिल हुए हैं। इन शरणार्थियों के खिलाफ फ़्रांस में बड़े पैमाने पर असंतोष है और राजनीतिक पार्टियों ने भी उसके खिलाफ आक्रामक भूमिका ली है। दक्षिण पंथी सोच के समूह इसमें अग्र स्थान पर हैं और ‘मरिन ली पेन’ जैसे नेताओं ने इस मुद्दे पर जोरदार मुहीम शुरू की है। उनकी मुहीम को देश के विविध इलाके से साथ मिल रहा है और कई शहरों में शरणार्थियों को होने वाला विरोध तीव्र होता जा रहा है।

फ़्रांस में पिछले कुछ वर्षों में हुए आतंकवादी हमलों में भी शरणार्थी और परधर्मियों का सहभाग बड़े पैमाने पर था। उस वजह से फ्रेंच सरकार पर भी इस मामले में दबाव बढ़ गया है और शरणार्थियों के समूहों को कम करने के लिए राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युअल मैक्रॉन नया विधेयक लाने पर मजबूर हुए हैं। पिछले वर्ष सात मेयर्स ने सरकार को लिखा खत भी देश भर में चर्चा का विषय साबित हुआ था। इस खत में लिली, स्ट्रासबर्ग, तुलॉं, रेनेस, नान्ते, ग्रेनोबेल और बोरड्यूक्स इन शहरों के मेयर्स ने शहरों की शरणार्थियों समाकर लेने की क्षमता लगभग खत्म हो चुकी है और उसके परिणाम शहरों की सडकों पर, घर में और आश्रयस्थानों में दिखाई दे रहा है, ऐसी चेतावनी दी थी।

‘बेझिअर्स’ के मेयर रॉबर्ट मेनार्ड के वक्तव्य से यही मुद्दा सामने आया है।

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